
महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi) सरकार ने सिर्फ प्रचार और पब्लिसिटी पर अब तक 155 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं. ये चौंकाने वाला खुलासा एक आरटीआई (RTI) के जरिए हुआ है जहां पर एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने DGI और पब्लिक रिलेशन से इसकी जानकारी मांगी थी. बताया गया है कि पिछले 16 महीनों में सरकार ने सिर्फ प्रचार के लिए 155 करोड़ खर्च किए हैं. इसमें भी सोशल मीडिया के जरिए प्रचार पर ज्यादा खर्च किया गया है.
अनिल गलगली की तरफ से ये जानकारी मांगी गई थी. जानने का प्रयास रहा था कि जब से महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार बनी है, प्रचार पर कितना खर्च किया गया है. अब सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय की तरफ से 11 दिसंबर 2019 से 12 मार्च 2021 तक के आंकड़े उपलब्ध करवा दिए गए हैं. बताया गया है कि साल 2019 में राज्य सरकार की तरफ से प्रचार पर 20.31 करोड़ खर्च किए थे. वहीं इसमें भी 19.92 करोड़ तो टीकाकरण के प्रचार पर खर्च किए गए थे.
वहीं फिर साल 2021 में राज्य सरकार की तरफ से 104.55 करोड़ रुपये खर्च किए गए. इसमें 5.96 करोड़ महिला दिवस के मौके पर खर्च हुए, 9.99 करोड़ पदम डिपार्टमेंट पर, 19.92 करोड़ NHM के प्रचार पर और विशेष प्रचार अभियान पर 22.65 करोड़ खर्च कर दिए गए. वहीं सोशल मीडिया को लेकर बताया गया है कि सरकार की तरफ से 1.15 करोड़ खर्च किए गए. दूसरे कई विभाग के प्रचार-प्रसार पर भी भारी-भरकम रकम खर्च की गई है.
सोशल मीडिया पर किया काफी खर्चा
अब 2021 में भी सरकार की तरफ से सिर्फ 12 मार्च तक 12 विभागों पर 29.79 करोड़ खर्च कर दिए गए हैं. इसमें भी सोशल मीडिया पर 45 करोड़ खर्च किए गए हैं. वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से सोशल मीडिया पर 2.45 करोड़ रुपए की लागत से 20 लाख रुपए खर्च करने का अनुमान है. जल जीवन मिशन पर भी सरकार ने 1.88 करोड़ खर्च किए है. इसके अलावा अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से भी प्रचार पर काफी खर्च किया गया है. आंकड़ों के मुताबिक इस विभाग ने 50 करोड़ में से 48 करोड़ तो सिर्फ सोशल मीडिया पर ही खर्च किए हैं. जन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भी 3.15 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
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आंकड़ों में क्या कोई झोल?
RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली बताते हैं कि ये आंकड़ा 155 करोड़ से सभी ज्यादा हो सकता है. उनके मुताबिक DGI के पास भी सारे आंकड़े नहीं रहते हैं, ऐसे में प्रचार पर और ज्यादा रुपये खर्च किए गए होंगे. वहीं उन्होंने इस बात पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि 'क्रिएटिव' के नाम पर कई और दूसरे खर्चे भी किए गए हैं जिसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. उनकी तरफ से मांग हुई है कि विभागीय स्तर पर होने वाले तमाम खर्चों को राज्य सरकार अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें.