
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर आज पीएम मोदी मध्य प्रदेश के खजुराहो में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखेंगे. ऐसे में आइए जानते हैं इस परियोजना से जुड़ी अहम बातें...
क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना
केन -बेतवा लिंक परियोजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश में केन नदी से पानी को यूपी में बेतवा में स्थानांतरित करना है ताकि सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र की सिंचाई की जा सके. बता दें कि केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किमी उत्तर की ओर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में चिल्ला गांव में यमुना नदी में मिलती है. केन और इसकी सहायक नदियों पर पांच बांध हैं.
वहीं, बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलकर 576 किमी बहने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना में मिलती है. बेतवा और इसकी सहायक नदियों पर पहले से 24 बांध हैं. इन्हीं दोनों नदियों को जोड़ा जाना है.
इस परियोजना की कब हुई शुरुआत
अटल बिहारी जब देश के प्रधानमंत्री थे तब देश की 36 नदियों को आपस में जोड़ने का फैसला किया गया था. उनमें से एक प्रोजेक्ट केन-बेतवा नदी को लेकर भी था. हालांकि, कई सालों से ये काम अटका था.परियोजना के तहत केन और बेतवा दोनों नदियों को जोड़ने के लिए एक नहर बनाई जाएगी और दौधन बांध का निर्माण कर केन नदी का पानी बेतवा तक पहुंचाया जाएगा.
यूपी और एमपी..दो राज्यों को होगा फायदा
केन-बेतवा प्रोजेक्ट के जरिए मध्य प्रदेश के 10 जिलों में लगभग 44 लाख लोग और उत्तर प्रदेश के 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा. यानी इस परियोजना से दो राज्यों की कुल 65 लाख आबादी को सीधा फायदा पहुंचेगा. इस परियोजना का अनुमानित खर्च 44,605 करोड़ रुपये है. यानी इस परियोजना के जरिए दो राज्यों को सीधा पहुंचेगा.
एमपी के इन जिलों को होगा फायदा
मध्य प्रदेश के जिन 10 जिलों को इस परियोजना से फायदा होगा उनमें पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी एवं दतिया हैं. इन जिलों के करीब दो हजार गांवों की 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी.
यूपी के इन जिलों को होगा फायदा
वहीं, उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों में किसानों को फायदा होगा. इस परियोजना का सबसे बड़ा फायदा बुंदेलखंड के लिए बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इससे बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाकों को नया जीवन मिलेगा.
पैदा की जाएगी बिजली
इस परियोजना के तहत जल विद्युत परियोजनाओं से हरित ऊर्जा में 130 मेगावाट का योगदान और औद्योगिक इकाइयों को पर्याप्त पानी सप्लाई मिलेगी. इससे उम्मीद जताई जा रही है कि इन इलाकों में औद्योगिक विकास के साथ ही रोजगार के भी साधन बढ़ेंगे.
42 तालाबों का होगा पुनर्निमाण
इसी परियोजना के तहत चंदेल कालीन लगभग 42 पुरातन तालाबों का भी विकास और पुनर्निमाण किया जाएगा.
बाढ़ और सूखे से मिलेगी राहत
इस परियोजना के तहत दौधन बांध के निर्माण से दोनों राज्यों में बाढ़ और सूखाग्रस्त इलाकों को राहत मिल सकेगी.
किसानों की सिंचाई की समस्या का होगा समाधान
इस परियोजना के माध्यम से किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा और यह पीने और औद्योगिक उपयोगों के लिए भी पर्याप्त जल आपूर्ति करेगा. इस परियोजना के तहत आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और नई रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र में जलस्तर भी सुधरेगा. यादव ने कहा कि केन-बेतवा परियोजना देश की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है, जो भूमिगत प्रेशराइज्ड पाइप सिंचाई प्रणाली अपनाती है.
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पेयजल की सुविधा बढ़ेगी
सीएम मोहन यादव ने बताया कि बांध में 2,853 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी संग्रहित किया जाएगा. केन नदी का अतिरिक्त पानी दौधन बांध से 221 किलोमीटर लंबी लिंक नहर के माध्यम से बेतवा नदी में स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे दोनों राज्यों में सिंचाई और पेयजल सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
पन्ना टाइगर रिजर्व को भी फायदा
सीएम मोहन यादव ने बताया कि दौधन जलाशय पन्ना टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों को साल भर पीने का पानी उपलब्ध कराएगा, वन पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करेगा और यूपी के बांदा जिले को बाढ़ के खतरे से राहत दिलाएगा. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में व्याप्त जल संकट समाप्त होगा और रोजगार के लिए पलायन पर भी रोक लगेगी.
क्यों लंबे समय तक अटका रहा ये प्रोजेक्ट
अब सवाल ये उठता है कि आखिर इस परियोजना में इतनी देरी क्यों हुई? दरअसल, पर्यावरणीय और वन्यजीव संरक्षण संबंधी दिक्कतों के चलते इस परियोजना में देरी हुई है. उदाहरण के लिए यह परियोजना पन्ना अभयारण्य से होकर गुजरेगी. इसको लेकर सवाल उठ रहे थे. हालांकि, परियोजना के क्रियान्वयन के लिए पीएम मोदी की मौजूदगी में 22 मार्च, 2021 को मध्य प्रदेश और यूपी के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री द्वारा एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे.