Advertisement

न्यूज़

P-8I aircraft: बाज की नजर...चीते सा हमला, Indian Navy के इस विमान से नहीं बचेंगी दुश्मन की पनडुब्बियां

ऋचीक मिश्रा
  • मुंबई/नई दिल्ली,
  • 19 मई 2022,
  • अपडेटेड 7:47 PM IST
  • 1/11

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कल यानी 18 मई 2022 को मुंबई दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने लंबी दूरी के टोही विमान P8I में उड़ान भरी. इस विमान की बारीकियों को समझा. क्योंकि यह एक एंटी-सबमरीन वॉरफेयर एयरक्राफ्ट है. सिंह की मौजूदगी में लंबी दूरी की निगरानी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, इमेजरी इंटेलिजेंस, एएसडब्ल्यू मिशन और अत्याधुनिक मिशन सूट एवं सेंसर को नियोजित करने वाली खोज और बचाव क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया. (फोटोः पीआईबी)

  • 2/11

P-8I सिर्फ समुद्री निगरानी में काम नहीं आता. यह जमीन और हवाई निगरानी में भी मदद करता है. यह निगरानी, जासूसी के साथ-साथ हमला करने में भी उपयोग किया जा सकता है. इससे निकलने वाली मिसाइल दुश्मन के जंगी जहाजों और पनडुब्बियों को सेकेंड्स में नष्ट कर देती है. (फोटोः विकिपीडिया)

  • 3/11

P-8I एक बेहद जटिल मल्टी-रोल लॉन्ग रेंज मैरीटाइम रीकॉन्सेंस एंड एंटी-सबमरीन वॉरफेयर (LRMR ASW) एयरक्राफ्ट है. इस विमान में हवा से जहाज पर दागी जाने वाली मिसाइलें और टॉरपीडोस को तैनात किया जा सकता है. लद्दाख में चीन के साथ हुए संघर्ष के समय पोसाइडन विमान को चीनी गतिविधियों की स्पष्ट तस्वीर लेने के लिए तैनात किया गया था. भारतीय नौसेना को कम से कम 6 और ऐसे एयरक्राफ्ट की आवश्यकता है ताकि अपने आसपास की समुद्री और जमीनी सीमाओं पर नजर रख सके. (फोटोः US Navy)

Advertisement
  • 4/11

हिंद महासागर पर रणनीतिक तौर पर निगरानी रखने के लिए यह विमान बेहद महत्वपूर्ण है. इस विमान से साल 2013 से अब तक 29 हजार उड़ान घंटे पूरे किए हैं. बोइंग पोसाइडन के चार वैरिएंट दुनियाभर में उपयोग किए जा रहे हैं. ये वैरिएंट हैं- P-8A Poseidon इसका सबसे ज्यादा उपयोग अमेरिकी नौसेना करती है. P-8I Neptune- इसका उपयोग भारतीय नौसेना कर रही है.  Poseidon MRA1 का उपयोग रॉयल एयरफोर्स कर रही है. P-8 AGS का उपयोग अमेरिकी एयरफोर्स कर रही है. (फोटोः Indian Navy)

  • 5/11

इस विमान में कुल मिलाकर 9 लोग बैठ सकते हैं. दो उड़ान क्रू होते हैं. बाकि मिशन के लिए काम करते हैं. यह विमान 9000 किलोग्राम वजन उठा सकता है. इसकी लंबाई 129.5 फीट है. विंगस्पैन 123.6 फीट है. ऊंचाई 42.1 फीट है. अगर विमान खाली है, तब इसका वजन 62,730 किलोग्राम होता है. टेकऑफ के समय अधिकतम वजन 85,820 किलोग्राम हो जाता है.  

