
कूनो नेशनल पार्क में मंगलवार को चीते के शावक की मौत हो गई. कूनो में 2 महीने में 4 चीतों (तीन चीते और एक शावक) की जान जा चुकी है. सबसे पहले 26 मार्च को नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत हो गई थी. इसके बाद साउथ अफ्रीका से लाए गए चीता उदय ने 23 अप्रैल को जान गंवा दी थी. 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत मेटिंग के दौरान हिंसक झड़प के चलते हो गई थी. आइए जानते हैं कि किन वजहों से चीतों की मौत हुई है.
पिछले साल 17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे. इसके बाद साउथ अफ्रीका से भी 12 चीतों की दूसरी खेप भी यहां लाकर बसाई गई थी. प्रोजेक्ट चीता के तहत चीतों को चरणबद्ध तरीके से क्वारांटाइन, बड़े बाड़े में रखने के बाद खुले जंगल में छोड़ेने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला (सियाया) ने बीते 24 मार्च को ही पार्क में 4 शावकों को जन्म दिया था. इनमें से एक शावक की मौत मंगलवार यानी 23 मई को हो गई. अब पार्क में 17 चीते मौजूद हैं.
दो महीने में चार चीतों की हुई मौत
23 मई: शावक की हुई मौत
सियाया (ज्वाला) ने बीती 24 मार्च को 4 शावकों को जन्म दिया था. मदर्स डे पर चारों शावक अपनी मां संग अठखेलियां करते नजर आए थे.कूनो प्रशासन द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि 23 मई को 7 बजे ज्वाला को मॉनिटरिंग टीम ने शावकों के साथ बैठा पाया था. इसके बाद ज्वाला अपने शावकों के साथ चलने लगी. उसके साथ सिर्फ तीन शावक ही चल रहे थे. जबकि एक शावक अपनी जगह पर ही लेटा रहा. यह शावक उठने में असमर्थ था. ऐसे में पशु चिकित्सक दल को इसकी सूचना दी गई. इसके बाद उसका इलाज शुरू किया गया, हालांकि, थोड़ी देर में ही उसकी मौत हो गई.
क्या है मौत की वजह?
कूनो द्वारा जारी बयान के मुताबिक, ''शावक की मौत की वजह कमजोरी सामने आई है. बताया जा रहा है कि जन्म से ही शावक चारों शावकों में सबसे छोटा और कमजोर और सुस्त था. इतना ही नहीं ये शावक अन्य की तुलना में दूध भी कम पी रहा था. सामान्यता अफ्रीकी देशों में चीता शावकों का सर्वाइवल प्रतिशत काफी कम होता है. प्राकृतिक स्थलों में मात्र 10 में से एक चीता शावक ही वयस्क हो पाता है. ''
9 मई को चीता दक्षा की मौत?
9 मई को मादा चीता दक्षा घायल अवस्था में मिली थी. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. मादा चीता दक्षा बाड़ा नंबर-1 में थी और नजदीक ही बने बाडे नंबर-7 से दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते वायु और अग्नि को छोड़ा गया था. नर चीतों ने मेटिंग (प्रजनन) के दौरान दक्षा पर हमला कर दिया था. पशु चिकित्सकों के अनुसार, नर चीतों का मेटिंग के दौरान मादा के साथ हिंसक व्यवहार सामान्य है. ऐसी स्थिति में मॉनिटरिंग टीम उनके बीच दखलअंदाजी भी नहीं कर पाती है.
23 अप्रैल को चीता उदय की हुई थी मौत
इससे पहले 23 अप्रैल को चीता उदय की मौत हो गई थी. उसके स्वास्थ्य में गड़बड़ी नजर आ रही थी. इसके बाद उसे ट्रैंकुलाइज कर मेडिकल सेंटर लाया गया था, जहां उसने दम तोड़ दिया. उदय दक्षिण अफ्रीकी चीता था और इसी साल 18 फरवरी को 11 अन्य चीतों के साथ कूनो लाया गया था. वन विभाग ने बताया था कि उदय की मौत कार्डियोपल्मोनरी (Cardiopulmonary) से हुई.
26 मार्च को चीता साशा की मौत
नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत 26 मार्च को हो गई थी. उसकी मौत किडनी संक्रमण की बीमारी से हुई थी. साशा के 22-23 जनवरी को बीमार होने का पता चला था. साशा खाना नहीं खा रही थी और सुस्त रह रही थी. इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने उसकी जांच की तो मादा चीता की किडनी में इंफेक्शन पाया गया था. इसके बाद चीतों के सबसे बड़े विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टोरडीफ के परामर्श से इलाज भी किया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका था.