
जब तक वैक्सीन नहीं आती तब तक मास्क को ही कोरोना से बचाव का एकमात्र उपाय माना जा रहा है. ऐसे में मास्क ना पहनने वालों और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जा रहा है ताकि लोग कोरोना के दर से नहीं तो कम से कम जुर्माने के डर से ही मास्क पहनना जारी रखें.
मास्क के लिए लगाए जा रहे जुर्माने के मामले में गुजरात राज्य सबसे आगे है. अब तक गुजरात सरकार ने जुर्माने के रूप में 115.8 करोड़ रुपए की वसूली की है.
अगर ऐतिहासिक इमारतों की एंट्री फीस से इस आंकड़े की तुलना करें तो ये आंकड़ा एक साल में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और ताजमहल देखने आने वाले पर्यटकों से वसूली जाने वाले टिकटों के पैसों से भी ज्यादा है. बीते दिनों गुजरात सरकार को गुजरात हाई कोर्ट द्वारा कोरोना पर की जा रही कार्रवाई के संबंध में तलब किया गया था.
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इस पर गुजरात सरकार द्वारा हलफनामा दाखिल किया गया है. इस हलफनामे के अनुसार मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का उल्लंघन करने वालों से 22 दिसंबर तक 115.8 करोड़ रुपये की वसूली की गई है.
गुजरात सरकार के आरोग्य विभाग ने अपने हलफनामें में ये भी कहा है कि कोरोना वायरस को लेकर अब तक पूरी जानकारी हासिल नहीं हो पाई है, इसलिए सावधानी ही एकमात्र सुरक्षा उपाय है.
गुजरात सरकार के आरोग्य सचिव जंयती रवि ने गुजरात हाइकोर्ट में ये भी कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर सरकार द्वारा कई लोकजागृति के कार्यक्रम भी किए गए हैं. सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे करीब 900 एमबीबीएस डॉक्टरों को ग्रामीण इलाकों में तीन साल सेवा देने का आदेश दिया गया है. जबकि एमबीबीएस के तीसरे और चौथे वर्ष में पढ़ाई करने वाले 6500 से अधिक छात्रों को कोविड टेस्टिंग और सर्विलांस के काम में लगा दिया गया है.
आरोग्य विभाग ने ये भी कहा है कि फिलहाल गुजरात में 11,379 एक्टिव कोविड मरीज हैं, जिन्हें मिलाकर गुजरात में कोरोना मरीजों की कुल संख्या 2,37,247 पहुंच चुकी है. गुजरात में कोरोना से अब तक 4,248 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 2,21,602 मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं और रिकवरी रेट 90 प्रतिशत हैं. अहमदाबाद में फिलहाल 8,500 बिस्तर खाली हैं. जबकि घर पर ही आइसोलेशन में रहने वाले लोगों के लिए शुरु की किए गए 'धनवंतरी रथ' हर रोज करीब 10,000 लोगों की जांच कर रहे हैं और उन्हें आवश्यक दवाइयां मुहैया करा रहे हैं.