Advertisement

संसद में राघव चड्ढा का शायराना अंदाज, दिल्ली सेवा बिल पर गृहमंत्री को दी 'आडवाणीवादी' बनने की नसीहत

AAP सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर बोलते हुए कहा कि ये राजनैतिक धोखा है. उन्होंने कहा कि एक टाइम वो भी था जब भारतीय जनता पार्टी ने खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. लेकिन आज की भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.

राज्यसभा में राघव चड्ढा (फाइल फोटो) राज्यसभा में राघव चड्ढा (फाइल फोटो)
पंकज जैन/मौसमी सिंह/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST

दिल्ली सेवा बिल को आज राज्यसभा में पेश किया गया. इसके विरोध में जब AAP सांसद राघव चड्ढा बोलने के लिए उठे तो उन्होंने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. राज्यसभा में राघव चड्ढा ने शायराना अंदाज में सरकार पर निशाना साधा. दिल्ली सेवा बिल का समर्थन करने वालों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, 'अगर खिलाफ हैं तो होने दो, जान थोड़ी हैं, ये सब धुआं है, कोई आसमान थोड़ी है, लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है.'

Advertisement

AAP सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर बोलते हुए कहा कि ये राजनैतिक धोखा है. उन्होंने कहा कि एक टाइम वो भी था जब भारतीय जनता पार्टी ने खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. वे बोले कि एक समय ये था कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उपप्रधानमंत्री रहे लाल कृष्ण आडवाणी खुद इस सदन में कॉन्स्टीट्यूशनल अमेंडमेंट बिल 2003 लाए थे. जिसमें कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग थी. इसके बाद 2013 के अपने चुनावी घोषणापत्र में भी भाजपा ने कहा था हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे.     

'नेहरूवादी नहीं आडवाणीवादी ही बनिए'

राघव चड्ढा ने अमित शाह के लोकसभा में दिए बयान पर भी पलटवार किया. शाह ने लोकसभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू के बयान को दोहराते हुए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का विरोध किया था. इसी बयान का पलटवार करते हुए राघव चड्ढा ने गृहमंत्री को नसीहत दी कि आप नेहरूवादी मत बनिए, आप तो बस आडवाणीवादी बनिए. जिन्होंने कि खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठाई थी. राघव चड्ढा ने कहा कि भाजपा के पुराने नेताओं ने 40 वर्षों तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाए जाने की मांग की लेकिन आज के नेताओं ने इस पूरे संघर्ष को मिट्टी में मिलाने का काम किया है. 

Advertisement

'SC का अपमान कर भाजपा ने दिया संदेश...'

ये बिल राजनीतिक धोखा और संवैधानिक पाप है. केंद्र सरकार ने यह बिल लाकर लाल कृष्ण अडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, मदन लाल खुराना का अपमान किया है. AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि पिछले 25 साल से दिल्ली में भाजपा चुनाव नहीं जीत पाई, इसलिए चुनी सरकार को नष्ट कर रहे हैं. अध्यादेश को लाकर BJP ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. SC के फैसले को पलटने वाले ऑर्डिनेंस को लेकर भाजपा ने यह संदेश दे दिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट को चैलेंज करते हैं. आप जो फैसला दे रहे हो हम चंद दिनों में अध्यादेश लाकर उसको पलट देंगे. 

राघव चड्ढा ने कहा कि इस बिल का हाल भी पुराने बिलों की तरह होगा. बिल के विरोध में आप सांसद ने कहा कि अफसरशाही से जवाबदेही की चैन टूट जाती है. इस बिल के पास होने से अफसर अब मुख्यमंत्री या मंत्री की नहीं सुनेगा. ये बिल सीधे उपराज्यपाल LG को सुपर पॉवर देता है. 

राघव चड्ढा बोले कि बीजेपी सरकार पीछे नहीं रहती है. वे अध्यादेश लाने में हमेशा आगे रहते हैं. यह संघीय ढांचे का हनन है. दिल्ली के पास अपनी फेडरल आईडेंटिटी है एवं शक्तियों को संविधान से हस्तक्षेप करता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यूनियन टेरिटरी है पर जो फेडरेलिज्म संघीय ढांचे दिल्ली पर लागू होती है. 

