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आज का दिनः एक साल तक चले किसान आंदोलन के बाद अचानक इतनी नरम कैसे पड़ गई सरकार?

किसान आंदोलन एक साल चला. कई मोर्चे पर बातचीत की पहल हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला. एक साल बाद अचानक सरकार नरम कैसे पड़ गई. महिलाओं की तुलना में पुरुष क्या ज्यादा कोरोना से प्रभावित हुए, ऐसे कई सवालों के जवाब इस खास एपिसोड में सुनिए.

किसान आंदोलन (FILE) किसान आंदोलन (FILE)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:15 AM IST

'आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में आज हम चर्चा करेंगे कि एक साल तक चले किसान आंदोलन के बाद अचानक इतनी नरम कैसे पड़ गई सरकार? क्या महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा कोरोना से प्रभावित हुए हैं?

आजतक रेडियो पर हम रोज़ लाते हैं देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब  किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं.

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देश का बीता एक साल किसानों के लिहाज से बहुत अहम साल था. किसानों ने कृषि बिल को लेकर आपत्ति भी दर्ज कराई, आंदोलन भी हुआ और मांग भी मानी गई. कृषि कानून वापसी के बाद से ही आंदोलन वापसी की उम्मीदें लगाए सरकार के सामने दिक्कत ये हुई कि किसानों की मांग जो सरकार को कृषि कानूनों की वापसी तक सिमटी लग रही थी, वो और आगे तक दिखी. उन मांगों में से बड़ी मांग एमएसपी को लेकर कानून की थी. सरकार एमएसपी कानून को लेकर मांग अलग अलग तरीकों से खारिज़ करती रही.

कभी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नकारा तो कभी कृषि मंत्री ने एमएसपी कानूनों की राह के पेंच बताए, लेकिन अब ख़बर है कि सरकार किसानों की इन मांगों पर भी निपटारे को राजी दिख रही है. केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों पर चर्चा करने लिए उन्हें बुलाया है और पांच किसान नेताओं के नाम भी मांगे हैं. 

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इसके साथ ही ये ख़बर भी है कि अगर सरकार किसानों की सभी मांगों को मान लेती है तो किसान 4 दिसंबर को अपना आंदोलन खत्म कर सकते हैं. इन तमाम बातों को समझने के बाद अब यहां सवाल ये उठता है कि अचानक से सरकार इतनी नरम कैसे पड़ गई? और इसका कारण क्या है? 

क्या महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा कोरोना से प्रभावित हुए हैं?
 
बात अब कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर चर्चा और चिंताओं के बीच दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल से आई एक रिपोर्ट की, जिसमें ब्लड ग्रुप के आधार पर ये बताया गया है कि किस ब्लड ग्रुप के लोगों को कोरोना ने सबसे ज़्यादा परेशान किया है. किन ब्लडग्रुप के लोगों पर इसका असर कम रहा. इससे पहले भी कई फॉरेन रिपोर्ट्स कोरोना को लेकर ब्लडग्रुप आधारित निष्कर्ष देती रही हैं. करीब ढाई हजार लोगों पर की गई ये रिसर्च ये भी कह रही है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा कोरोना से प्रभावित हुए हैं. अब ये स्टडी की कैसे गई, किन आधारों पर हुई और इस रिपोर्ट के हाइलाइटेड पॉइंट क्या रहे ?

खिलाड़ियों को रिटेन करने के पीछे टीम का रणनीतिक मकसद क्या है?
 
पिछला आईपीएल गुजरे महीने दो महीने ही बीते हैं कि अगले साल के आईपीएल की पटकथा लिखी जानी शुरू हो गई है. और अगले साल के आईपीएल की इस पटकथा में एक ट्विस्ट ने और रस भर दिया है. वो ट्विस्ट है मेगा ऑक्शन का जहां सारी टीमों के खिलाड़ी रिलीज हो जाएंगे और उनकी बोली फिर से लगेगी, लेकिन इस मेगा ऑक्शन के ठीक पहले टीमों को एक मौका दिया गया था अपने मैक्सिमम चार खिलाड़ियों को रिटेन करने का यानी मेगा ऑक्शन से बचाने का. और कल उन चारों खिलाड़ियों के नाम अनाउंस करने का आख़िरी दिन भी था. तो टीमों ने बताया कि वो किसे रिटेन कर रही हैं.अब ये रिटेंशन प्रक्रिया कितनी उम्मीदों के मुताबिक रही, कौन से ख़िलाड़ी रिटेन किये जाने की उम्मीद थी और वो रिटेन नहीं हुए, कौन से नाम जिनका रिटेन किया जाना चौंका गया और खिलाड़ियों को रिटेन करने के पीछे टीम का रणनीतिक मकसद क्या है?

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इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के इतिहास की अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ 
 
1 दिसंबर 2021 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें

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