राजस्थान की हेरिटेज ट्रेन 'वैली क्वीन एक्सप्रेस' को लोग खूब पसंद कर रहे हैं. दो माह में करीब 600 यात्री इस ट्रेन में सफर कर चुके हैं. मारवाड़-खामलीघाट-मारवाड़ के बीच मीटर गेज रेल लाइन पर यह ट्रेन संचालित होती है, जो 5 दिन संचालित होती है. यह ट्रेन अरावली की वादियों के बीच चलती है. सफर के दौरान लोगों को खूबसूरत नजारे जैसे पहाड़, पुल, झरने व सुरंग देखने को मिलते हैं. कम बजट में लोगों को अद्भुत यात्रा का आनंद मिलता है. इसलिए लोग भी इसमें सफर करना चाहते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 05 अक्टूबर 2023 को हरी झंडी दिखाकर हेरिटेज ट्रेन 'वैली क्वीन एक्सप्रेस को रवाना किया. अगस्त और सितंबर 2024 दो माह में अब तक इस ट्रेन में 646 यात्रियों ने इस ट्रेन में यात्रा का लुत्फ उठाया है. इससे रेलवे को 5 लाख 27 हजार 114 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. इस ट्रेन में ऑनलाइन आरक्षण भी उपलब्ध है. लोग बड़ी संख्या में ग्रुप में भी टिकट बुक करवा रहे हैं.
उत्तर पश्चिम रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी शशि किरण ने बताया कि खामलीघाट- मारवाड़ के बीच मीटर गेज रेल लाइन 100 साल पुरानी है. इस हेरिटेज रेल लाइन पर सप्ताह में 5 दिन वैली क्वीन एक्सप्रेस चलती है.
यह पर्यटक ट्रेन लोगों को घाट क्षेत्र के विभिन्न दर्शनीय स्थलों की सैर कराती है. इस रेल मार्ग पर अरावली की सुरम्य पहाड़िया हैं. यह रेलवे ट्रैक आजादी से पहले बना था. इस खंड पर मारवाड़- खामलीघाट- मारवाड़ के बीच प्रदेश की पहली हेरिटेज ट्रेन “वैली क्वीन” संचालित की जा रही है.
सीपीआरओ ने बताया कि वैली क्वीन हेरिटेज ट्रेन में एक वातानुकूलित चेयर कार एवं एक पॉवर कार कोच के साथ एक डीजल इंजन को भाप इंजन जैसा बनाया गया है. ट्रेन के कोच में अनाउंसमेंट के साथ टीवी स्क्रीन भी लगाई गई है. जिसमें पूरे मार्ग एवं गोरम घाट की वादियों के बारे में पर्यटकों को जानकारी दी जाती है. हेरिटेज ट्रेन को राजस्थानी लुक देने के लिए कोच पर राजस्थानी चित्रकारी की गई है.
ट्रेन की यात्रा में यात्रियों को हरी-भरी घाटियों, पहाड़ियों, दुर्लभ वनस्पतियों और स्थानीय जीव जन्तुओं के मनमोहक दृश्य देखने को मिलते है. इस मार्ग में लगभग 100 साल पुरानी दो सुरंगें और जलधाराओं पर 172 पुल हैं. ट्रेन गोरम घाट, फुलाद और खामलीघाट स्टेशन पर रुकती है. इसमें 60 सीटों वाली एसी चेयर कार कोच, एक सामान्य कोच और एक ट्वेंटी-सीटर विंडो केबिन है. ट्रैक पर दो घुमावदार टनल सफर का रोमांच बढ़ाती है.
अरावली पहाड़ियों के बीच मारवाड़ से खामलीघाट 47 किलोमीटर की मीटर गेज रेल लाइन प्राकृतिक सौन्दर्य से भरे इस क्षेत्र में पर्यटन का आधार बनी हुई है.
इस रेल मार्ग पर कई धार्मिक स्थल है. जोग मंडी स्थित माता जी का मंदिर है. उसके बाद गोरम घाट स्टेशन पर उतरकर पहाड़ी पर स्थित गुरु गोरखनाथ जी का मंदिर स्थित है. इसकी वास्तुकला पारंपरिक और आधुनिक तत्वों के मिश्रण को दर्शाती है. जिसमें जटिल नक्काशी आकर्षित करती है. गोरम घाट स्टेशन के बाद पर्वत सिंह जी की धूणी है. जहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने को आते हैं.
इस 47 किलोमीटर रेल मार्ग पर यू आकार का पुल- गोरम घाट पर यू-आकार का पुल भी पर्यटकों को बहुत लुभाता है. जिसमें नीचे शांत पानी के चारों ओर हरियाली है. यह वास्तुकला और पर्यावरण का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है. इसके अलावा भील बेरी का झरना भी पर्यटकों को पसंद आता है.
राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई से गिरने वाले भील बेरी का झरना है. यह झरना कर्नाटक और गोवा राज्य की सीमा पर स्थित दूधसागर झरने जैसा दिखाई पड़ता है.
यह क्षेत्र जुलाई से अक्टूबर तक राजस्थान का कश्मीर कहा जाता है. खामलीघाट समुद्र तल से अधिक ऊंचाई होने के कारण यहां मौसम काफी सुहावना रहता है.