
लोकसभा के शीतकालीन सत्र में अडानी से लेकर जॉर्ज सोरोस के कांग्रेस नेतृत्व के साथ संबंध और अमित शाह की आंबेडकर संबंधी टिप्पणी जैसे मुद्दों पर व्यवधानों के कारण कामकाज बाधित रहा, लेकिन शुक्रवार को आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस सत्र में कामकाज 57.87 प्रतिशत रहा.
पीटीआई के मुताबिक 25 नवंबर को निचले सदन की बैठक हुई थी और शुक्रवार को विपक्ष और सत्ता पक्ष द्वारा बीआर आंबेडकर के कथित अपमान और स्पीकर ओम बिरला द्वारा सदस्यों को संसद के किसी भी गेट पर प्रदर्शन न करने के निर्देश के विरोध में अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया.
सत्र के दौरान पेश किए गए प्रमुख विधेयकों में दो ऐसे थे, जो एक साथ चुनाव कराने की व्यवस्था करते हैं.
शुक्रवार को दोनों विधेयकों को जांच और व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया.
पिछले सप्ताह निचले सदन में संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने पर बहस हुई, जिसके दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर कई हमले किए.
लोकसभा ने पिछले सप्ताह संविधान के कामकाज पर चर्चा करने के लिए एक अतिरिक्त दिन की बैठक की.
लोकसभा में संविधान पर 16 घंटे और राज्यसभा में 17 घंटे चर्चा हुई. हालांकि, आधे घंटे या छोटी अवधि की कोई चर्चा नहीं हुई. इन चर्चाओं में मंत्रियों को सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जवाब देना होता है.
विधायी थिंक टैंक पीआरएस इंडिया के अनुसार, लोकसभा में 20 में से 12 दिनों में प्रश्नकाल 10 मिनट से अधिक नहीं चला. हालांकि, लोकसभा में स्थगन प्रस्तावों के लिए कई नोटिस प्राप्त हुए, लेकिन उनमें से कोई भी स्वीकार नहीं किया गया.