
शिवसेना पर किसका अधिकार, शिवसेना का चुनावी चिन्ह किसका, ये सवाल पिछले कई महीनों से महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. इस मुद्दे पर समाधान निकले, इसलिए मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है और चुनाव आयोग भी इसकी सुनवाई कर रहा है. अब सोमवार को चुनाव आयोग ने इस मामले में फिर दोनों पक्षों को अपनी दलीलें रखने का मौका दिया. उद्धव गुट की तरफ से 17 दलीलें पेश की गईं. कहा गया कि उनके पास पूर्व बहुमत है, पार्टी पर पूरी तरह से उनका अधिकार है और शिंदे गुट द्वारा सिर्फ संविदान का उल्लंघन किया गया है.
उद्धव गुट की क्या दलीलें रहीं?
सुनवाई के दौरान उद्धव गुट की तरफ से कहा गया कि शिंदे गुट द्वारा जो याचिका दायर की गई है, असल में उसका कोई आधार ही नहीं है. इस समय उनके सभी विधायकों पर निलंबन की तलवार लटक रही है, ऐसे में सुनवाई किन तर्कों पर करेंगे. यहां तक कहा गया है कि दूसरे पक्ष की याचिका से सबूत नहीं मिल जाता कि मूल पार्टी में कोई बंटवारा हुआ हो. आंकड़ों के आधार पर बताया गया कि दो लेजिस्लेटिव विंग में तो पूर्ण बहुमत है, 12 एमलसी हैं, 3 राज्यसभा के सांसद हैं. लोकसभा में भी हमारे पास ही बहुमत है. संगठन में भी हमारे पास पूर्ण बहुमत है.
अब जानकारी के लिए बता दें कि चुनाव आयोग ने आज ही दोनों शिंदे और उद्धव गुट को अपनी-अपनी लिखित दलीलें दी हैं. पिछली सुनवाई के दौरान ठाकरे गुट ने कहा था कि याचिका लगाते समय उनके पास नंबर स्पष्ट नहीं थे. उन्होंने उसी वजह से 42 पेज की अर्जी दाखिल कर पार्टी पर अपना दावा किया था. पेशगी तौर पर विरोधी गुट की अर्जी आने पर ठाकरे गुट को भी सुनने की अपील की थी. वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुट का कहना है कि सदन यानी विधानसभा में और शिवसेना संगठन ने भी उनका नंबर काफी ज्यादा है. शिंदे गुट ने उस विधान का भी जिक्र किया जिसके मुताबिक कम संख्या बल वाले अलग पार्टी तो बनाने को आजाद हैं पर मूल पार्टी पर दावा नहीं कर सकते. इस सुनवाई के बाद ही चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को लिखित जवाब दायर करने को कहा है.
शिवसेना पर संकट क्यों?
यहां ये समझना जरूरी है कि जब से महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हुआ है, जमीन पर उद्धव ठाकरे के लिए चुनौतियां भी बढ़ गई हैं. सबसे बड़ी चुनौती शिवसेना को बचाना है. इस समय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना पर अपना दावा ठोकते हैं. उनका कहना है कि अब विधायकों का पूरा समर्थन उनके पास है, ऐसे में शिवसेना के चुनावी चिन्ह पर भी उन्हीं का अधिकार रहने वाला है. दूसरी तरफ उद्धव अब शिवसेना का अस्तित्व बचाने के लिए अलग ही लड़ाई लड़ रहे हैं.