
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के इस्तीफे और नई सरकार के गठन के साथ ही मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट चर्चा में आ गया है. यह वही प्रोजेक्ट है, जिसे लेकर शिवसेना और बीजेपी आमने सामने रही है. दरअसल, महाराष्ट्र के नए डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पद संभालते ही मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी में ट्रांसफर करने के लिए निर्देश दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने सरकार की कानूनी टीम से कोर्ट को सूचित करने के लिए कहा कि अब मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
इससे पहले जब उद्धव ठाकरे सीएम बने थे, तो उन्होंने मेट्रो कार शेड पर रोक लगा दी थी. इसके बाद उन्होंने इस प्रोजेक्ट को कांजुरमार्ग पर शिफ्ट कर दिया था. इसके साथ ही उन्होंने इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे लोगों पर दर्ज केस वापस ले लिए थे. आईए जानते हैं कि आखिर ये क्या मामला है और इस पर शिवसेना और बीजेपी आमने सामने क्यों है?
क्या है मेट्रो कार शेड ?
इस पूरे विवाद को समझने के लिए हमें ये जानना होगा कि आखिर मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट है क्या है. दरअसल, मुंबई मेट्रो 33.5 किलोमीटर लंबे कोलाबा-बांद्रा सीपज अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन के लिए MMRDA एक मेट्रो कार शेड बना रही है. ये मेट्रो प्रोजेक्ट शिवसेना और बीजेपी के लिए लंबे वक्त से विवाद की वजह बन गई है. यह मेट्रो शेड पहले आरे कॉलोनी में बन रहा था. शिवसेना 2015 से इस प्रोजेक्ट को आरे कॉलोनी से हटाकर दूसरे स्थान पर ले जाने की मांग कर रहा थी.
इस प्रोजेक्ट के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं. हालांकि, पेड़ों की कटाई रोकने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद मेट्रो कॉर्पोरेशन ने यहां पेड़ों की कटाई शुरू कर दी थी. बीएमसी ने मेट्रो अधिकारियों को 2,700 पेड़ गिरने की अनुमति दी थी. मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का कहना था कि केवल छोटे से हिस्से से ही पेड़ों की कटाई की जाएगी. यह मुंबई के रहने वाले लोगों को आधुनिक परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है.
मुंबई की ग्रीन लैंड है आरे
आरे मुंबई शहर के अंदर बसा एक ग्रीन लैंड है. यहां पर लगभग 5 लाख पेड़ हैं और यहां जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं. इस स्थान की हरियाली की वजह से इसे 'ग्रीन लंग ऑफ मुंबई' कहते हैं. शिवसेना का कहना है कि यहां मेट्रो कार शेड बनने से पेड़ काटे जाएंगे. वहीं, बीजेपी अबतक मानती है कि आरे ही एक मात्र वो जगह है जहां निर्धारित लागत और तय समय के अंदर मेट्रो शेड का निर्माण किया जा सकता है.
उद्धव सरकार ने बदली जगह
बीजेपी के साथ सत्ता में रहकर भी शिवसेना इसका विरोध करती रही. यहां तक कि 2019 विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी से शिफ्ट करने का वादा किया था. 2019 में जब शिवसेना सत्ता में आई तो आरे में मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया और इसे कांजूरमार्ग शिफ्ट कर दिया. सरकार ने इस निर्माण के लिए 102 एकड़ जमीन भी ट्रांसफर कर दी.
उद्धव सरकार ने इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे लोगों पर दर्ज केस भी वापस ले लिए थे. इसके साथ ही सरकार ने आरे की 600 एकड़ जमीन को जंगल घोषित कर दिया था. इस प्रोजेक्ट को वापस लेने के बाद यहां जंगल का क्षेत्र बढ़कर 800 एकड़ हो गया था.
जब केंद्र और शिवसेना आई आमने सामने
मेट्रो कार शेड को लेकर महाराष्ट्र में एक बार फिर विवाद तब बढ़ा, जब केंद्र और राज्य की एमवीए सरकार इस मुद्दे पर आमने सामने आ गए. राज्य सरकार द्वारा कांजुरमार्ग पर मेट्रो शेड बनाने के लिए जो जमीन दी थी, केंद्र सरकार का कहना है कि इस जमीन पर मालिकाना हक उनका है, ऐसे में इजाजत जरूरी है. हालांकि, इसके बाद भी उद्धव सरकार ने इस पर काम जारी रखने का ऐलान किया. इसके बाद केंद्र बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी. अब डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इसे फिर से आरे में शिफ्ट करने का आदेश दिया है.
प्रियंका चतुर्वेदी ने क्या कहा
शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आरे के 800 एकड़ जंगल को बचाया गया. क्योंकि यह मुंबई का एकमात्र हरा भरा क्षेत्र है. वहां रहने वाले आदिवासियों के घरों को संरक्षित करने, वन्यजीवों की रक्षा करने के लिए ऐसा किया गया. केंद्र ने कांजुरमार्ग पर आने के लिए कार शेड को ब्लॉक कर दिया. कल नए सीएम ने मुंबई के जंगलों को बचाने का फैसला पलट दिया.