
महाराष्ट्र में चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए शिवसेना के नाम और पार्टी सिंबल को फ्रीज कर दिया था. इसके बाद दोनों गुट नाम और चुनाव चिह्न को लेकर मंथन कर रहे हैं. लिहाजा ठाकरे गुट ने EC को अपने चुनाव चिह्न के तौर पर 3 ऑप्शन दिए हैं. ये त्रिशूल, उगते सूरज या मशाल हैं. साथ ही उद्धव गुट ने पार्टी के तीन संभावित नाम शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे), शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और शिवसेना (बालासाहेब प्रबोधंकर ठाकरे) भी EC को बताए हैं.
चुनाव आयोग ने शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे और वर्तमान महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुटों को 3 नवंबर को होने वाले अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिन्ह 'धनुष और तीर' का उपयोग करने से रोक दिया था.
ठाकरे गुट के एक सूत्र ने कहा कि शिवसेना ने चुनाव आयोग के समक्ष विकल्प के रूप में तीन विकल्प प्रस्तुत किए हैं. इसमें त्रिशूल, उगता सूरज या जलती हुई मशाल है.
चुनाव आयोग का अंतरिम आदेश शनिवार को शिंदे गुट के उस अनुरोध पर आया, जिसमें उन्होंने अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव से पहले चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी.
सूत्रों के मुताबिक उद्धव गुट की ओर से EC को भेजे गए नाम औऱ निशान के बाद शिंदे खेमा इस पर आपत्ति जता सकता है. क्योंकि दोनों गुटों को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध विकल्पों में से चुनाव करना होगा. साथ ही कहा कि नए चिह्न की मांग सिर्फ नई पार्टी की ओऱ से की जा सकती है. पहले से मौजूद पार्टी ऐसा नहीं कर सकती. दरअसल, 1989 में शिवसेना ने बाघ को प्रतीक के रूप में मांगा था, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे अस्वीकार कर दिया था.
दरअसल, 1 अक्टूबर 1989 को शिवसेना ने 'धनुष और तीर' का चिन्ह चुनाव आयोग से हासिल किया था. सिंबल मिलने से पहले शिवसेना नारियल के पेड़, रेलवे इंजन, तलवार और ढाल, मशाल, कप और तश्तरी जैसे सिंबल पर चुनाव लड़ा करती थी.
10 अक्टूबर तक भेजने होंगे चुनाव चिह्न
चुनाव आयोग ने शिंदे और ठाकरे गुटों से कहा है कि उन्हें 10 अक्टूबर दोपहर एक बजे तक अपने-अपने चुनाव चिन्ह आयोग में पेश करने होंगे. दोनों पक्ष फ्री सिंबल्स में से अपनी पसंद प्राथमिकता के आधार पर बता सकेंगे. आयोग ने अपने फरमान में दोनो धड़ों को ये छूट जरूर दी है कि दोनों अपने नाम के साथ चाहे तो सेना शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं.
(इनपुट-मोहित बब्बर)
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