
महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक को बॉम्बे हाई कोर्ट से निराशा हाथ लगी है. कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई न होने की वजह उनका पिछले 6 महीने से अपने पसंद के एक निजी अस्पताल में भर्ती रहना है. मलिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक ने कहा कि ऐसे और भी आरोपी हैं, मेडिकल इमरजेंसी के तहत तत्काल सुनवाई की जरूरत है.
नवाब मलिक की याचिका के मामले में सुनवाई करते हुए जज ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जमानत याचिका का जवाब देने के लिए कहा है. जज ने कहा है कि मेडिकल इमरजेंसी होने पर नवाब मलिक क्रिसमस की छुट्टी में भी अदालत जा सकते हैं. मामले की सुनवाई को 6 जनवरी तक टाल दिया गया है.
जांच एजेंसी की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) अनिल सिंह ने कहा कि यह एक नियमित प्रथा बन गई है कि मामले की योग्यता के आधार पर जमानत याचिका दायर की जाती है. स्वास्थ्य को आधार बनाकर भी ऐसा किया जाता है. हालांकि एडवोकेट अमित देसाई और कुशाल मोर ने कहा कि मलिक एक किडनी पर जी रहे हैं, क्योंकि दूसरी किडनी काम करना बंद कर चुकी है.
जज ने नवाब मलिक से वकील से कहा कि वे तब ही रियायत देंगे, जब वे मेडिकल कंडीशन को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट हो जाएंगे. जज ने कहा कि जब इलाज की व्यवस्था ही नहीं होगी, तब ही याचिका पर सुनवाई को गंभीरता से लिया जाएगा. ASG ने कोर्ट को बताया कि नवाब मलिक मई 2022 से अपनी पसंद के अस्पताल में भर्ती हैं.
ASG की दलील सुनने के बाद जज ने नवाब मलिक से पूछा कि आप निजी अस्पताल में भर्ती हैं. आप वहां है तो इस याचिका पर बाद में सुनवाई की जाएगी. मलिक के वकील ने आरोप लगाया कि ED उन्हें डिस्चार्ज कराने पर जोर दे रही थी. नवाब मलिक को जो इलाज दिया जाना था, वह सरकारी अस्पताल में उपलब्ध भी नहीं था. प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने का यही एकमात्र कारण था. मलिक के वकील ने कहा कि उनके 63 साल के क्लाइंट को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है.
सुनवाई के दौरान ASG ने आरोप लगाया कि नवाब मलिक ने राज्य सरकार के अस्पताल के डॉक्टरों की कमेटी से जांच कराने से इनकार कर दिया. हालांकि, इस आरोप पर मलिक के वकील ने कहा कि उन्होंने कभी कोई विरोध नहीं किया. मलिक की मेडिकल कंडीशन दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है.