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शिंदे सेना या शिव सेना... महाराष्ट्र विधानसभा में अब दिखेगी भारतीय राजनीति की अभूतपूर्व तस्वीर

महाराष्ट्र की सत्ता से उद्धव सरकार की विदाई हो गई है तो दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए हैं. इस तरह शिवसेना बनाम शिवसेना वाली स्थिति बन गई है, क्योंकि शिंदे ने न तो पार्टी बनाई है और न ही किसी पार्टी में शामिल हुए हैं. भारतीय राजनीति में पहली बार है जब सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों जगह एक ही पार्टी के विधायक नजर आएंगे?

एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 01 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST
  • एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं
  • महाराष्ट्र में शिवसेना बनाम शिवसेना की होगी जंग

उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज तो हो गए हैं लेकिन उलझनें अभी सुलझी नहीं हैं. शिंदे ने गुरुवार शाम मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने हैं. हालांकि, एकनाथ शिंदे न तो शिवसेना से अलग हुए हैं और न ही किसी पार्टी में शामिल हुए हैं. ऐसे में महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही रूप में दिखेगी, क्योंकि भारतीय राजनीति में ऐसी स्थिति कभी नहीं दिखी. 

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महाराष्ट्र की सत्ता से शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी और बीजेपी के बीच चली आ रही रस्साकशी, जो बुधवार को उद्धव ठाकरे की सरकार के गिरने के साथ खत्म हुई. उद्धव ठाकरे का तख्तापलट करने वाले एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही अब महाराष्ट्र एक और सियासी घमासान की पिच तैयार हो गई. शिवसेना बनाम शिवसेना वाली इस जंग में असामान्य टकराव होगी, जो सदन से सड़क तक दिखेगी. 

दिलचस्प बात यह है कि शिवसेना बनाम शिवसेना की जंग में एक तरफ वो समूह हैं जो शिवसेना के बागी विधायक और नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का समर्थक है. एकनाथ शिंदे खेमे के साथ शिवसेना के 55 में से 39 विधायक हैं, जिनके सहारे और बीजेपी की मदद से सत्ता के सिंहासन पर काबिज हुए हैं. इसीलिए शिंदे खेमा खुद को असली शिवसेना होना का दावा ठोक रहे हैं. 

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वहीं, दूसरी तरफ शिवसेना के वे सदस्य हैं जो उद्धव ठाकरे के प्रति निष्ठावान हैं. शिंदे के साथ जहां 39 शिवसेना विधायक खड़े हैं तो उद्धव ठाकरे के साथ 16 विधायक बचे हैं. उद्धव और शिंदे दोनों ही खेमा अपने आपको शिवसेना विधायक बता रहे हैं. यही स्थिति अब विधानसभा के सदन में भी दिखेगा, जहां शिवसेना के दो तिहाई विधायक एकनाथ शिंदे के साथ सत्तापक्ष में बैठेंगे जबकि उद्धव खेमे के विधायक आदित्य ठाकरे और विधायक दल के नेता अजय चौधरी के साथ विपक्ष में खड़े रहेंगे. इस तरह शिंदे और उद्धव दोनों ही खेमे अपने आपको शिवसेना का बता रहे हैं. 


पिछले दिनों एकनाथ शिंदे ने महा विकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ बागी शिवसेना विधायकों के एक समूह का नेतृत्व किया. इसका नतीजा रहा कि उद्धव ठाकरे फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने पर बाध्य कर दिया, क्योंकि उन्हें पता था कि उनकी सरकार को हार का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में मुख्यमंत्री शिंदे 39 विधायकों को लेकर भाजपा के साथ सरकार बना ली है.  

उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों ही पक्षों का दावा है कि वे असली शिवसेना हैं. भारतीय राजनीति में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है जब दोनों ही खेमा एक ही पार्टी पर अपना-अपना दावा कर रहे हैं. इससे पहले तक जब भी किसी राजनीतिक पार्टी में बगावत होती थी तो एक धड़ा अलग होकर अपनी पार्टी बना लेता था या फिर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाता था. 

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हालांकि, महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम में ऐसा नहीं हुआ. एकनाथ शिंदे ने तो शिवसेना अभी तक छोड़ी है और न ही किसी पार्टी में शामिल हुए हैं और न ही नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है. इस तरह से शिंदे खेमे के 16 विधायकों की सदस्यता को समाप्त करने के लिए जरूर उद्धव खेमे की ओर से कवायद की गई है, जिसका मामला अदालत में है. ऐसे में फ्लोर टेस्ट के दौरान शिंदे और उद्धव खेमा सदन में आमने-सामने होगा. 

शिवसेना सांसद विनायक राउत ने एक साक्षात्कार में कहा कि बागी हमेशा मुख्य पार्टी के लिए 'विद्रोही' ही रहेंगे. उन्होंने कहा, 'यह सब भाजपा का गेम प्लान था और दुर्भाग्य से हमारे कुछ नेता इसके शिकार हो गए हैं. चाहे वो सदन हो या फिर  कहीं बाहर बैठें या हमारे साथ, ये हमारे लिए विद्रोही ही रहेंगे.' साथ ही उद्धव ठाकरे ने भी साफ कर दिया है कि एकनाथ शिंदे शिवसेना के मुख्यमंत्री नहीं हैं. 

 

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