
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की 'टूट गईं गुलामी की जंजीरें' वाले बयान पर खुद उनके देश में एकराय नजर नहीं आ रही है. महिलाएं बयान का विरोध कर रही हैं. आजतक के साथ खास बातचीत में पाक की 2 महिला पत्रकार और महिला राजनेता की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही. एक पाक पत्रकार ने कहा कि पता नहीं किस बात का जश्न मना रहे हैं.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के 'टूट गईं गुलामी की जंजीरें' वाले बयान पर पाक पत्रकार मोना आलम ने आजतक से बातचीत में कहा कि मेरा ख्याल यह है कि इस वक्त यह सही नहीं था. अभी हमने फैसला नहीं लिया है कि तालिबान को अभी मान्यता नहीं दी है. मान्यता देना है या नहीं देना, इस पर फैसला नहीं लिया है. यहां तक चीन ने पहले ही अपना आधिकारिक बयान जारी कर दिया है, लेकिन पाकिस्तान ने अभी भी यह तय नहीं किया है.
तालिबान को लेकर बयान रिजर्व रखना चाहिएः मोना आलम
मोना आलम ने कहा कि हम बहुत से लोगों के साथ इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं. मुझे लगता है कि तालिबान को लेकर अपना जिस तरह का बयान या ख्याल है, उसे रिजर्व रखना चाहिए.
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इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर से जाहिर किया कि वे तालिबानियों के साथ खड़े हैं. उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने का समर्थन किया. पीएम इमरान ने यहां तक कहा है कि अफगानों ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दिया है.
पीएम इमरान खान के बयान पर मोना आलम ने कहा कि हमारे लिए क्या जरूरी है या पूरी दुनिया के लिए क्या जरूरी है, इस पर ध्यान देना चाहिए. वहां पर जो पहले की सरकार थी ऐसा नहीं है कि वो दूध के धुले थे. जो चले गए या भाग गए हैं. उन्होंने नाटो के साथ मिलकर देश को नुकसान पहुंचाया. अब तालिबान ने भी यही किया. मुझे उनके लिए नहीं पता. उनके लिए (आम लोग) तो यही है कि आसमान से गिरे खजूर पर अटके. मेरी दुआ है कि उनके साथ सबकुछ ठीक हो. जो लोग निकलना चाह रहे हैं वो आराम से अपनी जगह पहुंच जाएं.
मोना ने कहा, वो (इमरान) शायद यह कहना चाह रहे थे कि अमेरिकन के साथ अफगान हूकुमत ने मिलकर अपने ही लोगों को मारा. और बड़ी संख्या में आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाया. अगर उनका इस संदर्भ में बयान था तो मैं निश्चित तौर पर समर्थन करती हूं, लेकिन इसके अलावा मैं नहीं समझती कि किसी और ने गुलामी की जंजीर नहीं तोड़ी है. तालिबान के बारे में पता है जब वे 90 के दशक में शासन कर रहे थे तो इतना बुरा माहौल था. महिलाओं और बौद्धिक वर्ग के लोगों के साथ बुरा सलूक किया गया. अगर इस बार भी वे ऐसा करते हैं तो मैं नहीं समझती कि गुलामी की जंजीर तोड़ी गई है.
पाक सरकार पहले भी तालिबान का साथ देती रहीः आरजू
एक अन्य पाकिस्तानी पत्रकार आरजू काजमी ने आजतक से कहा कि जी बिल्कुल मैं समझती हूं कि हमारी पाक सरकार पहले भी तालिबान का साथ देती रही है. और अभी भी दे रही है. हमारे मंत्री तक ने कहा कि हमारे यहां तालिबान लोगों के परिवार रहते हैं. उनका इलाज होता है. यहां पर बड़ा जश्न मनाया जा रहा है कि तालिबान जीत गए हैं.
आरजू ने आगे कहा कि मुझे नहीं पता कि किस बात का जश्न मना रहे हैं क्योंकि चाहे मस्जिद हो, चाहे चर्च हो, चाहे मंदिर हो, चाहे अस्पताल हो. कोई जगह नहीं छोड़ी. स्कूल के बच्चों को भी मारा. अभी वे वहां के जेलों से टीडीपी के लोगों को रिहा कर रहे हैं. अब तक जिनके बारे में कहा जाता रहा कि इनके खिलाफ आतंक की लड़ाई लड़ रहे हैं और 1 लाख से ज्यादा पाकिस्तान के लोग मारे गए हैं. अब उन लोगों को हम किस तरह से साथ दे रहे हैं, खुशी मना रहे हैं. तालिबान मानवता के लिए खतरनाक है.
पाक को आगाह करते हुए आरजू ने कहा, 'इससे मुझे अफसोस भी है कि इस तरह की सोच पाकिस्तानियों की बन चुकी है. जिस तरह से लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा गिराई गई उससे लगता है कि पाकिस्तान पहले से ही सपोर्ट कर रहा था और अभी कर रहा है. लेकिन पाकिस्तान को अब इस बारे में सोचना चाहिए.'
बयान को इमरान ही जस्टिफाई करेंः सादिया खान
आजतक के साथ एक अन्य कार्यक्रम में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (N) की नेता सादिया खान ने अपने देश में तालिबान की जीत पर जश्न मनाए जाने को लेकर कहा कि मैंने अपने यहां कहीं भी जश्न देखा. जहां तक गुलामी की बेड़ियों की बात प्रधानमंत्री ने कही है तो वही इसके बारे में जस्टिफाई कर सकते हैं.
सादिया खान ने कहा कि जहां तक देश में विपक्षी दलों की राय का सवाल है तो यही है कि हमने शुरू से ही देश में अमन चैन की बात की है. और अभी जो अफगानिस्तान में हुआ उसे देखते हुए यह कोशिश होनी चाहिए कि पाकिस्तान की सरजमीं पर कोई नुकसान नहीं होना चाहिए.