Advertisement

'सुपारी जैसी पार्टियों ने भाजपा को शून्य पर ला दिया...'

राघव चड्ढा ने अमित शाह के लोकसभा में दिए एक और बयान पर हमला बोला. दरअसल लोकसभा में अमित शाह ने आम आदमी पार्टी को सुपारी जैसी पार्टी कहा था. इस पर राघव चड्ढा ने कहा कि सुपारी जैसी पार्टी तेजी से बढ़ती पार्टी है, ये वो पार्टी है, जिसने 3 बार भाजपा को दिल्ली में हराया और पंजाब में भाजपा को लगभग शून्य पर ला दिया. 

वहीं जिन पार्टियों ने आम आदमी पार्टी का साथ नहीं दिया उनके लिए राघव चड्ढा ने कहा, 'कुछ पार्टियों की कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता.'

रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियों से शुरुआत

राघव चड्ढा ने संसद में दिनकर की कविता पढ़ते हुए कहा, 'जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है.' उन्होंने कहा, 'ये कविता दिल्ली में लाए गए इस बिल का सार है. सभापति को संबोधित करते हुए राघव चड्ढा बोले कि वह न्याय की गुहार उनके पास लाए हैं. अपने हक लेने आए हैं. यह बिल 1977 से लेकर 2015 तक राजनैतिक धोखे की कहानी है. 40 साल का संघर्ष बीजेपी ने दिल्ली में पूर्ण राज्य का दर्जा स्थापित करने के लिए किया. लेकिन, ऐसी कौन सी आपदा आ गई कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लेकर आ गए.

Advertisement

राज्यसभा का क्या है गणित?

दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के बीच एक बार राज्यसभा का गणित भी समझ लेते हैं. बता दें कि राज्यसभा में कुल सांसद 238 हैं. बीएसपी का राज्यसभा में 1 सांसद है. ऐसे में बसपा बायकॉट करती है, तो कुल सांसद 237 होंगे और बहुमत के लिए 119 सांसदों की जरूरत पड़ेगी. विपक्षी दलों के गठबंधन 'INDIA' पर 105 सांसद हैं. 

वहीं, बीजेपी के राज्यसभा में 92 सांसद हैं. इनमें 5 मनोनीत सांसद हैं. जबकि सहयोगी दलों को मिलाकर यह 103 हो जाते हैं. बीजेपी को दो निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन है. इसके अलावा दिल्ली सेवा बिल पर वाईएसआर, बीजेडी और टीडीपी ने केंद्र का समर्थन करने का ऐलान किया. बीजेपी और वाईएसआर कांग्रेस के राज्यसभा में 9-9 सांसद हैं. जबकि टीडीपी का एक सांसद है. ऐसे में अब बीजेपी के पास 124 सांसदों का समर्थन होगा और राज्यसभा में भी बिल आसानी से पास हो जाएगा.

बिल पर केजरीवाल के विरोध में कौन कौन सी पार्टियां ?

पार्टी राज्यसभा में सीटें
बीजेपी 92
वाईएसआर 9
बीजेडी 9
AIADMK 4
आरपीआई 1
टीडीपी 1
असम गण परिषद 1
पट्टाली मक्कल काची 1
तमिल मनीला कांग्रेस 1
एनपीपी 1
एमएनएफ 1
यूपीपी(लिबरल) 1

 
बिल पर केजरीवाले के पक्ष में कौन कौन?

Advertisement
पार्टी राज्यसभा में सीटें
कांग्रेस 31
टीएमसी 13
आप 10
डीएमके 10
सीपीआई एम 5
जेडीयू 5
शिवसेना (उद्धव गुट) 4
एनसीपी (शरद पवार) 3
जेएमएम 2
सीपीआई 2
आईयूएमएल केरल कांग्रेस 1
आरएलडी 1
एमडीएमके 1
बीआरएस 7

एनसीपी के 4 राज्यसभा सांसद हैं. लेकिन प्रफुल्ल पटेल खुले तौर पर अजित गुट में शामिल हुए हैं. ऐसे में उनका वोट भी बीजेपी को मिलने की संभावना है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement