
केंद्र सरकार द्वारा खरीदी गयी करीब 10 फीसदी कोरोना वैक्सीन कचरे में चली जाएगी, जिसकी वजह से सरकार को करीब 1320 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ सकते हैं.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी वैक्सीनेशन प्लान गाइडलाइन से यह बात सामने आयी है. यह नुकसान असल में टीकों के 'प्रोग्रेमेटिक वेस्टेज' के रूप में होगा.
कैसे होगा नुकसान
असल में केंद्र सरकार सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक से जो वैक्सीन खरीदने जा रही है, उसमें हर 100 वैक्सीन में से करीब 10 वैक्सीन इसके प्रबंधन यानी कंपनी के प्लांट से निकलने से लेकर स्वास्थ्य केंद्र में रखने तक में बेकार हो जाएगी. इस तरह केंद्र सरकार को हर 50 व्यक्तियों के टीकाकरण के लिए कम से कम 110 वैक्सीन का ऑर्डर देना होगा. हर व्यक्ति को कोविड-19 टीके का 2 डोज लगाया जाएगा.
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शुरुआत में टीकों का स्टॉक सीमित ही रहेगा और 10 फीसदी वेस्टेज में चला जाएगा, इसकी वजह से टीकाकरण कार्यक्रम की प्रगति में थोड़ा व्यवधान आएगा और सरकार पर काफी अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
क्या है सरकार की योजना
केंद्र सरकार ने शुरुआती दौर में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना बनायी है. इसके लिए वैक्सीन के कम से कम 60 करोड़ डोज की जरूरत थी और प्रति व्यक्ति पर 440 रुपये का खर्च आने का अनुमान था.
यानी कुल लागत करीब 13,200 करोड़ रुपये का होने का अनुमान था. लेकिन अब पहले चरण के लिए कुल 66 करोड़ डोज वैक्सीन तैयार रखने होंगे और कुल बिल बढ़कर 14,250 करोड़ रुपये हो जाएगा. इस तरह से सरकार को अतिरिक्त 1,320 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.