  • 6/11

इसमें 2 CFM56-7B27A टर्बोफैन इंजन लगे हैं. हर इंजन 121 किलोन्यूटन की ताकत प्रदान करता है. इस विमान की अधिकतम गति 907 किलोमीटर प्रतिघंटा है. आमतौर पर यह 815 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भरता है. इसकी कॉम्बैट रेंज 2222 किलोमीटर है. अगर इसे एंटी-सबमरीन वारफेयर में शामिल किया जाता है तो यह 4 घंटे तक कॉम्बैट जोन में उड़ान भर सकता है. (फोटोः Indian Navy)
 

Advertisement
  • 7/11

यह विमान अधिकतम 8300 किलोमीटर की उड़ान भर सकता है. इसकी अधिकतम उड़ान ऊंचाई साढ़े बारह किलोमीटर है. यानी करीब 41 हजार फीट. इसमें 11 हार्डप्वाइंट हथियार लगाए जा सकते हैं. इंटरनल बे पर 5 हार्डप्वाइंट और 6 बाहरी हार्डप्वाइट. इसमें कई तरह के पारंपरिक हथियारों का उपयोग किया जा सकता है. जैसे-  AGM-84H/K SLAM-ER, AGM-84 Harpoon, Mark 54 torpedo, mines, depth charges. इसके अलावा हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वॉरफेयर वेपन सिस्टम लगाया जा सकता है. (फोटोः विकिपीडिया)

  • 8/11

इसमें लगाए जाने वाले हथियारों में AGM-84H/K SLAM-ER एंडवांस्ड स्टैंड ऑफ प्रिसिजन गाइडेड क्रूज मिसाइल है. यह जमीन और पानी दोनों पर हमला करके दुश्मन को बर्बाद कर सकती है. AGM-84 हार्पून किसी भी मौसम में दागी जाने वाली एंटी-शिप मिसाइल है. Mark 54 टॉरपीडो के जरिए पनडुब्बियों और जहाजों पर हमला किया जा सकता है. इसके अलावा इसके जरिए समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाया जा सकता है. साथ गहराई में विस्फोट करने के लिए बम भी दागे जा सकते हैं. (फोटोः US Navy)

  • 9/11

इस विमान में CAE कंपनी का AN/ASQ-508A मैग्नेटिक एनोमली डिटेक्टर (MAD) लगाया गया है. साथ ही ग्रिफॉन कॉर्पोरेशन का टेलिफोनिक्स एपीएस-143सी(वी)3 मल्टीमोड आफ्ट राडार जोड़ा गया है. इसके अलावा आमतौर पर इसमें रेथियॉन एपीवाई-10 मल्टी मिशन सरफेस सर्च राडार होता है. साथ ही एएन/एएलक्यू-240 इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर सूइट और एन/एपीएस-154 एडवांस्ड एयरबोर्न सेंसर लगे हैं. (फोटोः US Navy)

Advertisement
  • 10/11

'हर काम देश के नाम'... यही ध्येय वाक्य है INAS 316 का. जो कि गोवा में बोइंग P-8I समुद्री टोही विमान का एयर स्क्वाड्रन है. इन ताकतवर टोही विमानों को INS हंसा (INS Hansa) पर तैनात किया गया है. गोवा में पहले से छह पोसाइडन विमान मौजूद हैं. INAS 316 को द कॉन्डर्स (The Condors) नाम दिया गया है. (फोटोः विकिपीडिया)

  • 11/11

गोवा स्थित INAS 316 भारतीय नौसेना का दूसरा P-8I एयरक्राफ्ट स्क्वाड्रन है. इससे पहले नौसेना ने साल 2013 में 8 पोसाइडन विमानों का पहला बैच रिसीव किया था. ये सभी INS राजाली तमिलनाडु में INAS 312 अल्बाट्रोस के नाम से तैनात हैं. गोवा में दूसरे स्क्वाड्रन के बनने के बाद पश्चिमी समुद्री इलाके पर निगरानी करना ज्यादा आसान हो जाएगा. अगर कोई भी दुश्मन गतिविधि भारतीय समुद्री क्षेत्र में दर्ज की जाती है तो उसे तुरंत रोका या खत्म किया जा सकता है. (फोटोः विकिपीडिया)

Advertisement
Advertisement