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434 दिन बाद रिहा हुईं महबूबा, क्या है चीन की लद्दाख पर रणनीति, सुनें 'आज का दिन'

434 दिनों तक हिरासत में रहने के बाद महबूबा मुफ़्ती अब रिहा हो चुकी हैं. वो पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष हैं और धारा 370 हटाए जाने से पहले जो राज्यपाल शासन लगा था उसके पहले जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री थीं.

महबूबा मुफ़्ती (फाइल फोटो-PTI) महबूबा मुफ़्ती (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 8:07 AM IST

434 दिनों तक हिरासत में रहने के बाद महबूबा मुफ़्ती अब रिहा हो चुकी हैं. वो पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष हैं और धारा 370 हटाए जाने से पहले जो राज्यपाल शासन लगा था उसके पहले जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री थीं. अब जब वो बाहर निकली हैं तो एक बयान जारी किया है उन्होंने. इस बयान में शायद आनेवाले दिनों में उनकी सियासत कैसी होगी इसका इशारा है. इस वीडियो में उन्होंने अपना चेहरा नहीं दिखाया है. वीडियो पूरा ब्लैक है. अब ऐसा करके वो कोई संकेत दे रही हैं या फिर शायद लोगों के सामने आने से पहले कोई सस्पेंस बना रही हैं ये तो नहीं मालूम लेकिन कुछ सवाल हैं जिनके जवाब सब चाहते हैं. जैसे सरकार ने अब उन्हें रिहा करने का फैसला क्यों लिया.. अब्दुल्ला परिवार के बाद अब मुफ़्ती भी बाहर हैं तो घाटी की राजनीति पर इसका असर क्या होगा.. क्या सूबे में कोई नई राजनीतिक गोलबंदी देखने को मिलेगी क्योंकि अगर आपको याद हो तो राष्ट्रपति शासन लगने से पहले पीडीपी और नेशनल कॉन्फ़्रेंस साथ आ गई थीं. इन्हीं सवालों के जवाब दे रहे हैं श्रीनगर से आजतक संवाददाता अशरफ़ वानी.

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कांग्रेस अपने रिवाइवल को लेकर पूरे देश में लड़ रही है. बिहार भी उसका अपवाद नहीं. चुनाव भी सिर पर हैं. ऐसे में पार्टी के पास मौक़ा है कि वो जिताऊ उम्मीदवारों के सहारे राज्य की राजनीति में प्रासंगिक हो जाए मगर ये उतना आसान भी नहीं है. राजनीति टेढ़ी चीज़ है और उससे टेढ़ा है उन सत्तर सीटों पर उम्मीदवार तय करना जो आरजेडी से गठबंधन के बाद कांग्रेस के हिस्से आई हैं. कई सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल से कांग्रेस की सहमति भी नहीं बैठ रही है तो पार्टी का संकट अंदर और बाहर दोनों तरफ़ है. हमारे सहयोगी आनंद पटेल कांग्रेस की ख़बरों को कवर करते हैं वो इन संकटों पर विस्तार से बात कर रहे हैं.

आजकल जितनी तनातनी भारत की पाकिस्तान से चल रही है उससे ज़्यादा चीन के साथ जारी है. सात कमांडर लेवल की मीटिंग हो चुकी हैं. दो दिन गुज़रे हैं Corps Commander-level की बातचीत को. बैठक के बाद चीन ने इसे पॉज़िटिव भी कहा था लेकिन एक दिन बाद ही चीन के बयान ने पूरा सेंटीमेंट बिगाड़ दिया. उसने कहा है कि वो लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मान्यता नहीं देता. ये बात हालाँकि उसने दोहराई है. पहले भी कह चुका है लेकिन अरुणाचल को लेकर जैसा उसका रुख़ है और अब वो लद्दाख पर बयान दे रहा है उससे माहौल बिगड़ ही ज़्यादा रहा है. इंडिया टुडे टीवी की फॉरेन अफ़ेयर्स एडिटर गीता मोहन ने चीनी रणनीति पर रौशनी डाली.

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एक बहस हमेशा चलती है. महिलाओं और पुरुषों के बीच कामकाज की समानता को लेकर. लड़कियाँ तो घर से निकलकर बाहर के कामों में पुरुषों को कंपीट कर रही हैं पर अभी घर के कामकाज में पुरुषों का हाथ बंटाना काफ़ी हद तक बाक़ी है. अब एक आँकड़ा आया है जो ये बता रहा है कि पुरुष घर का कामकाज करने में फिसड्डी हैं. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने एक TIME USE सर्वे कराया है. ये बता रहा है कि दस परसेंट से कम पुरुष घर के कामों में हाथ बंटा रहे हैं.. साथ ही महिलाओं को सोने, खाने और तैयार होने के लिए पुरुषों के मुकाबले कम समय मिलता है. कई और बातें इस सर्वे में हैं और उन्हें जानने के लिए हमने बात की रुक्मिणी एस से.

और ये भी जानिए कि 14 अक्टूबर की तारीख इतिहास के लिहाज़ से अहम क्यों है.. क्या घटनाएं इस दिन घटी थीं. अख़बारों का हाल भी पांच मिनटों में सुनिए और खुद को अप टू डेट कीजिए. इतना कुछ महज़ आधे घंटे के न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में नितिन ठाकुर के साथ. 

'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें

 

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