
ओमिक्रॉन के संदर्भ में ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि ये माइल्ड वायरस है. आक्सफोर्ड, लैंसेट ने भी अपनी स्टडीज़ में ओमिक्रॉन वेरिएंट को डेल्टा की तुलना में माइल्ड बाताया. आधार दिया गया हॉस्पिटलाइजेशन रेट का न बढ़ना. खैर, इसी हॉस्पिटलाइजेशन को लेकर कल केंद्र सरकार ने भी राज्यों को चेताया.
केंद्र ने कहा कि मौजूदा समय में देश में जो एक्टिव केस हैं, उनमें से 5 से 10% लोगों को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत पड़ रही है, मगर हालात तेजी से बदल रहे हैं और ऐसे में हॉस्पिटलाइजेशन की स्थितियां भी बदल सकती हैं. दूसरी ओर कल ICMR ने कोरोना गाइडलाइन में संशोधन किया, जिसके बाद कोविड पॉजिटिव व्यक्ति के कॉन्टेक्ट में आए शख्स में किसी तरह के कोरोना लक्षण होने के बाद ही उसका कोरोना टेस्ट किया जाएगा. और तो और देश कल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार, भी कोरोना संक्रमित पाए गए. उधर अमेरिका में कोरोना से स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है. और इसी बीच ओमिक्रॉन को लेकर यूरोपियन हार्ट जर्नल में एक स्टडी पब्लिश हुई है. स्टडी के मुताबिक ओमिक्रॉन का हल्का संक्रमण भी शरीर के अंगों को डैमेज कर सकता है. तो अब यहां सवाल ये है कि यूरोपियन हार्ट जर्नल की इस स्टडी का आधार क्या है और जैसा कि स्टडी में कहा गया है कि ओमिक्रॉन की वज़ह से हार्ट की pumping power औसतन 1 से 2 परसेंट कम हो जाती है, वहीं खून में प्रोटीन का लेवल 41 परसेंट तक बढ़ जाने की भी बात कही गई है. तो अगर इन दोनों चीज़ों को Body functioning के हिसाब से इसे समझना चाहें तो ये बदलाव शरीर को किस तरह प्रभावित कर सकते हैं?
देश में पिछले पांच दिनों से रोजाना कोरोना मामले एक लाख के आंकड़े को पार कर रहे हैं. पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के करीब 1 लाख 80 हज़ार मामले दर्ज किए गए हैं. इस दफा कोरोना की रफ्तार की बात करें तो मात्र 10 दिनों में देश में कोरोना के एक लाख केस दर्ज किए गए, दूसरी लहर में इस संख्या तक पहुंचने में देश को 50 दिन लगे थे और पहली लहर में 120 दिन. मौजूदा वक्त में महाराष्ट्र और कोलक्ता में सबसे ज्यादा कोविड मरीज़ मिल रहे हैं तो वहीं दिल्ली इस मामले में तीसरे नंबर पर है. पिछले 24 घंटे में महाराष्ट्र में 45 हजार नए मामले सामने आए तो वहीं पश्चिम बंगाल में करीब 24 हजार से ज्यादा कोविड केस दर्ज किए गए. दिल्ली में ये आंकड़ा करीब 22 हजार के आस पास है. तो अब लाज़मी है कि कोविड के बढ़ते इन आंकड़ों के देखते हुए तीसरी लहर के पीक की बातें शुरू होंगी. इसी को लेकर आईआईटी कानपुर में एक स्टडी की गई है जिसमें मौजूदा लहर के पीक और इसके डाउनफॉल की बात है. तो क्या कहती है ये स्टडी और इसके आंकड़े? अगर हम कोरोना के डेटा की बात करें तो भारत और बाकी देशों में आप क्या फ़र्क़ पाते हैं?
चुनाव आयोग ने जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा बीते शनिवार को की उसमे एक राज्य गोवा भी है. पयर्टन के लिहाज से बहुत मशहूर लेकिन हिस्सेदारी, आबादी के लिहाज से छोटा. ज़ाहिर है राजनीति स्वार्थ का ही खेल है तो नेता सारा फोकस वहाँ रखते हैं जहाँ उनको फायदा ज्यादा हो. खैर, गोवा में वर्तमान में बीजेपी की सरकार है. और इस बार राजनीतिक परिस्थिति भी बदली बदली है. दरअसल, पहले तो ये लग रहा था कि गोवा में हमेशा की तरह भाजपा बनाम कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा. कांग्रेस ने अलायंस भी बनाना शुरू कर दिया था और गोवा की क्षेत्रीय पार्टी, गोवा फॉरवर्ड के साथ गठबंधन की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन गोवा की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस के उतरने से तस्वीर बदल गई है. दूसरी तरफ इधर सत्ताधारी दल बीजेपी की भी चिंता बढ़ी हुई है. 5 साल तक सत्ता में रही बेजेपी के साथ एक एन्टी ईनकम्बेंसी का भी फैक्टर देखा जा रहा है. इसी बीच कल ख़बर आई कि गोवा से बीजेपी विधायक और राज्य सरकार में मंत्री माइकल लोबो ने इस्तीफा दे दिया है.
माइकल बीजेपी के लिए अच्छे जनाधार वाले नेता रहे हैं, और उनका अचानक आया ये इस्तीफा चुनावों के लिहाज से मुश्किलें बढ़ा सकता है. सवाल ये है कि अचानक से माइकल के इस इस्तीफ़े की वजह क्या है? लोबो का ये इस्तीफा भाजपा के लिए कितना बड़ा सिरदर्द है? और क्या संकेत मिल रहे हैं अब तक कि लोबो अब किस पार्टी में जा सकते हैं?
इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के इतिहास की अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