
मोदी कैबिनैट में फेरबदल के बाद बुधवार को मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ. कई मंत्रियों की छुट्टी हुई, कुछ नए लोगों ने नए विभाग संभाले. अब मनसुख मंडाविया को डॉ. हर्षवर्धन की जगह स्वास्थ्य का जिम्मा दिया गया है, धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रोलियम से हटाकर शिक्षा मंत्री बना दिया गया. पेट्रोलियम हरदीप सिंह पुरी को दिया गया है और नए नवेले सहकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली गृह मंत्री अमित शाह को, अश्वनी वैष्णव को मिनिस्टर ऑफ़ आईटी कम्युनिकेशन और रेलवे की जिम्मेदारी दी गयी है.वहीं कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन विभाग दिया है. ये तो महज़ कुछ नाम है जिनके मंत्रालय हमने आपको बताए, कुल मिलाकर, अब मंत्रिमंडल में 77 मंत्री हो गए हैं, कल 43 लोगों ने शपथ ली थी जिसमें से 7 लोगों को प्रमोट किया गया लेकिन ऐसा करते हुए आखिर किन चीजों का ध्यान रखा गया? उत्तर प्रदेश चुनाव की तैयारियों को लेकर और बिहार में हुई सियासी उठपटक को देखते हुए क्या बदलाव किए गए.
देश में लोकतंत्र है तो इसका सबसे बड़ा पहलू ये है कि लोग सरकार से सवाल कर सके, जानकारी ले सके और सरकार को जवाबदेह बना सके. इसी उम्मीद से साल 2005 में RTI Act यानी Right to Information को लाया गया था, इस क़ानून को लाने का मक़सद ही था कि सरकारों के कामकाज में पारदर्शिता लाई जा सके और नागरिकों को सूचना से लैस किया जा सके ताकि लोकतंत्र में वे सही मायने में सहभागी बन पाए. एक वक़्त में आरटीआई को दूसरी आजादी भी कहा जाने लगा था.
RTI Act के तहत राज्यों और केंद्र सरकार में इनफार्मेशन कमिश्नर की नियुक्ति की जाती हैं. जिनका काम लोगों की अपील पर आधारित शिकायतों को प्राप्त करना और उनकी जाँच कर जवाब देना होता है. लेकिन जब Information commissioner यानी सूचना आयुक्तों की नियुक्ति ही नहीं होगी तो नागरिक अपने अपील पर शिकायत कैसे कर पाएंगे? ये शिकायत पिछले कई सालों से उठती आ रही है. इसी कड़ी में कल सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को RTI Act के तहत Information Commissioners की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करने को कहा, साथ ही कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों को भरने का स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश भी कल दिया. दरअसल, अदालत देश भर में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज, अमृता जोहरी और कमोडोर लोकेश के बत्रा की ओर से दायर की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, उसी कड़ी में कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया. वैसे अब देश में RTI कानून से जुड़ी पारदर्शिता समय के साथ घटी है? किस हद तक कामयाब रहा ये क़ानून?
मानसून हर जगह ख़ुशियां लेकर नहीं आता इसके साथ कहीं कहीं तबाही भी आती है. नदियों में पानी बढ़ जाने से सैलाब आता है और भारत अभागा है इस मामले में कि यहां दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा बाढ़ आती है. देश की कुल ज़मीन का आठवां हिस्सा यानी तक़रीबन चार करोड़ हेक्टेयर इलाक़ा ऐसा है जहां बाढ़ आने का अंदेशा बना ही रहता है. पूरे देश में बाढ़ के एक जैसे हालात हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो 1952 से लेकर 2018 तक, इन 65 सालों में देश में बाढ़ से एक लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. 8 करोड़ से अधिक मकानों को नुकसान पहुंचा जबकि 4.69 ट्रिलियन से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ. यहां बाढ़ का आना कई राज्यों के लिए हर साल की कहानी है. बिहार ही ले लीजिए यहां सबसे शुरुआती बारिश के साथ ही बाढ़ का ख़तरा बढ़ जाता है. अब भी यहां कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं और यहां तक कि राजधानी पटना तक में कई जगहों पर जलभराव हो गया है. और यहां समय के साथ बाढ़ अपना दायरा बढ़ा ही रही है. इस बार कोसी और गंडक नदी पर बने कुछ तटबंध टूटने से और नदी का कटाव बदलने से कई ऐसे गांवों में पानी भर आया है जहां इससे पहले कभी बाढ़ आई ही नहीं थी या आई थी तो बहुत मामूली. सरकार के प्रयासों में बाढ़ को रोकने के लिए तटबंध और बांध बनाए जाने के प्लान रहते हैं. सात दशकों से ये बनाए जा रहे हैं लेकिन बावजूद इसके बाढ़ की विभीषिका से छुटकारा बिहार को नहीं मिल पा रहा है. आख़िर क्या कारण है? क्या प्रयास ज़रूरी हैं?
भारत से 14 हज़ार किलोमीटर दूर एक देश है, हैती। कैरिबियन कंट्री है, कैरेबियन कंट्री बोले तो नॉर्थ और साउथ अमेरिका के बीच स्थित, अटलांटिक महासागर के आसपास का इलाक़ा. यहीं मौजूद है ये देश हैती. इस पूरे देश की आबादी भी लगभग मुम्बई शहर के बराबर है. कल सुबह यहां के अंतरिम प्रधानमंत्री क्लाउड जोसेफ ने देश- दुनिया को एक जानकारी दी। एक ऐसी जानकारी, जिसने इस देश को अचानक ही सबकी नज़रों में ला दिया। दरअसल, हुआ ये कि यहां के राष्ट्रपति जोवेनल मोइसे को उनके घर पर मार दिया गया। सिर्फ़ उनको ही नहीं, उनकी पत्नी और देश की प्रथम महिला मार्टिन जोसेफ़ भी घायल हैं। वे अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज जारी है। उन्हें किसने मारा.. अज्ञात लोगों ने। एक पल को इस ख़बर पर भरोसा नहीं होता कि किसी देश के राष्ट्रपति को कुछ अज्ञात लोग मार घर में घुसकर मार सकते हैं लेकिन हक़ीक़त है. तो हैती प्रथम नागरिक जोवेनल मोइसे की कौन थे ये, क्या कयास लगाए जा रहे हैं उनकी मौत के पीछे और किस तरह की छवि थी देश में उनकी आम लोगों के बीच.
इन सब ख़बरों पर विस्तार से बात के अलावा हेडलाइंस और आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.
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