
आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद (लड्डू) को लेकर CM चंद्रबाबू नायडू ने सवाल उठाए हैं. सीएम ने आरोप लगाया है कि जिस घी से लड्डू का प्रसाद तैयार किया जाता था, उसमें मछली के तेल और जानवरों की चर्बी की मिलावट पाई गई है. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने कहा है कि जिस ब्लैक लिस्टेड सप्लायर के घी में मिलावट मिली है, उसे जगन मोहन सरकार के दौरान ठेका दिया गया था. इस घटना के बाद देशभर के बड़े मंदिरों के श्रद्धालुओं मे डर का माहौल बना हुआ है. आइए.. पता करते हैं कि देश के बड़े मंदिरों में कैसे प्रसाद बनता है. वहां शुद्धता का कितना ख्याल रखा जाता है.
तिरुपति मंदिर के बाद शिरडी साईंबाबा मंदिर का लड्डू प्रसाद भक्तों में बहुत प्रसिद्ध है. यहां सालाना तकरीबन 650 टन लड्डू प्रसाद 'नो प्रॉफिट नो लॉस' बेसिस पर वितरित किया जाता है, जबकि सालभर में 2 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं को 350 टन लड्डू प्रसाद मुफ्त में वितरित किया जाता है. साईंबाबा मंदिर ट्रस्ट के सीईओ ने लड्डू प्रसाद बनाते समय FSSAI की शर्तें फॉलो कर देशी घी, ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल करने का दावा किया है.
शिरडी साईंबाबा मंदिर ट्रस्ट के सीईओ गोरक्ष गाडीलकर ने कहा कि साईं भक्तों को दर्शन के बाद मुफ्त में बूंदी का प्रसाद दिया जाता है. सालभर में 2 करोड़ भक्त आते हैं. उन्हें 50 ग्राम प्रसाद दिया जाता है. जबकि 20 रुपए का पैकेट भी भक्तों को दिया जाता है, इसमें 2 लड्डू होते हैं. यह 'नो प्रॉफिट नो लॉस' के आधार पर वितरित किया जाता है. सालाना 650 टन लड्डू प्रसाद इसी आधार पर बेचा जाता है. लड्डू बनाते समय हाइजीन मेंटेन किया जाता है. fssai की सभी शर्तों का पालन किया जाता है. लड्डू में गाय का शुद्ध घी, चना दाल, इलायची का इस्तेमाल किया जाता है.
सिद्धिविनायक मंदिर में ऐसे बनता है प्रसाद
तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू प्रसाद पर मचे बवाल के बाद देश के तमाम बड़े मंदिरों में बहस छिड़ गई है कि क्या मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से अलग करने का सही वक्त आ गया है? अब बात करते हैं मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर की. जहां सालों से श्रद्धालुओं के लिए लड्डू और नारियल के प्रसाद बनाए जा रहे हैं. इन प्रसादों में कितनी शुद्धता है और किन-किन चीजों से यह बनाए जाते हैं, इस पर मंदिर ट्रस्ट की पदाधिकारी वीना पाटिल ने बात की.
वीना पाटिल ने बताया कि हम प्रसाद की शुद्धता का बहुत ध्यान रखते हैं. क्वालिटी से कोई खिलवाड़ नहीं किया जाता है. लड्डू प्रसाद में गाय के घी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें बेसन, इलायची पाउडर और काजू-किसमिस का इस्तेमाल करते हैं. हमारा स्टाफ हाथ से लड्डू बनाता है और मशीन से पैकिंग की जाती है. ई-टेंडर के जरिए सामान खरीदा जाता है, लेकिन हमारी एक्सपर्ट की टीम वहां जाती है और पूरा निरीक्षण करती है. पहले सामान का सैंपल लिया जाता है, सैंपल क्लियर होने के बाद ही सामान की खरीद की जाती है. उन्होंने बताया कि हम लोग रोजाना 50 हजार लड्डू बनाते हैं. जब कोई उत्सव होता है तो इसकी संख्या रोजाना 70 हजार लड्डू तक जाती है.
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काशी विश्वनाथ मंदिर में रखा जाता है शुद्धता का ख्याल
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से रोजाना करीब एक हजार किलो महाप्रसाद यानी लड्डू भक्त खरीदकर ले जाते हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने लड्डूओं की पूर्ति की जिम्मेदारी 2 वेंडरों को दी है, जैसे ही तिरुपति के प्रसाद पर विवाद हुआ वैसे ही विश्वनाथ मंदिर के अधिकारियों और कर्मचारियों का दल वेंडर के यहां यानी जहां लड्डू निर्माण हो रहा है, वहां निरीक्षण के लिए गया.
लड्डू निर्माण के दौरान गुणवत्ता, शुद्धता और पवित्रता परखने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के SDM शंभू शरण सिंह पहुंचे. उन्होंने शुरू से लेकर अंत तक की लड्डू निर्माण की पूरी प्रक्रिया की जांच की. उन्होंने बताया कि मंदिर के प्रसाद की गुणवत्ता की चेकिंग फूड डिपार्टमेंट से कराई जाती है, ताकि गुणवत्ता बनी रहे. घी की लैब रिपोर्ट कराई है, जिसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली है, लेकिन संतुष्टि के लिए एक बार फिर सैंपलिंग कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि बाबा विश्वनाथ जी को भोग लगने वाले प्रसाद को तो मंदिर के पुजारी ही बनाते हैं. इसके अतिरिक्त भक्तों के लिए प्रसाद की पूर्ति के लिए वेंडर से टाईअप है.
वेंडर अशोक हलवाई ने बताया कि गुणवत्ता, शुद्धता और पवित्रता का पूरा ख्याल रखा जाता है. वर्कर तक के खाने पीने का ख्याल रखते हैं, वे खुद भी लहसुन प्याज या मादक पदार्थ तक का सेवन नहीं करते हैं. वर्कर मास्क लगाकर लड्डू बनाते हैं. लड्डू निर्माण में सिर्फ सनातनी ही जुटे हैं.
पटना के महावीर मंदिर में कैसे बनता है नवेद्यम प्रसाद?
पटना के महावीर मंदिर में आजतक की टीम उस कारखाने में पहुंची जहां रोजाना हजारों किलो नवेद्यम प्रसाद बनाया जाता है. कारखाने में एक साथ 30 क्विंटल लड्डू बनाए जा रहे थे. कारखाना के मैनेजर शेषाद्रेय ने बताया कि यहां दिन के हिसाब से लड्डुओं की मेकिंग होती है. मंगलवार को सबसे अधिक 80 क्विंटल लड्डू बनाए जाते हैं. बाकी दिन 30 क्विंटल लड्डू तैयार होते हैं. हम शुद्धता का पूरा ख्याल रखते हुए लड्डू बनाते हैं. मैनेजर ने बताया कि यहां नंदनी घी का इस्तेमाल कर लड्डू बनाए जाते हैं. मंदिर के अध्यक्ष किशोर कुणाल ने इसी घी में नवेद्यम बनाने का निर्देश दिया है. मैनेजर ने बताया कि यहां लड्डू बनाने के लिए बाहर से बेसन नहीं खरीदते हैं. शुद्धता का ख्याल रखते हुए हम लोग चना दाल खरीदते हैं और अपनी चक्की में चना दाल की पिसाई कर बेसन तैयार करते हैं. बेसन तैयार होने के बाद घी में बूंदी को छाना जाता है. फिर मशीन में चाशनी तैयार की जाती है. मिक्सिंग के बाद हाथ से लड्डू के आकार में नवेद्यम तैयार किया जाता है.
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ये है प्रसाद बनाने की विधि
उज्जैन में भगवान श्री महाकालेश्वर को अर्पित किया जाने वाला भोग प्रसाद गुणवत्ता और शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है, साथ ही श्रद्धालुओं को प्रसाद में दिए जाने वाले लड्डू प्रसाद को शु़द्धता और अधिकारियों की देखरेख में तैयार किया जाता है. मंदिर प्रबंध समिति लड्डू में शुद्धता बनाए रखने के लिए बेसन की बजाय चने की दाल खरीदती है और उसे प्रसाद भवन में ही लगी चक्की में पीसा जाता है. यहां से जो बेसन तैयार होता है, उसे प्रसाद के लिए उपयोग किया जाता है. इसके अलावा रवा, काजू किसमिस की क्वालीटी चेक करने के बाद ही मंदिर समिति उसे खरीदती है. मंदिर समिति प्रसाद में शुद्वता बनाए रखने के लिए शासकीय डेरी का घी सांची या जो मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत हो, उसी ब्रांड का उपयोग करती है. श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक डॉ. पीयूष त्रिपाठी बताते हैं कि महाकाल मंदिर के प्रसाद की शुद्धता के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिल चुके हैं. शुद्धता की कसौटी पर खरा उतरने के कारण ही अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि ट्रस्ट द्वारा उन्हें प्रसाद संबंधी जानकारी के लिए आमंत्रित किया गया था, जिसके बाद उज्जैन से अयोध्या गई टीम ने गुणवत्ता के साथ लड्डू प्रसाद के निर्माण की जानकारी दी थी.