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'इस्लाम की पूजा सिर्फ भारत में सुरक्षित चलती है', नागपुर में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हम सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन हम आपस में लड़ रहे हैं. हम भूल रहे हैं कि हम एक देश हैं. उन्होंने कहा कि इस समय देश में कई प्रकार की कलह मची हुई है. भाषा, पंथ, संप्रदायों, में मिलने वाली सहूलियतों के लिए विवाद हो रहे हैं.

RSS प्रमुख मोहन भागवत RSS प्रमुख मोहन भागवत
पॉलोमी साहा
  • नागपुर ,
  • 01 जून 2023,
  • अपडेटेड 11:59 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को नागपुर में RSS के कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के लिए हर किसी को प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ. यह स्पेन से मंगोलिया तक छा गया. धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को परस्त किया, तो इस्लाम अपने कार्य क्षेत्र में सिकुड़ गया. अब विदेशी वहां से तो चले गए, लेकिन इस्लाम की पूजा कहां सुरक्षित चलती है, यहीं (भारत) सुरक्षित चलती है. 

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भागवत ने कहा कि देश की सीमाओं पर दुश्मनों को अपनी ताकत दिखाने के बजाय हम आपस में लड़ रहे हैं. संघ शिक्षा वर्ग (आरएसएस कैडरों के लिए अधिकारिक प्रशिक्षण शिविर) के विदाई समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को देश की एकता और अखंडता को बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए और अगर कोई कमी है तो हम सभी को उन पर काम करना चाहिए.

RSS प्रमुख ने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट और बाद में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने सभी देशों के बीच अच्छा प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि हमारे समाज में धर्म और पंथ से जुड़े कई विवाद हैं. हम सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं, लेकिन हम आपस में लड़ रहे हैं. हम भूल रहे हैं कि हम एक देश हैं. कुछ धर्म भारत के बाहर के थे और हमारे उनके साथ युद्ध हुए थे. लेकिन बाहर वाले तो चले गए. अब तो सब भीतर हैं. फिर भी यहां (बाहरी लोगों के) प्रभाव में लोग हैं और वे हमारे लोग हैं... यह समझना होगा.अगर उनकी सोच में कोई कमी है तो सुधार (उन्हें) हमारी जिम्मेदारी है.

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भागवत ने कहा कि जैसे गर्मी में वर्षा की बौछारें सुखद लगती हैं, वैसे ही स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद हम इसी प्रकार की सुखद भावनाओं का अनुभव कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान चिंतित करने वाले दृश्य भी सामने आए हैं. इस समय देश में कई प्रकार की कलह मची हुई है. भाषा, पंथ, संप्रदायों, में मिलने वाली सहूलियतों के लिए विवाद हो रहे हैं. ये इस हद तक बढ़ गए हैं कि हम आपस में ही हिंसा करने लगे हैं. अपने देश की सीमाओं पर अपनी स्वतंत्रता पर बुरी नजर रखने वाले शत्रु बैठे हैं, लेकिन उनको हम अपनी ताकत नहीं दिखा रहे, बल्कि आपस में ही लड़ रहे हैं.

 

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