गाजीपुर बॉर्डर से बैरंग लौटी पुलिस, किसान और तेज करेंगे आंदोलन, सुनें 'आज का दिन'

कल देर शाम अचानक पूरे देश की नजर गाजीपुर बॉर्डर पर जा कर टिक गई. कारण था उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा धरनास्थल खाली कराने का आदेश जारी करना. हालांकि, राकेश टिकैत के एक दांव के आगे पुलिस को बैरंग वापस लौटना पड़ा.

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गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस के आला अफसर (फोटो-PTI) गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस के आला अफसर (फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 9:13 AM IST

कल देर शाम अचानक पूरे देश की नजर गाजीपुर बॉर्डर पर जा कर टिक गई. कारण था उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा धरनास्थल खाली कराने का आदेश जारी करना और वहां अचानक से भरी संख्या में पुलिस फोर्सेज की तैनाती। यहां पर बीते दो महीने से किसानों का आंदोलन चल रहा है. गाजीपुर बॉर्डर पर कल शाम धारा 144 लगा दी गई. प्रदर्शनकारियों को ले जाने के लिए प्रशासन बसें लेकर पहुंचा. RAF यानि रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गयी. इस सबके बीच किसान नेता राकेश टिकैत वहां अनशन पर बैठ गए हैं. उन्होंने आत्महत्या की धमकी दी है. और उन्हें जब लगने लगा कि पुलिस यहां से किसानों को उठा देगी तो वे मीडिया के सामने भावुक हो गए. उनके आंसू टर्निंग प्वाइंट बन गए. देखते-देखते आंदोलन स्थल की तस्वीर बदल गई. लौट रहे किसानों के कई जत्थे वापस आ गए और धरना स्थल खाली कराने आई पुलिस को देर रात को बैरंग वापस लौटना पड़ा. उधर प्रशासन ने गाजीपुर बॉर्डर को दोनों तरफ से बंद कर दिया और पुलिस ने लोगों को गाजीपुर से ना जाने की सलाह दी. धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 133 के तहत नोटिस थमाया है.

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देर रात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का किसानों के मसले पर एक ट्वीट भी आया. राहुल गाँधी ने लिखा कि ये एक साइड चुनने का समय है. उनका  फैसला साफ है. वो लोकतंत्र के साथ हैं, वो किसानों और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ हैं.  इसी बीच एक ख़बर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से आई. वहां आज एक महापंचायत बुलाई गयी है. यह महापंचायत सुबह 11 बजे राजकीय इंटर कॉलिज में बुलाई गयी है जहाँ किसान जुटेंगे. महापंचायत का ऐलान भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने किया. नरेश टिकैत राकेश टिकैत के बड़े भाई हैं. उन्होंने ने ट्वीट करके कहा है कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे और मेरे छोटे भाई राकेश टिकैत के ये आंसू व्यर्थ नहीं जाएंगे. सुबह महापंचायत होगी और अब हम इस आंदोलन को निर्णायक स्थिति तक पहुंचा कर ही दम लेंगे.

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इस सबके बीच आज से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है. यह दो चरणों में होगा. परम्परा के मुताबिक ही साल के इस पहले संसद सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी। कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बजट सत्र के हंगामेदार रहने के आसार साफ़ नजर आ रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर अमेरिका का बाइडेन प्रशासन अपना समर्थन देगा या नहीं यह अभी शंका का विषय है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की दूत के तौर पर नामित लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने इस मामले में साफ़ प्रतिक्रिया नहीं दी है. हुआ ये कि संयुक्त राष्ट्र की दूत के तौर पर नामित थॉमस-ग्रीनफील्ड से जब अमेरिकी सांसद जेफ मर्कले ने सवाल पूछा कि क्या वो मानती हैं कि संंयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत, जर्मनी और जापान को स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए? तो जवाब में लिंडा ने कहा कि ये चर्चा का विषय है. उधर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कल आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि चीन ही है जो परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह, Nuclear Suppliers Group (NSG) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की सदस्यता पाने वाले भारत के लिए सबसे बड़ी बाधा है. अब ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ साथ, इस मामले में भारत को लेकर उसके स्टैंड में भी एक शिफ्ट आया है?  और विदेश मंत्री ने जो चीन को लेकर कहा है कि चीन का स्टैंड भारत की ओर डुअल है. इस बयान के क्या मायने है?

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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने तौर पर कमर कसने लगे हैं। अब तक टीएमसी और भाजपा मुख्य रुओ से मैदान में नज़र आ रहें थे। मगर, अब कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के बीच भी गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हैं। ख़बर है कि दोनों पार्टियों के बीच 193 सीटों पर बात बन गयी है। इन में से 101 पर लेफ्ट पार्टियां और 92 पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। बाकी सीटों के लिए अगली बैठक में फैसला किया जाएगा। ऐसे में, ये सीट शेयरिंग फॉर्मूले किसके हक में हैं ? क्योंकि, 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस वाम मोर्चे के गठबंधन में सबसे अधिक फायदा कांग्रेस को ही हुआ था। तो इस बार का क्या? क्या ये गठबंधन, भाजपा और टीएमसी जैसे दल के सामने टिक भी पायेगा? वाम मोर्चा, जो प्रदेश में तीन दशकों तक सत्ता में रहा, वो कांग्रेस को इतना ज्यादा सीट देने पर कैसे सहमत हो गया?

पबजी गेम के बैन होने के बाद मानो गेमर्स की ज़िंदगी में एक अकेलापन सा छा गया था, लेकिन अब एक लंबे इंतेज़ार के बाद FAUG मोबाइल गेम 26 जनवरी को लॉन्च कर दिया गया. हालांकि ये गेम अब भी पूरा नहीं है, क्योंकि अभी तीन मोड्स में से एक ही खेला जा सकता है और दो कमिंग सून है.  बहरहाल FAUG -Fearless and United Guards को गूगल प्ले स्टोर से 24 घंटे के अंदर लगभग 3 लाख बार डाउनलोड किया गया है. और ये गेम अभी सिर्फ गूगल प्ले स्टोर पर ही है यानी इसे फिलहाल सिर्फ एंड्रॉयड में ही खेला जा सकेगा. आने वाले समय में कंपनी इसे iOS पर भी लॉन्च कर सकती है. गूगल प्ले स्टोर पर मिले रेटिंग की बात करें तो इस गेम को मिक्स्ड रिव्यूज मिल रहे हैं. कुछ यूजर्स गेम में ग्लिच आने की शिकायत कर रहे हैं तो कुछ इसे शानदार ग्राफिक्स वाला गेम बता रहे हैं. तो ये गेम कैसा है, इसकी शुरुआत कैसे होती है?

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इन सब ख़बरों पर विस्तार में एक्सपर्ट्स के साथ बात होगी और देश विदेश के अख़बारों से सुर्खियों के अलावा आज के दिन की इतिहास में अहमियत भी बताएंगे, तो सुनिए 29 जनवरी का न्यूज़ एनालिसिस पॉडकास्ट 'आज का दिन' अमन गुप्ता के साथ.

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