
दिल्ली हाईकोर्ट से महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को झटका लगा है. उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाईकोर्ट से चुनाव आयोग के एक आदेश पर रोक लगाने की गुजारिश की थी, जिसको हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. बीते दिनों चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह (धनुष बाण) पर रोक लगाई थी. इस आदेश पर रोक लगवाने के लिए उद्धव ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी. लेकिन इसको खारिज कर दिया गया.
दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने भी एक फैसला लिया है. उन्होंने उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी पर अधिकार संबंधी दस्तावेज जमा करने के लिए अब 23 नवंबर तक का वक्त दिया है.
पार्टी में फूट पड़ने के बाद छिड़ी असली-नकली शिवसेना की जंग
शिवसेना के दो धड़े में बंटने के बाद से पार्टी में असली और नकली की जंग छिड़ी है. एकनाथ शिंदे के साथ कई विधायक उद्धव गुट से अलग हो गए थे. शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली. इस सरकार में एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया गया वहीं देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने.
इसके बाद शिंदे गुट ने खुद को असली शिवसेना बताते हुए पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर हक जताया. इसके बाद मामला चुनाव आयोग पहुंचा. फिर चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह धनुष बाण पर रोक लगा दी थी.
फिर चुनाव आयोग ने उद्धव गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और शिंदे गुट को बालासाहेबची शिवसेना यानी बाला साहेब की शिवसेना नाम दिया था. चुनाव आयोग ने उद्धव बालासाहेब ठाकरे को मशाल चुनाव चिन्ह दिया था. वहीं शिंदे गुट को दो तलवार और ढाल का चिन्ह दिया गया था.