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उद्धव ठाकरे ने बताया क्या CM बनना चूक थी? क्यों सुनाई दो पेड़ों के झड़ते पत्तों की कहानी

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवा चुके शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर अपने विरोधियों पर निशाना साधा है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना के लिए उद्धव ठाकरे का इंटरव्यू लिया. इस दौरान उद्धव ने महाराष्ट्र की राजनीति और शिवेसना की हालत पर बात करते हुए, एक किस्सा भी सुनाया. ये किस्सा था दो पेड़ों का. पढ़िए उद्धव ठाकरे और संजय राउत के बीच हुई खास बातचीत.

उद्धव ठाकरे ने संजय राउत को इंटरव्यू दिया है. उद्धव ठाकरे ने संजय राउत को इंटरव्यू दिया है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

महाराष्ट्र में शिंदे सरकार बनने के बाद अभी भी राज्य में कैबिनेट का विस्तार होना बाकी है. माना जा रहा है कि जल्द ही सभी मंत्रियों को उनके उनके विभाग बांट दिए जाएंगे. हालांकि महाराष्ट्र की राजनीति में अभी भी शांति नहीं है, सीएम की कुर्सी गंवा चुके उद्धव ठाकरे लगातार शिंदे गुट पर हमलावर हैं. इसी कड़ी में उद्धव ने शिवसेना सांसद संजय राउत को पार्टी के मुखपत्र सामना के लिए एक इंटरव्यू दिया. जिसमें उन्होंने शिंदे पर जमकर हमले किये. उद्धव का सीएम बनना उनकी चूक थी? क्या शिवसेना खत्म हो जाएगी? जैसे सवालों का भी उद्धव ने सीधा जवाब दिया तो वहीं उन्होंने इंटरव्यू के दौरान दो पेड़ों की कहानी भी सुनाई. 

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संजय राउत के साथ बातचीत में उद्धव ने कहा कि उनके विरोधी शिवसेना और ठाकरे को अलग करना चाहते हैं. उन लोगों ने शिवसेना प्रमुख के पद पर नजर गड़ा रखी है. वे बालासाहेब की जगह लेना चाहते हैं. वे खुद की तुलना उनसे कर रहे हैं. एक बार फिर हिंदुत्व पर बात करते हुए उद्धव ने कहा कि हमारे घर में हिंदुत्व का आशीर्वाद है. वे (भाजपा) नीतीश कुमार के साथ (बिहार में) बैठे हैं. क्या वह (नीतीश) हिंदुत्ववादी हैं?

संजय राउत ने उद्धव से सवाल किया कि आपके चेहरे पर किसी भी तरह की चिंता नहीं नजर आ रही है इसके पीछे क्या वजह है? इस पर उद्धव ने कहा कि यह मुझे मेरे पिता बालासाहेब ठाकरे और मेरी मां से  सबक मिला है कि कितनी भी मुश्किल आए, चिंता नहीं करनी है, परेशान नहीं होना है. हिम्मत रखनी है. साल भर पहले जब मैंने इंटरव्यू दिया था, उस दौरान महाराष्ट्र और पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा था. जिसने हमें तकरीबन थाम दिया था, लेकिन अब सब कुछ फिर से शुरू होगा.    

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उद्धव ने कहा कि पिछले कुछ वक़्त में सब कुछ एक तूफ़ान की तरह बीता, लेकिन अब धूल बैठने के बाद तस्वीर साफ़ होगी. मैं शांत हूं, क्योंकि मुझे पार्टी की चिंता है, अपने मराठी लोगों की चिंता है. हिंदू और मराठी लोगों से नफरत करने वाले लोग तो घर में ही मौजूद हैं. ये लोग हिंदू एकता को तोड़ना चाहते हैं. मुझे इस बात की चिंता है.  

इंटरव्यू में उद्धव ने कहा कि बीजेपी ने जो अब किया है, यही अगर 2019 में किया होता तो बहुत इज्जत के साथ होता. वे शिवसेना को खत्म करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें हिंदुत्व में दूसरा साथी नहीं चाहिए.

संजय राउत के सवाल कि क्या आप वर्षा से मातोश्री आने के बाद अधिक आराम से हैं? के जवाब में उद्धव ने कहा कि सर्जरी के बाद डॉक्टर्स ने मुझसे पूछा कि मुझे कहां जाना है? वर्षा या मातोश्री? मैंने कहा मातोश्री, उस वक़्त मैं बेहोशी में था. विरोधी अच्छी तरह से जानते हैं कि किस तरह से हमारी पीठ में छुरा घोंपा गया. और इससे कैसे महा विकास अघाड़ी का जन्म हुआ.

संजय ने पूछा- आपके अस्पताल में रहते वक्त क्या आपकी सरकार गिराने की कोशिश हुई?

इस पर उद्धव ने कहा कि मुझे कहीं भी उस अनुभव की सहानुभूति नहीं चाहिए. इसलिए सच कहूं तो मैं इस विषय पर बात करने से बचता हूं, पर वो अनुभव बेहद बुरा था. गले का ऑपरेशन क्या होता है? ये किसी भी डॉक्टर से पूछो. उसमें कितने जोखिम होते हैं, उनकी मुझे जानकारी थी. लेकिन वह ऑपरेशन करना जरूरी था. मेरा पहला ऑपरेशन हुआ. उस ऑपरेशन से मैं ठीक होकर बाहर निकला. जिसके पांच-सात दिनों बाद डॉक्टर ने मुझसे कहा, उद्धव जी, कल आपको सीढ़ियां चढ़नी हैं. मैं उस मानसिक तैयारी में था कि कल मुझे सीढ़ियां चढ़नी हैं.  

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एक-एक कदम आगे बढ़ाने हैं…सुबह उठने के बाद, थोड़ा सुस्ताने के दौरान ही गर्दन में एक 'क्रैंप' आ गया और मेरी गर्दन के नीचे की तमाम हलचल ही बंद हो गई. सांस लेते वक्त मैंने देखा कि मेरा पेट भी नहीं हिल रहा था. मैं पूरी तरह से निस्तेज हो गया था. एक 'ब्लड क्लॉट' आ गया था. सौभाग्य से डॉक्टर वहीं थे. जिसे 'गोल्डन ऑवर’ कहते हैं, उस 'गोल्डन ऑवर' में ऑपरेशन हुआ, इसलिए मैं आज यहां आपके सामने बैठा हूं.

उस समय मेरे हाथ-पैर भी नहीं हिल रहे थे, उंगलियां भी नहीं हिल रही थीं. सबसे बड़ी टेंशन थी कि कोई चींटी काटे, मच्छर काटे तो खुजाएं कैसे… यह भी एक अलग और अजीब समस्या थी. उस समय मेरे कानों तक खबर पहुंच रही थी कि मैं जल्द ठीक हो जाऊं, इसके लिए कुछ लोग अभिषेक कर रहे हैं तो कुछ लोग ये चाहते हैं कि मैं इसी तरह रहूं, इस चाह में भगवान को हर तरह से मना रहे थे.

उद्धव ने कहा कि भगवान को मनाने वाले वे लोग आज पार्टी डुबोने निकले हैं. उस वक्त यह अफवाह फैलाई जा रही थी कि ये (उद्धव) अब खड़े ही नहीं हो सकेंगे.  अब हमारा क्या होगा?… तुम्हारा क्या होगा? यह चिंता उन्हें थी. जिस समय अपनी पार्टी को संवारने की जरूरत थी. मैं पक्षप्रमुख, कुटुंब प्रमुख हूं, परंतु ऑपरेशन के बाद मैं हिल नहीं पा रहा था, उस दौरान उनकी हरकतें जोर-शोर से चल रही थीं. यह पीड़ादायी सत्य आजीवन मेरे साथ रहेगा.

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जब मैंने आपको (शिंदे) पार्टी संभालने की जिम्मेदारी दी थी, नंबर दो का पद दिया था. पार्टी संभालने के लिए पूरा विश्वास किया था, उस विश्वास का आपने घात किया. मेरे अस्पताल में रहने के दौरान मेरी हलचल बंद थी. तब आपके हाल-चाल जोर में थे और वे भी पार्टी के विरोध में.

क्या शिवसेना हाईजैक करने का प्रयास हो रहा है?

इस पर उद्धव ने कहा कि जी हां! क्योंकि उनके पास और कोई विकल्प नहीं है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है. मैंने कई सारे लॉ एक्सपर्ट्स से बात की. हमें ये बारीकी से समझना होगा कि पहले दो तिहाई गुट स्थापन करने की अनुमति थी, लेकिन अब वह कानून चला गया. अब जो अलग हुए हैं वह भले ही दो तिहाई संख्या में हो, लेकिन वह अब अपना अलग गुट स्थापित नहीं कर सकते हैं. उन्हें किसी पार्टी में विसर्जित होना ही पड़ेगा जिसमें उनकी पहचान नहीं रहेगी. ऐसे में उन्हें बीजेपी या फिर सपा और  एमआईएम जैसी पार्टियों का विकल्प ढूंढना होगा. इसीलिए वह एकदम निर्माण करने की कोशिश कर रहे हैं कि वही असली शिवसेना है.

उद्धव ने आगे कहा कि अगर हमने कुछ गलत किया है या उन्होंने कोई अपराध किया है. यह तो जनता ही बताएगी. विरोधियों में हिम्मत नहीं है. वे धोखेबाज और नपुंसक हैं. उन्होंने कहा कि वे (राणे और भुजबल) जिनके कपड़ों पर दगाबाजी की मुहर लगी हुई है, वो कभी गायब नहीं होगी. शिवसेना प्रमुख ने कहा कि अब समय आ गया है कि एक बार फिर से काम पर लगा जाए. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि आम लोग मिलकर नई शुरुआत करते हैं.

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संजय ने पूछा- क्या मुख्यमंत्री बनना आपकी चूक थी?

उद्धव ने कहा, 'देखिये, दो बातें हैं, मान लो यदि मैंने उस समय उन्हें मुख्यमंत्री बनाया होता तो उन्होंने आज और कुछ अलग ही किया होता. क्योंकि उनकी भूख मिटती ही नहीं है. मुख्यमंत्री पद भी चाहिए और अब शिवसेना प्रमुख भी बनना है? शिवसेना प्रमुख के साथ तुलना करने लगे हैं? यह राक्षसी महत्वाकांक्षा है. इसको अतृप्त होना कहते हैं. इसका भी मेरा... उसका भी मेरा... और मेरा वह भी मेरा, तेरा भी मेरा. इस राक्षसी भूख की सीमा नहीं होती.'

'वर्षा' में लगे दो पेड़ों की कहानी 

मौजूदा स्थिति देखकर मैं तो यही कहूंगा कि अब सड़े हुए पत्ते झड़कर गिर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री आवास 'वर्षा' में रह रहा था, तो मैंने देखा वहां पर दो पेड़ थे. एक गुलमोहर का और दूसरा बादाम का. मैंने पिछले 2 सालों में देखा कि पतझड़ में इन पेड़ों के पत्ते झड़ जाते थे और दो ही दिनों में नए अंकुर फूटने लगते थे. अगले 8 दिनों में पेड़ फिर हरे-भरे दिखने लगते थे.

सड़े हुए पत्ते झड़ रहे हैं. जिन्हें वृक्ष से सब कुछ मिला, सभी रस मिले इसीलिए वे तरोताजा थे. वे पत्ते वृक्ष से सारा कुछ लेने के बाद भी झड़कर गिर रहे हैं और 'यह देखिए पेड़ कैसे उजड़ा और निर्जीव हो गया है' ये दिखाने का वे प्रयास कर रहे हैं. लेकिन अगले ही दिन माली आता है और पतझड़ से गिरे पत्तों को टोकरी में भरकर ले जाता है.

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झड़े हुए, सड़े हुए पत्ते कचरे की टोकरी में डालने की प्रक्रिया अब शुरू है?

उद्धव ने कहा कि निश्चित ही यह शुरू हो चुकी है. अब नए अंकुर फूटने लगे हैं. शिवसेना का किशोरों और युवाओं के साथ नाता, शिवसेना के जन्म से ही है. अलबत्ता, अभी भी बड़ी संख्या में वरिष्ठ शिवसैनिक आकर मिल रहे हैं. जिन्होंने बालासाहेब के साथ काम किया है, जिन्हें हम पहली पीढ़ी का कहेंगे. जिन्होंने शिवसेना का संघर्ष देखा है. खुद संघर्ष किया है. उन्हें शिवसेना का मतलब क्या है, यह ठीक से पता है. उन्हें शिवसेना से कुछ हासिल करने की अपेक्षा नहीं थी और आज भी नहीं है. लेकिन वे आकर आशीर्वाद दे रहे हैं. यही आशीर्वाद शिवसेना को बल देगा.

क्या शिवसेना खत्म होगी?

उद्धव ने जवाब में कहा कि उन्हें शिवसेना और ठाकरे अलग करना है. जैसे गांधी और कांग्रेस को वह अलग करना चाहते हैं. मुझे सिर्फ विरोध के लिए विरोध नहीं करना. जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष बाबू और बालासाहेब ठाकरे को वह खुद के प्रतीक के तौर पर सामने लाने की कोशिश करते. जब वह खुद के आदर्श निर्माण नहीं कर सकते तब वह दूसरों के आदर्श हथियाने का काम करते हैं. जैसे पार्टी फोड़ रहे हैं उसी तरह आदर्श फोड़ रहे हैं.

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इसीलिए बाला साहब का फोटो उन्हें लगाना पड़ रहा है नहीं तो लोग उन्हें जूतों से मारेंगे. लेकिन मेरे पिता के फोटो का इस्तेमाल कर वोट ना मांगे. हर किसी के माता-पिता है और मैं उनका आदर करता हूं. उसी तरह सभी ने अपने माता-पिता का आदर करना चाहिए. गुरु पूर्णिमा के दिन मैंने अपने पिता और दादा जी को नमन किया. हम पितृ देवो भव मानते हैं. इसीलिए अब अपने माता-पिता के फोटो लगाकर वोट मांगे. इसीलिए मेरे पिता को ना चुराए. इसका मतलब आप में कर्तृत्व नहीं है, हिम्मत नहीं है, मर्दानगी नहीं है, आप विश्वासघातक हो. आपने मेरा ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के लोगों से भी विश्वासघात किया है.

 

 

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