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MP-MLA के खिलाफ 4000 से ज्यादा मामले लंबित, निपटारे को स्पेशल कोर्ट! 

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि सांसदों, विधायकों के‌ खिलाफ देश में 4000 से भी ज्यादा मामले लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सोमवार को आदेश जारी करेगा. 

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को देगा आदेश (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट सोमवार को देगा आदेश (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST
  • सांसदों, विधायकों के‌ खिलाफ 4000 से ज्यादा मामले
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हमारे पास आ गए आंकड़े
  • कोर्ट ने पूछा, कितनी विशेष अदालतों की जरूरत पड़ेगी?

सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के लिए अलग और विशेष कोर्ट गठित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि सांसदों, विधायकों के‌ खिलाफ देश में 4000 से भी ज्यादा मामले लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत इस मामले में सोमवार को आदेश जारी करेगी. 

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याचिकाकर्ता विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि गंभीर अपराध के मामलों में किसी तरह का संरक्षण सांसदों और विधायकों को नहीं मिलना चाहिए. साथ ही संसद या विधानसभा को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के आधार पर दागी सांसद या विधायकों को चार्जशीट के बाद प्रतिबंधित कर देना चाहिए. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब देने को कहा है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हमारे पास आंकड़े आ गए हैं. ऐसे में यह देखने की जरूरत है कि इस व्यवस्था के लिए कितनी विशेष अदालतों की जरूरत पड़ेगी? कोर्ट ने कहा कि इन अदालतों में नियुक्ति समेत अन्य व्यवस्था की जिम्मेदारी हाई कोर्ट की होगी. सभी राज्यों के हाइ कोर्ट को यह जिम्मेदारी निभानी होगी. 

अदालत के सहायक यानी न्याय मित्र विजय हंसारिया ने कहा कि अदालतों का गठन समस्या नहीं है, समस्या ट्रायल को तेजी से और निर्धारित समय में निपटाने की है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियोग चलाने वालों  यानी अभियोजन पक्ष के लिए भी इस संबंध में निर्देश देने की जरूरत है, ताकि उनकी वजह से मामला लंबा नहीं खिंचे. विजय हंसारिया ने ये भी सुझाव दिया कि सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों में स्थगन विशेष परिस्थितियों से इतर नहीं दिया जाए. 

हंसारिया ने कहा कि हाईकोर्ट ही निचली अदालतों के प्रावधान तय करे. इसके साथ ही गवाहों की सुरक्षा के लिए भी व्यवस्था की जाए. हंसारिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए गवाह संरक्षण के फैसले को तत्काल सभी राज्यों में लागू किया जाए.

जस्टिस रमणा ने पूछा कि सबसे पुराना लंबित मामला कौन सा है? हंसारिया ने बताया कि सबसे पुराना मामला 1983 में पंजाब का है. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के वकील पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इतने लंबे समय से मामला क्यों लंबित है? 1983 से मामला लंबित है और आप लोगों को पता ही नहीं? आखिर कौन इसके लिए जिम्मेदार होगा? 

पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि मैं राज्य सरकार से पता करके एक रिपोर्ट चार्ट दाखिल करूंगा. इसपर  SC ने कहा कि ये बेइंतहा लेट लतीफी अभियोग चलाने वालों की नाकामी है. इसी लापरवाही की वजह से ऐसे गंभीर आरोप वाले मामले इतने दशकों से लंबित रहे हैं. 

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