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किर्गिस्तान में फंसे 40 से अधिक भारतीय कामगार, PM मोदी और योगी से सुरक्षित वापसी की अपील

श्रमिकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें अच्छा भोजन और पानी नहीं दिया जा रहा है. जिस स्थान पर वे फंसे हुए हैं, वहां शौचालय की कोई सुविधा नहीं है. वहां के स्थानय अधिकारियों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, परेशान किया जा रहा है और यहां तक कि पीटा भी जा रहा है. एजेंट ने प्रति माह 250 डॉलर दिलवाने का वादा किया था.  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-फाइल फोटो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:12 PM IST

किर्गिस्तान में फंसे भारतीय कामगारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षित वापसी की अपील की है. यूपी और बिहार के 40 से अधिक भारतीय कामगार दो महीने से अधिक समय से किर्गिस्तान में फंसे हुए हैं. फंसे हुए श्रमिकों ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि एक ट्रैवल एजेंट उन्हें रूस में नौकरी देने के बहाने किर्गिस्तान ले गया. श्रमिकों को आश्वासन दिया गया कि किर्गिस्तान पहुंचने पर उन्हें जरूरी वीजा मिलेगा और एक कपड़ा कारखाने में काम करने के लिए रूस भेजा जाएगा.

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श्रमिकों के मुताबिक, वादे धरे के धरे रह गए. बाद में उन्हें पता चला कि उनके साथ फ्रॉड किया गया है. फंसे हुए श्रमिकों द्वारा किए गए दावों के अनुसार, अब उन्हें किर्गिस्तान में घरेलू नौकर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

एजेंट ने प्रति माह 250 डॉलर दिलवाने का वादा किया था
उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें अच्छा भोजन और पानी नहीं दिया जा रहा है. जिस स्थान पर वे फंसे हुए हैं, वहां शौचालय की कोई सुविधा नहीं है. वहां के स्थानय अधिकारियों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, परेशान किया जा रहा है और यहां तक कि पीटा भी जा रहा है. एजेंट ने प्रति माह 250 डॉलर दिलवाने का वादा किया था.  
 
गारमेंट फैक्ट्री में काम का था ऑफ़र
मजदूरों द्वारा इंडिया टुडे को दी गई जानकारी के मुताबिक ट्रैवल एजेंट मुंबई का है और उसका नाम मोहम्मद अफाक खान है. श्रमिकों ने दिल्ली से किर्गिस्तान के लिए सीधी उड़ान भरी थी. श्रमिकों को बताया गया था कि वे एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करेंगे, हालांकि, अब किर्गिस्तान में उन्हें घरेलू नौकर (रसोइया, चौकीदारी सहित अन्य घरेलू काम) के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

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उन्होंने इस मुद्दे को अपने एजेंट के सामने उठाने की कोशिश की लेकिन कोई हल नहीं निकला. जब भी वे आवाज उठाते हैं तो उन पर हमला किया जाता है.

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