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काबुल तक पहुंचा तालिबान, दिल्ली में अफगानी बोले- अल्लाह पाकिस्तान को कब्रिस्तान बना दे

अफगानिस्तान की आवाम डरी हुई है और फिक्रमंद है अपने वतन के मुस्तकबिल को लेकर कि तालिबानी फरमान वाले राज में उनके बच्चों का क्या होगा. अफगानिस्तान में खराब हालात के चलते कई साल पहले वतन छोड़कर हिंदुस्तान में बतौर रिफ्यूजी चले आए लोग बड़ी तादाद में दिल्ली के लाजपत नगर में रहते हैं.

तालिबान से खौफ में अफगानी अवाम (फाइल फोटोः पीटीआई) तालिबान से खौफ में अफगानी अवाम (फाइल फोटोः पीटीआई)
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 7:29 PM IST
  • दिल्ली में भी कुछ बोलने में डर रहे अफगानी
  • अफगानियों को सता रही परिवार की फिक्र
  • पाकिस्तान, ईरान, चीन को बता रहे जिम्मेदार

अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता पर काबिज होने के करीब पहुंच गया है. हंसते-खेलते, विकास के रास्ते पर बढ़ते इस देश को अमेरिकी फौज के वापस लौटते ही जैसे किसी की नजर लग गई. गजनी, जलालाबाद और मजार-ए-शरीफ के बाद तालिबान के लड़ाके राजधानी काबुल तक पहुंच गए हैं.

अफगानी गृह मंत्री ने भी कह दिया है कि यहां कोई संघर्ष नहीं होगा. सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से होगा. तालिबान ने भी अपने लड़ाकों से काबुल की सीमा पर ही रुकने और सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की बात कही है. तालिबान रिटर्न के मुहाने पर खड़े अफगानिस्तान के हालात को लेकर घर और अपने वतन से दूर दिल्ली में रह रहे अफगानी भी चिंतित हैं. 

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अफगानिस्तान की आवाम डरी हुई है और फिक्रमंद है अपने वतन के मुस्तकबिल को लेकर कि तालिबानी फरमान वाले राज में उनके बच्चों का क्या होगा. अफगानिस्तान में खराब हालात के चलते कई साल पहले वतन छोड़कर हिंदुस्तान में बतौर रिफ्यूजी चले आए लोग बड़ी तादाद में दिल्ली के लाजपत नगर में रहते हैं.

एक पूरा इलाका अफगान कॉलोनी के नाम से ही जाना जाता है क्योंकि यहां ज्यादातर अफगानी नागरिक ही रहते हैं. इन रिफ्यूजी अफगानी नागरिकों के अलावा बड़ी संख्या अफगानिस्तान से आने वाले उन लोगों की भी है जो अपना इलाज कराने, नौकरी की तलाश में या बेहतर तालीम के लिए भारत आते हैं. आजतक इस इलाके में पहुंचा और अफगानिस्तान के हालात को लेकर लोगों से बात कर उनपर क्या बीत रही है, ये जानने-समझने की कोशिश की.

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तालिबान से सबसे ज्यादा दहशत में महिलाएं हैं. तालिबानी हुकूमत में महलाओं को उनका अधिकार नहीं दिया जाता. तालिबानी राज में महिलाओं को ऐसी ऐसी यातनाएं सहनी पड़ती हैं जिसे सुनकर कलेजा कांप जाए. मजार-ए-शरीफ की रहने वाली ये महिला अफगानिस्तान सरकार में बतौर प्रॉसिक्यूटर काम करती है और तालिबान से पीड़ित कई महिलाओं के मुकदमे भी लड़ रही हैं लेकिन तालिबान का खौफ इतना कि ये अपना नाम भी नहीं बताना चाहती. अफगानी महिला ने तालिबान की ओर से जान से मारने की धमकी दिए जाने की बात कही और बताया कि तालिबानी वहां जज और प्रॉसिक्यूटर को किडनैप कर लेते हैं, उनके साथ रेप किया जाता है.

इलाज कराने भी बड़ी तादाद में दिल्ली आते हैं अफगानी

इस अफगानी महिला ने आज तक को बताया कि आखिर क्यों अफगानिस्तान के लोग तालिबान से डरते हैं. महिला ने कहा कि वे लड़कियों से जबरदस्ती निकाह करते हैं और मस्जिदों से ऐलान किया जाता है कि जिसके घर में चार बेटी हों वे अपनी बेटियों को तालिबान को सौंप दें. तालिबान से पीड़ित बहुत सी महिलाओं के मुकदमे लड़े हैं और तालिबान ने मुझे कई बार धमकी दी है. इसलिए हम मजार-ए-शरीफ से काबुल रहने चले गए थे. इस महिला ने पिछले दो दिन में अपने तमाम दोस्तों और रिश्तेदारों से हालात को लेकर चर्चा की है. नम आंखें और रुंधे गले से महिला ने बताया कि मजार-ए-शरीफ में काम करने वाली बहुत सारी लड़कियां डरी हुई हैं और छुप गई हैं. अपनी जगह के बारे में भी नहीं बता रही हैं क्योंकि तालिबान उन्हें पकड़ लेगा और उनके साथ रेप करेंगे.

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तालिबानी हैवान है, उनके पहनावे से ही होती है दहशत

अफगानी महिला ने कहा कि हालात बहुत खराब हो गए हैं और वहां सब रो रहे हैं. इन सब की वजह पाकिस्तानी हैं जो वहां आत्मघाती हमले करते हैं, लड़कियों को छेड़ते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हमारे स्कूल में लड़कियों को बेहोश करके वे पाकिस्तान की सीमा में ले जाते हैं.अल्लाह पाकिस्तान को कब्रिस्तान बना दे. अफगानी महिला ने कहा कि हम बहुत तनाव में हैं कि आगे क्या करें. लड़कियों को घर से निकलने नहीं देते. एक लड़की एक बार गली में निकल गई तो उसके हाथ से नाखून उखाड़ दिया और उसको मारा गया. घर से निकलने के लिए दो बुर्का पहनना पड़ता है. तालिबान के राज में लड़कियों का कोई हक नहीं है. लड़कियों को पढ़ने की अनुमति नहीं है, घूमने की अनुमति नहीं है, पढ़ने की अनुमति नहीं है, नौकरी करने की अनुमति नहीं है. टीवी, इंटरनेट, मोबाइल की परमिशन नहीं है. तालिबान हैवान है और उनका पहनावा देखकर ही दहशत होती है. तालिबान वहशी है. 

सता रही परिवार की हिफाजत की फिक्र

अपने परिवार के एक सदस्य का इलाज कराने कुछ ही दिन पहले दिल्ली आए 52 साल के अमानुल्लाह नबीजादा मजार-ए-शरीफ के रहने वाले हैं. अमानुल्लाह को अपने परिवार की हिफाजत की फिक्र सता रही है. नबीजादा ने बताया कि 2 अगस्त को अपने पिता का इलाज करवाने दिल्ली आया था. हम पांच लोग यहां आए थे. हमें पता है कि वहां हालात बहुत खराब हो गए हैं. हमारे परिवार के लोगों ने बताया है कि तालिबान ने लोगों को माफ कर दिया है और यहां तक कि सरकारी नौकरी करने वाले लोगों को भी माफ कर दिया है. उन्होंने कहा कि तालिबान ने वहां पर नौकरी करने वालों को भी काम करने की इजाजत दे दी है. हमें आज ही अफगानिस्तान वापस लौटना है. हमारे बच्चे वहीं पर हैं. मजबूरी में वहां जाना है.

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कौन जिंदा रहेगा और कौन नहीं, सब तालिबान भरोसे

अमानुल्लाह की बातों में अपने परिवार और मुल्क को लेकर फिक्र साफ नजर आती है. सब कुछ तालिबान के भरोसे है और वे ही तय करेंगे कि कौन जिंदा रहेगा और कौन नहीं. डर का आलम ये है कि कई अफगान नागरिक आनन-फानन में अब अपने वतन लौट रहे हैं. काबुल से 15 दिन पहले दिल्ली आए अलीफ अपनी पत्नी के साथ काबुल जाने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे जहां से उन्हें काबुल की फ्लाइट पकड़नी थी. अफगानिस्तान के युवा भी अफगानिस्तान और अपने भविष्य को लेकर फिक्रमंद हैं. कमोबेश यही कहानी अब्दुल मुबीन की भी है.

सब पाकिस्तान का किया-कराया, नहीं बदलेगा कुछ

दो दिन पहले ही अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ से अपनी पत्नी के साथ दिल्ली आए मुबीन को वतन लौटना है लेकिन वहां हालात बिगड़ने के बाद अब उन्हें इस बात की फिक्र है कि आगे क्या होगा. उन्होंने कहा कि अब अफगानिस्तान में कुछ नहीं बदलेगा. यह सब कुछ पाकिस्तान का किया कराया है. अब्दुल मुबीन कहते हैं कि अब वहां तालिबान से सबसे ज्यादा खतरा होगा. तालिबानी हमें पढ़ाई नहीं करने देंगे, लड़कियों को काम नहीं करने देंगे, घूमने नहीं देंगे. अब्दुल मुबीन कहते हैं कि जब लड़कियां पढ़ाई नहीं करेंगी, काम नहीं करेंगी तो अफगानिस्तान का भविष्य खराब होगा. हमारे मुल्क में पैसा भी नहीं आएगा. जिसके पास पैसा होगा वो मुल्क छोड़कर बाहर चला जाएगा.

