
कोरोना का ख़तरा और गिरते पारे के बीच किसानों की बड़ी लड़ाई जारी है.भारत बंद और सरकार के प्रस्ताव को ख़ारिज़ करने के बाद किसान नेताओं ने अपने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है. किसान संगठनों ने कहा है कि वो दिल्ली के सभी बॉर्डर पर आज दिनभर के लिए अनशन करेंगे. इसके अलावा आज देश भर में प्रशासनिक कार्यालयों और बीजेपी दफ़्तरों के घेराव का कार्यक्रम भी है. उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी किसानों के समर्थन में अनशन करने का फैसला किया है और यही अपील उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं नेताओं और देश भर के लोगों से की है.
उधऱ केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को धार देने की किसानों की मुहिम की एक झलक भी रविवार को देखने को मिली. राजस्थान से दिल्ली कूच कर रहे किसानों को हरियाणा बॉर्डर पर रोक लिया गया तो किसान वहीं धरने पर बैठ गए. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उत्तराखंड के कुछ किसानों ने मुलाकात की और नए कृषि कानूनों का समर्थन किया. उधर गृहमंत्री अमित शाह ने भी पंजाब के बीजेपी नेताओं से फ़ीडबैक लिया. तो सरकार ने अब नेताओं और किसान संगठनों से अलग-अलग बातचीत और फ़ीडबैक लेना शुरू किया है. इससे क्या होगा? और कैसे इसके पीछे सरकार किसानों के आंदोलन को कमज़ोर करना चाह रही है?
असम के बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद यानि BTC के चुनावों में बीजेपी एकला चलो रे के साथ आगे बढ़ी और 40 निर्वाचित सीटों से में 9 उसके पाले में गईं. और इससे पहले 2015 में सिर्फ़ उसका खाता भर खुल सका था. और उसी एक सीट के सहारे से बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट यानि BPF को समर्थन देकर 21 सीटों के साथ गठबंधन में BTC पर शासन किया था. लेकिन इस बार BPF के पास 17 सीटें आईं और बीजेपी के पास 9. बावजूद इसके उसने BPF से दामन छुड़ा लिया है. और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) और गण शक्ति पार्टी (GSP) के साथ हाथ मिलाया है. UPPL को 12 सीटें मिलीं हैं और GSP ने एक सीट जीती है. अब बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद में ये तीन पार्टियां मिलकर सत्ता संभालेंगी. त्रिशंकु परिणामों के साथ ये देखना दिलचस्प रहेगा कि नए दलों के साथ बीजेपी कैसा काम करेगी? पार्टी जिसके साथ पहले का गठबंधन था उससे किनारा करके दो नए दलों के साथ आने के पीछे बीजेपी की क्या रणनीति है?
हर राज्य में कोरोना की वैक्सीन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर तैयारियां जोर शोर से चल रहीं हैं. इससे पहले हम आपको गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के बारे में बता चुके हैं. आज आपको मुंबई लिए चलते है. मुंबई देश के सबसे ज़्यादा संक्रमित शहरों में से एक है. तो आखिर यहां किस तरह से पूरे वैक्सीनेशन प्रोग्राम की प्लांनिंग हो रही है जानना तो बनता ही है. अभी कुछ दिनों पहले ही यहां टास्क फोर्स की मीटिंग हुई है जहां पर लोगों को कोरोना वैक्सीन किस आधार पर दी जाएगी इसको लेकर चर्चा की गई. तो मुंबई का वैक्सीनेशन प्लान क्या है?
एक तरफ़ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वो ज़बरदस्ती फैमिली प्लानिंग कराने के ख़िलाफ है. यानी देश में रहने वाला हर नागरिक अपने आप तय करे कि उनके परिवार में कितने बच्चे हों. इधर सरकार की एक रिपोर्ट कहती है कि बच्चे को जन्म देना सुरक्षित है लेकिन बच्चों में कुपोषण के मामले बद्दतर होते जा रहे है. आप जानते ही हैं कि बच्चों की संख्या और कुपोषण दोनों का भी एक दूसरे से संबंध है. एक मां के दो बच्चों में अगर पर्याप्त अंतर न हों तो मां के जीवन को ख़तरा तो होता ही है और बच्चे भी कुपोषित हो सकते हैं. साथ ही कोई महिला ज्यादा बार मां बनती है और उसे पोषण न मिले तो उसके कुछ बच्चे कुपोषित हो सकते हैं. तो सिर्फ़ परिवार नियोजन ही नहीं बच्चों की संख्या का असर कुपोषण के ग्राफ़ पर भी पड़ता है. 2015-16 में नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे के एक रिपोर्ट के चार साल बाद बच्चों के मृत्यु दर में सुधार तो हुआ है लेकिन कुपोषण के मामले में बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित है. सरकार नेशनल हेल्थ सर्वे 2019 -20 का डेटा शेयर किया है. ये पूरा डेटा 22 राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेशों से लिया गया है. तो रिपोर्ट के अनुसार कहां बढ़े मामले और क्या रहा कारण?
इन सब मुद्दों पर चर्चा के अलावा देश-दुनिया के अख़बारों से सुर्खियां और आज के दिन की इतिहास में इम्पोर्टेंस सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.