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किसानों का आंदोलन जारी, भारत-चीन के बीच टेंशन बरकरार, सुनें 'आज का दिन'

कल कृषि कानून पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच एक बैठक हुई. चार घंटे चली लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. बस तय इतना भर हुआ कि कल फिर बैठेंगे. अब इंतज़ार कल दोपहर की बारह बजे का है.

किसानों का प्रदर्शन जारी किसानों का प्रदर्शन जारी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:20 AM IST

कल कृषि कानून पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच एक बैठक हुई. चार घंटे चली लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. बस तय इतना भर हुआ कि कल फिर बैठेंगे. अब इंतज़ार कल दोपहर की बारह बजे का है. कल जो बैठक हुई उसे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पॉज़िटिव बताया और कहा कि सरकार चाहती है आंदोलन जल्द ख़त्म हो लेकिन सरकार के साथ बातचीत में हिस्सा लेनेवाले किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि अभी तो आंदोलन जारी रहेगा. उधर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का किसान आंदोलन पर बयान सुर्खियों में है. उस पर भारत की प्रतिक्रिया क्या रही और दोनों देशों के बीच जैसे संबंध हैं उसकी रौशनी में इन टिप्पणियों को कैसे लिया जा रहा है ये समझा हमने इंडिया टुडे टीवी की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन से.

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भारत और चीन का टेंशन ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा. हालत ये है कि लद्दाख में टेंपरेचर माइनस से बीस डिग्री नीचे आ गया है लेकिन दोनों पक्षों का पारा हाई है. भारत ने डटे रहने की तैयारी पहले ही कर रखी है लेकिन शायद चीन को इस बात का अंदाज़ा था नहीं. यही वजह है कि अब चीन अपने सैनिकों के लिए इमरजेंसी विंटर शॉपिंग कर रहा है तो चीन की लास्ट मिनट प्रीपेरेशन के बारे में बता रहे हैं हमारे सहयोगी अभिषेक भल्ला.

70 देशों में जूते चप्पल बेचनेवाली कंपनी बाटा में 126 साल से जो नहीं हुआ वो हो रहा है. पहली बार बाटा ने किसी भारतीय को अपना ग्लोबल CEO बनाया है. संदीप कटारिया को ये मौक़ा मिला है. फिलहाल तो कटारिया बाटा इंडिया के सीईओ हैं. कौन हैं संदीप कटारिया उनके बारे में जानने के लिए हमने बात की हमारे मार्केट एक्सपर्ट शुभम शंखधार से. 

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अब एक ख़बर ऐसी जो दुनिया भर के लोगों को हैरान परेशान कर रही है. पिछले दिनों अमेरिका के यूटाह में रेगिस्तान के बीच मॉनलिथ दिखा था. मॉनलिथ होती है पत्थर की एक शिला जिसे प्राचीन काल में लोग गाढ़ देते थे. तो वो जो मॉनलिथ था वो अचानक उस रेगिस्तान में दिखा लेकिन कुछ दिन बाद ग़ायब हो गया. पता नहीं चला कि कहां से आया और कहां गया और अब अचानक रोमानिया के उत्तरी इलाक़े में वैसा ही स्ट्रक्चर दिखा है. हमारे साथी अमन गुप्ता बता रहे हैं इसके बारे में.

और ये भी सुनिए कि 2 दिसंबर की तारीख महत्वपूर्ण क्यों है, इतिहास इस पर क्या कहता है. साथ साथ अख़बारों का हाल भी लेंगे. इतना सब कुछ महज़ आधे घंटे में सुनिए मॉर्निग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में नितिन ठाकुर के साथ. 

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