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अफगानी मार्केट में हैं अफगानी डिश की कई दुकानें

मजार ई शरीफ के रहने वाले हबीबुल्लाह और मुस्तफा पांच साल पहले पढ़ने के लिए काबुल के रास्ते दिल्ली आ गए थे लेकिन फिर अपने वतन वापस नहीं गए. मुस्तफा कहते हैं कि अफगानिस्तान में पढ़ने के लिए हालात सही नहीं थे. अब हम यहीं रह रहे हैं. हबीबुल्लाह कहते हैं परिवार के बहुत सारे लोग अभी वहां पर हैं और उनकी हिफाजत को लेकर फिक्र हो रही है. इसके अलावा लाजपत नगर की अफगान कॉलोनी में कई बुजुर्ग अपनी दुकान चलाने लगे हैं. कुछ लोग रिफ्यूजी बनकर हिंदुस्तान आ गए हैं तो परिवार के दूसरे सदस्य अभी भी अफगानिस्तान के अलग-अलग प्रांतों में रहते हैं. अपने वतन में खराब हालात को लेकर सब बेचैन, परेशान और खौफजदा हैं लेकिन डर की वजह से खुलकर बात नहीं करना चाहते.

अंधेरे में अफगानिस्तान का भविष्य

अफगानी कालोनी की एक दुकान पर मुलाकात करने पहुंचे अफगानिस्तान के गजनी प्रांत के रहने वाले नवी उल ने कहा कि अफगानिस्तान जल गया है, अफगानिस्तान बर्बाद हो गया है. नवी कहते हैं कि तालिबान की हुकूमत के बाद अब अफगानिस्तान का भविष्य अंधेरे में है. अफगान नौजवान भी अपने मुल्क के हालात के पीछे पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को बखूबी समझ रहे हैं. काबुल में रहने वाले अपने बच्चों और परिवार की फिक्र न होती तो अफगानी युवक खुलकर सामने आते और बात करते लेकिन परिवार की सलामती के लिए उन्होंने पहचान गुप्त रखने की गुजारिश की.

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अफगानी कॉलोनी में रहते हैं अधिकतर रिफ्यूजी

ईरान को पानी चाहिए, पाकिस्तान को हमसे जमीन

एक अफगानी युवा ने कहा कि हमारे मुल्क में खराब हालात के पीछे पाकिस्तान, ईरान, चीन और रूस जिम्मेदार हैं जो तालिबान और आतंकियों को हथियार मुहैया करवा रहे हैं. ईरान को अफगानिस्तान से पानी चाहिए तो पाकिस्तान को जमीन. जलालाबाद के रहने वाला एक अफगान नागरिक एक महीने पहले ही परिवार के एक सदस्य का इलाज कराने दिल्ली आया था. अफगानी नागरिक ने कहा कि अगर तालिबान खुद को असली अफगान कहता है तो फिर ये लड़ाई कैसी है. ये तो पाकिस्तान है जो पीछे से हमारे लड़कों को हाथ में बंदूक दे रहा है और अपने लड़ाकों को भेज रहा है. हमें अपने परिवार की फिक्र है लेकिन अपने लोगों का इलाज करवाने यहां आए हैं और अब डर में हैं.

अफगान कॉलोनी में लोगों को नहीं मिल रहे कमरे

बहुत सारे लोग अफगान कॉलोनी में आ रहे हैं लेकिन उन्हें कमरे नहीं मिल पा रहे. एक अफगानी नागरिक ने कहा कि अशरफ गनी को इस्तीफा देना पड़ेगा लेकिन अगर उन्होंने इस्तीफा दे दिया तो आखिर किसे राष्ट्रपति बनाएंगे? आज नहीं तो कल अफगानिस्तान की जनता को इसके खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा. ऐसा कब तक चलेगा. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से कुछ दिन पहले ही उपचार कराने आए एक नागरिक ने मोदी सरकार से अफगानियों के लिए कुछ करने की गुजारिश की और साथ ही यह भी कहा कि अगर उन्हें वीजा मिल जाए तो वे वापस लौटकर अपने वतन नहीं जाएंगे. तालिबान सरकार चलाना नहीं जानता. वो अफगानिस्तान में क्या करेगा इसको लेकर के हर किसी के मन में सवाल हैं लेकिन अगर हिंदुस्तान के भाई लोग उन्हें रहने दें तो वे इसी मुल्क में रहना चाहेंगे.

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