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किसानों का आंदोलन जारी, UPA के चेयरमैन बन सकते हैं पवार, सुनें 'आज का दिन'

सरकार ने तो किसानों को साफ़ संकेत दे दिए हैं कि कृषि क़ानून वापस नहीं होने वाला. उधर किसान इससे कम कुछ चाहते ही नहीं हैं. कल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की. कहा हमने किसानों से कई दौर की बातचीत की है, उनके हर सवाल का जवाब प्रस्ताव में लिखकर दिया है.

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:34 AM IST

सरकार ने तो किसानों को साफ़ संकेत दे दिए हैं कि कृषि क़ानून वापस नहीं होने वाला. उधर किसान इससे कम कुछ चाहते ही नहीं हैं. कल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की. कहा हमने किसानों से कई दौर की बातचीत की है, उनके हर सवाल का जवाब प्रस्ताव में लिखकर दिया है, और क़ानूनों को अपने दायरे में संशोधित किया है.. इससे APMC और MSP कहीं प्रभावित नहीं होती. तो सरकार ने बातचीत का रास्ता अब भी खोला हुआ है. सवाल ये है कि क्या किसानों को कुछ बातों पर क्लीयरिटी नहीं है.. ये जानने के लिए हमने बात की किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह से.

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और कल एक खबर राजनीतिक गलियारों मे खूब घूमी. इसके बाद बाहर भी चर्चा होने लगी. कहा जा रहा है कि शरद पवार जो फिलहाल एनसीपी के प्रमुख हैं.. यूपीए के चेयरमैन बन सकते हैं और सोनिया गांधी को रीप्लेस कर सकते हैं. हालाँकि शरद पवार और उनकी पार्टी ने ख़बर का खंडन किया है लेकिन शिवेसना जैसे दलों ने इसका स्वागत भी किया. हमने फोन मिलाया मुंबई में हमारे रिपोर्टर कमलेश सुतार को और उनसे पूछा कि ये ख़बर उड़ी कैसे और क्या इसमें कुछ ठोस है?

पिछले महीने कार्टून विवाद, फिर इस्लामिक देशों के साथ जुबानी जंग और उसके बाद आतंकी घटनाओं की वजह से यूरोप का एक देश सुर्खियों में रहा. नाम है फ्रांस. अब फ्रांस आतंकवाद और बाहरी ख़तरे की आशंका को देखते हुए अपने सैनिकों को अजेय बना रहा है. इसके लिए वो कुछ दवाओं का सहारा ले रहा है ताकि उसके सैनिकों की बायोलॉजिकल कैपेबिलिटी को बढ़ाने पर काम शुरू हो. इसे बायोनिक सैनिक कहा जा रहा है. तो क्या है फ्रांस की पूरी योजना ? इसके क्या खतरे हैं, और दूसरे देश इस तरह के प्रयास में कहाँ हैं ? यही बता रहे हैं हमारे सहयोगी कुमार केशव.

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और फ्रांस से ही जुड़ी एक और ख़बर है. ख़बर ये कि फ्रांस के डेटा प्राइवेसी रेगुलेटर CNIL ने गूगल पर 10 करोड़ यूरो और अमेज़न पर 3.5 करोड़ का फ़ाइन लगाया है. यह फाइन फ्रांस की ऑन लाइन एडवर्टाइजिंग ट्रैकर्स (कुकीज) के नियमों के उल्लंघन के मामले में लगाया गया है. CNIL ने गूगल पर ये अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना ठोका है. तो ये किस तरह के नियम हैं जिसका उल्लंघन गूगल और अमेज़न को भारी पड़ा? 

और ये भी सुनिए कि 11 दिसंबर की तारीख महत्वपूर्ण क्यों है, इतिहास इस पर क्या कहता है. साथ साथ अख़बारों का हाल भी लेंगे. इतना सब कुछ महज़ आधे घंटे में सुनिए मॉर्निग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में नितिन ठाकुर के साथ. 

'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें

 

 

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