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'अपनी छत से सीटी बजाने का मतलब महिला से छेड़छाड़ नहीं', बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी आरोपी को जमानत

अहमदनगर के रहने वाले तीन युवकों लक्ष्मण, योगेश और सविता पांडव पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.  सेशन कोर्ट ने तीनों की जमानत याचिका रद्द कर दी थी. इसके खिलाफ तीनों ने हाईकोर्ट का रुख किया था.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
विद्या
  • औरंगाबाद ,
  • 25 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने महिला से छेड़छाड़ के मामले में तीन आरोपियों को जमानत दे दी. इन पर अपनी छत से सीटी बजाकर एक महिला के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति अफने घर से कोई आवाज निकाल रहा है, इससे हम सीधे तौर पर यह अनुमान नहीं लगा सकते कि ऐसा महिला से छेड़छाड़ की मंशा से किया गया.  

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दरअसल, अहमदनगर के रहने वाले तीन युवकों लक्ष्मण, योगेश और सविता पांडव पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.  सेशन कोर्ट ने तीनों की जमानत याचिका रद्द कर दी थी. इसके खिलाफ तीनों ने हाईकोर्ट का रुख किया था. युवकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और अभय वाघवासे ने तीनों युवकों को जमानत दे दी. 

शिकायत के मुताबिक, आरोपी और पीड़िता पड़ोस में रहते हैं. पीड़िता का आरोप है कि योगेश उसे बुरी नजर से देखता है. शुरुआत में उसने योगेश को इग्नोर करने की कोशिश की. लेकिन 28 नवंबर 2021 को योगेश ने उसका अपने घर से वीडिया बनाया. जब उसके पति ने योगेश के मकान मालिक से इसकी शिकायत की. लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया. इसके बाद योगेश ने उसे जातिसूचक गालियां दीं. योगेश मोबाइल में निकाली गईं तस्वीरें दूसरे लोगों को दिखा रहा था. इसके बावजूद पीड़िता ने योगेश को इग्नोर करने की कोशिश की. 

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इसके बाद मार्च 2022 में योगेश अपनी छत से उसे देखकर सीटी बजाने लगा. वह बर्तनों की मदद से शोर मचाता था, तरह-तरह की आवाजें निकालता और गाड़ी का हॉर्न बजाता. पीड़िता के मुताबिक, 24 मार्च को योगेश और उसके परिवार ने पत्थरबाजी की, इसमें उसे चोटें भी आईं. जब वह योगेश से यह बात कहने गई, तो उसने जातिसूचक गालियां दीं. 

तीन महीने बाद दर्ज कराई FIR

उधर, आरोपियों की ओऱ से पेश वकील ने इस मामले में देरी से  FIR करने की बात कही. उन्होंने कोर्ट को बताया कि महिला ने घटना के तीन महीने बाद मामला दर्ज कराया. ये मामला बदले के लिए दर्ज कराया गया. दरअसल, आरोपियों की ओर से पहले महिला और उसके पति के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. वकील ने दावा किया कि महिला और उसका पति वह घर खरीदना चाहते हैं, जहां योगेश अपने परिवार के साथ रहता है. जबकि मालिक का इसे बेचने की इच्छा नहीं है. 
 
 

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