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मीटिंग में झड़प के बाद कल्याण बनर्जी पर एक्शन, JPC से सस्पेंड हुए TMC सांसद

मंगलवार हो हुई JPC की बैठक में कल्याण बनर्जी और बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय के बीच झड़प हो गई. इस झड़प में कल्याण बनर्जी चोटिल हो गए. कारण, तीखी झड़प के दौरान कल्याण बनर्जी ने पानी की कांच की बोतल फोड़ दी, जिससे उनके हाथ में चोट लग गई. उनके हाथ में चार टांके लगे हैं. 

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी JPC की अगली बैठक से सस्पेंड हो गए हैं (फाइल फोटो) टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी JPC की अगली बैठक से सस्पेंड हो गए हैं (फाइल फोटो)
ऐश्वर्या पालीवाल/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

वक्फ बिल को लेकर मंगलवार को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक हुई में झड़प के बाद तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी पर एक्शन हुआ है. जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल ने टीएमसी सांसद को अगली बैठक के लिए सस्पेंड कर दिया है. यानी जो भी अगली जेपीसी की बैठक होगी, उसमें कल्याण बनर्जी शामिल नहीं हो पाएंगे. 

दरअसल, मंगलवार हो हुई JPC की बैठक में कल्याण बनर्जी और बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय के बीच झड़प हो गई. इस झड़प में कल्याण बनर्जी चोटिल हो गए. कारण, तीखी झड़प के दौरान कल्याण बनर्जी ने पानी की कांच की बोतल फोड़ दी, जिससे उनके हाथ में चोट लग गई. उनके हाथ में चार टांके लगे हैं. 

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झड़प के बाद जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल के नेतृत्व में रूल 374 के तहत वोटिंग हुई. इसमें कल्याण बनर्जी को सस्पेंड करने को लेकर पक्ष में 9 और विपक्ष में 7 वोट पड़े. सत्ता पक्ष के सदस्य बनर्जी को जेपीसी से ही सस्पेंड करने के पक्ष में थे. लेकिन बातचीत के बाद एक दिन के लिए सस्पेंड करने का फैसला हुआ.

जेपीसी की बैठक में क्या हुआ?

सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में कई रिटायर्ड जज, वरिष्ठ अधिवक्ता और बुद्धिजीवी मौजूद थे. इस बीच अचानक से कल्याण बनर्जी उठकर बोलने लगे. वह इससे पहले भी बैठक में कई बार बोल चुके थे. लेकिन इस बार जब वह बीच में बोलने लगे तो अभिजीत गंगोपाध्याय ने आपत्ति जताई.

सूत्रों के मुताबिक जब अभिजीत गंगोपाध्याय ने आपत्ति जताई तो कल्याण बनर्जी ने उनके खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. इस बीच दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया और गुस्से में कल्याण बनर्जी ने कांच की बोतल उठाकर मेज पर पटक दी, जिससे वह चोटिल हो गए.

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मोदी सरकार का क्या प्लान है?

बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक पर देश की सियासत गरम है. मोदी सरकार ने 8 अगस्त को लोकसभा में दो विधेयक वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 और मुसलमान वक्फ (खात्मा) विधेयक 2024 पेश किए थे. सरकार के मुताबिक, इन विधेयकों का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज के तौर तरीकों में सुधार लाना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है. विपक्ष ने कुछ प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई. उसके बाद इसे आगे की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया है.

मोदी कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दी थी. केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को "वक्फ संपत्ति" बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है. इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है. वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा. संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट और ट्रांसफर में बड़ा बदलाव आएगा. कानून में संशोधन की वजहों का भी जिक्र किया है. इसमें जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है.

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 जेपीसी क्या होती है? 

संसद को एक ऐसी एजेंसी की जरूरत होती है, जिस पर पूरे सदन को भरोसा होता है. इसके लिए संसद की समितियां बनाई जाती हैं. इन समितियों में संसद के ही सदस्य होते हैं. किसी बिल या फिर किसी सरकारी गतिविधियों में वित्तीय अनिमितताओं के मामलों की जांच के लिए जेपीसी का गठन किया जाता है. इसकी जरूरत इसलिए होती है, क्योंकि संसद के पास बहुत सारा काम होता है. इन कामों को निपटाने के लिए समय भी कम होता है. इस कारण कोई काम या मामला संसद के पास आता है तो वो उस पर गहराई से विचार नहीं कर पाती. ऐसे में बहुत सारे कामों को समितियां निपटाती हैं, जिन्हें संसदीय समितियां कहा जाता है. संयुक्त संसदीय समिति भी इसी मकसद से गठित की जाती है. इसमें दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य होते हैं. संसदीय समितियों का गठन संसद ही करती है. ये समितियां संसद के अध्यक्ष के निर्देश पर काम करती हैं और अपनी रिपोर्ट संसद या स्पीकर को सौंपती हैं.

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