
उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके खेमे के विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता की कार्यवाही पर फैसला सुनाने का आग्रह किया है. साथ ही कहा कि संविधान की लोकतांत्रिक भावना को बनाए रखने का यही एकमात्र तरीका है.
उद्धव गुट ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से साल 2022 में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने के फैसले पर भी सवाल उठाया. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच के समक्ष ठाकरे गुट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से परे जाकर काम किया है.
सिब्बल ने कहा कि हर कोई जानता है कि जब राज्यपाल ने एक व्यक्ति को सुबह-सुबह मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई और बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उन्होंने बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस का जिक्र किया, जिन्हें साल 2019 में शपथ लेने के 80 घंटे के भीतर पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
सिब्बल ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री के रूप में कैसे शपथ दिला सकते है, वो भी ये जाने बिना कि वह सदन में बहुमत हासिल कर सकता है या नहीं? क्या तत्कालीन राज्यपाल ऐसे व्यक्ति को शपथ दिला सकते हैं, जिसके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही लंबित है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से परे कार्य किया है. साथ ही कहा कि दुर्भाग्य से तत्कालीन राज्यपाल ने देश की राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया है.
सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष को सात दिनों के भीतर बागी विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता की कार्यवाही पर फैसला करने का निर्देश दें.
30 जून 2022 को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एकनाथ शिंदे को बागी शिवसेना विधायकों और भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था.
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