
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार देने से मना कर दिया. स्पीकर के फैसले से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है. स्पीकर ने 1200 पेजों के फैसले के मुख्य बिंदुओं को सुनाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे के पास 55 में से 37 विधायक हैं और उनके नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है. हालांकि इस दौरान स्पीकर ने किसी को भी अयोग्य करार नहीं दिया. इसको लेकर उद्धव ठाकरे ने स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले पर सवाल उठाए हैं.
उद्धव ठाकरे ने कहा, "मैंने अपनी पहली प्रतिक्रिया कल ही दे दी है. मैंने कल ही कहा था कि लोकतंत्र की हत्या होगी. आज के फैसले से साफ है, लोकतंत्र की हत्या हुई है."
उन्होंने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया. अनिल परब ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बारे में बताया. उन सभी का पालन नहीं किया गया. इससे पता चलता है कि वे सोचते हैं कि कोई भी उनसे ऊपर नहीं है, यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय भी. उन्होंने (स्पीकर) किसी को अयोग्य नहीं ठहराया. उन्होंने हमें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया?"
'स्वत: संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट'
उन्होंने कहा कि स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया है. यह अवमानना हो सकती है, हम जांच करेंगे. सुप्रीम कोर्ट को मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए. 2018 का फैसला कैसे मान्य नहीं हो सकता? उसी आधार पर उन्हें जीत मिली. वे जेपी नड्डा का आदेश नहीं मानेंगे? वे इस प्रक्रिया में देरी करना चाहते थे और उन्होंने ऐसा ही किया. हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करेंगे. दूध का दूध और पानी का पानी होगा.
शिंदे की शिवसेना असली शिवसेना नहीं हो सकती: ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना खत्म नहीं होगी. शिंदे की शिवसेना असली शिवसेना नहीं हो सकती. पीएम आ रहे हैं और सीएम दावोस जा रहे हैं. फैसले से पहले कैसे आया ये फैसला? ये सब सेटिंग थी. मैं बस सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करता हूं कि वह तथ्य सामने लाए और कानूनी फैसला ले. यह स्पष्ट मामला है जहां लोकतंत्र की हत्या की गई है. स्पीकर ने साफ कर दिया है कि किसी को पार्टी कैसे बदलनी चाहिए.
उद्धव के पास अब क्या है रास्ता?
उद्धव ठाकरे गुट के पास सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्त बचा है. ठाकरे ने खुद ही पहले ऐलान कर दिया था कि स्पीकर का फैसला पक्ष में नहीं आता है तो वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे और विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को चुनौती देंगे. माना जा रहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करेंगे. हालांकि इस पर देश की सर्वोच्च कोर्ट क्या फैसला देती है और उस फैसले से ठाकरे को कितना लाभ होगा, यह तो समय ही बताएगा.
'वही होता है जो मंजूर-ए-नरेंद्र मोदी और अमित शाह होता है'
वहीं स्पीकर के फैसले पर तंज कसते हुए शिव सेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "मुझे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है. हमने सुना था 'वही होता है जो मंजूर-ए-खुदा होता है'. 2014 के बाद एक नई परंपरा शुरू हुई है. अब 'वही होता है जो मंजूर-ए-नरेंद्र मोदी और अमित शाह होता है'. यही हम महाराष्ट्र में होते हुए देख रहे हैं. यह नैतिकता के साथ एक दुर्भाग्यपूर्ण समझौता है. कुछ ऐसा किया जा रहा है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध और 'असंवैधानिक' करार दिया था, उसे कानूनी बनाया जा रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है."
डेढ साल पहले शिंदे ने की थी बगावत
उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल पहले 20 जून 2022 को एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 39 विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी और बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली थी. शिंदे को सीएम बनाया गया था. देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने थे. उद्धव पक्ष ने दल-बदल कानून के तहत पहले स्पीकर को नोटिस दिया. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं. इस बीच असली शिवसेना को लेकर भी दोनों गुटों में विवाद जारी है.