Advertisement

Bhopal Gas Tragedy पर SC का बड़ा फैसला आज, जानिए क्या है 7400 करोड़ के बढ़े हुए मुआवजे का मामला?

1984 की भोपाल गैस त्रासदी को देश की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है. एक केमिकल फैक्‍ट्री से हुई जहरीली गैस के रिसाव से रात को सो रहे हजारों लोग हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए. इतना ही नहीं, त्रासदी का असर लोगों की अगली पीढ़ियों तक ने भुगता, मगर सबसे दुखद बात ये है कि हादसे के जिम्‍मेदार आरोपी को कभी सजा नहीं हुई. 

1984 में भोपाल में हुई गैस त्रासदी में हजारों लोगों की मौत हो गई थी. 1984 में भोपाल में हुई गैस त्रासदी में हजारों लोगों की मौत हो गई थी.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 9:53 AM IST

दिसंबर 1984 के भोपाल गैस त्रासदी मामले में मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बेंच आज मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाएगी. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान बेंच केंद्र की क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुनाएगी. केंद्र ने दोषी पाई गई कंपनी यूनियन कार्बाइड के साथ अपने समझौते को फिर से खोलने और पीड़ितों को 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दाखिल की थी. 12 जनवरी को पीठ ने याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

Advertisement

भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों ने राज्य और केंद्र सरकार पर आकड़ों में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए हैं. सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई क्यूरेटिव याचिका का उद्देश्य ही यह है कि मुआवजा राशि नए सिरे से निर्धारित की जाए. इन याचिकाओं में गैस पीड़ित संगठन भी याचिकाकर्ता हैं. 

क्या है भोपाल त्रासदी ?

1984 की भोपाल गैस त्रासदी को देश की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है. एक केमिकल फैक्‍ट्री से हुई जहरीली गैस के रिसाव से रात को सो रहे हजारों लोग हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए. इतना ही नहीं, त्रासदी का असर लोगों की अगली पीढ़ियों तक ने भुगता, मगर सबसे दुखद बात ये है कि हादसे के जिम्‍मेदार आरोपी को कभी सजा नहीं हुई. 

नींद में ही सो गए हजारों लोग 

Advertisement

02 और 03 दिसंबर 1984 की रात, लगभग 45 टन खतरनाक गैस मिथाइल आइसोसाइनेट गैस एक कीटनाशक संयंत्र से लीक हुई थी. यह कंपनी अमेरिकी फर्म यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी थी. गैस संयंत्र के आसपास घनी आबादी वाले इलाकों में फैल गई, जिससे हजारों लोगों की तुरंत ही मौत हो गई. लोगों के मरने पर इलाके में दहशत फैल गई और हजारों अन्य लोग भोपाल से भागने का प्रयास करने लगे.

16 हजार से अधिक लोगों की मौत

मरने वालों की गिनती 16,000 से भी अधिक थी. करीब पांच लाख जीवित बचे लोगों को जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण सांस की समस्या, आंखों में जलन या अंधापन, और अन्य विकृतियों का सामना करना पड़ा. जांच में पता चला कि कम कर्मचारियों वाले संयंत्र में घटिया संचालन और सुरक्षा प्रक्रियाओं की कमी ने तबाही मचाई थी.

2010 में दाखिल की गई थी याचिका

हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया. हालांकि, पीडितों ने ज्‍यादा मुआवजे की मांग के साथ न्‍यायालय का दरवाजा खटखटाया था. केंद्र ने 1984 की त्रासदी के पीड़ितों को डाउ केमिकल्स से 7,844 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग की है. केंद्र ने मुआवजा बढ़ाने के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी. 

Advertisement

एंडरसन को नहीं मिल सकी सजा 

उस वक्‍त UCC के अध्‍यक्ष वॉरेन एंडरसन मामले के मुख्‍य आरोपी थे लेकिन मुकदमे के लिए पेश नहीं हुए. 01 फरवरी 1992 को भोपाल की कोर्ट ने एंडरसन को फरार घोषित कर दिया. इसके बाद अदालत ने एंडरसन के खिलाफ 1992 और 2009 में दो बार गैर-जमानती वारंट भी जारी किया, मगर उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी. सितंबर, 2014 में एंडरसन की स्‍वाभाविक मौत हो गई और उसे कभी इस मामले में सजा नहीं भुगतनी पड़ी.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में क्या कहा?

- बेंच ने सुनवाई के दौरान केंद्र पर सवाल उठाते हुए कहा था कि किसी को भी त्रासदी की भयावहता पर संदेह नहीं है. फिर भी जहां मुआवजे का भुगतान किया गया है, वहां कुछ सवालिया निशान हैं. जब इस बात का आकलन किया गया कि आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार था.

- कोर्ट ने कहा कि बेशक लोगों ने कष्ट झेला है. हमने पूछा था कि जब केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है, तो क्यूरेटिव याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं? शायद इसे तकनीकी रूप से न देखें लेकिन हर विवाद का किसी न किसी बिंदु पर समापन होना चाहिए

- पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने वाली क्यूरेटिव याचिका पर आगे बढ़ते हुए मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख साफ करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि के जरिए कहा कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता.

 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement