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Explainer: AFPSA को लेकर क्या हुए बदलाव, नए फैसले के बाद क्या पड़ेगा फर्क, अभी देश में कहां-कहां लागू है एक्ट?

अब नॉर्थ ईस्ट में असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के 31 जिलों में पूर्णता और 12 जिलों में आंशिक तौर पर AFSPA लागू है. इन चारों राज्यों में 90 जिले हैं. 2018 में मेघालय से AFPSA एक्ट वापस लेने का फैसला किया गया है. वहीं, त्रिपुरा से 2015 और मिजोरम से 1980 में AFPSA एक्ट हटाया गया.

गुवाहाटी में AFSPA के खिलाफ प्रदर्शन करती छात्राएं - (फाइल फोटो- पीटीआई) गुवाहाटी में AFSPA के खिलाफ प्रदर्शन करती छात्राएं - (फाइल फोटो- पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST
  • केंद्र ने AFSPA के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया
  • देश में अभी 31 जिलों में पूर्णता और 12 जिलों में आंशिक तौर पर AFSPA

देश के चार राज्यों के अब सिर्फ 31 जिलों में पूर्णता और 12 जिलों में आंशिक रूप से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) लागू रह गया है. AFSPA के तहत राज्यों में अशांत क्षेत्रों को घोषित किया जाता है, ऐसे इलाकों में सुरक्षाबलों के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत होती है और कई मामलों में बल प्रयोग भी किया जा सकता है.

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अब देश में असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के 31 जिलों में पूर्णता और 12 जिलों में आंशिक तौर पर AFSPA लागू है. इन चारों राज्यों में 90 जिले हैं. 2018 में मेघालय से AFPSA एक्ट वापस लेने का फैसला किया गया है. वहीं, त्रिपुरा से 2015 और मिजोरम से 1980 में AFPSA एक्ट हटाया गया. 
 
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को  AFSPA के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने के फैसले का ऐलान किया गया. नगालैंड में दिसंबर में सुरक्षाबलों द्वारा 14 नागरिकों की मौत के बाद काफी बवाल हुआ था. इसके बाद एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया था, ताकि इस कानून को हटाने की संभावनाओं का पता लगाया जा सके. कमेटी की सिफारिश के बाद मोदी सरकार ने अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है. 

पढ़ें: असम, नागालैंड, मणिपुर में AFSPA का दायरा घटा, जानें क्या है ये कानून और सेना को कैसे मिलते हैं स्पेशल पावर?

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अब सिर्फ इन जगहों पर AFSPA 

नगालैंड: गृह मंत्रालय के मुताबिक, नगालैंड के दीमापुर, न्यूलैंड, चूमोकेडीमा, मोन, किफिरे, नोक्लाक, फेक, पेरेन और जुन्हेबोटो और कोहिमा जिले में खुजामा, कोहिमा नॉर्थ, कोहिमा साउथ, जुबजा, केजोचा और मोकोकचुंग जिले में मंगकोलेम्बा, मोकोकचुंग-आई, लोंगथो, तुली, लोंगकेम, अनाकी 'सी' और लोंगलेंग जिले में यांगलोक और वोखा जिले में भंडारी, चंपांग, रालन और सुंगरो को AFSPA के तहत 1 अप्रैल से 6 महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है. नगालैंड में 15 जिले हैं. पूरे नगालैंड में 1995 में अशांत क्षेत्र की अधिसूचना जारी की गई थी. 

अरुणाचल प्रदेश: अरुणाचल प्रदेश को लेकर गृह मंत्रालय ने कहा, तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों और असम राज्य की सीमा से लगे नामसाई और महादेवपुर पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को 1 अप्रैल से 6 महीने के लिए 'अशांत' क्षेत्रों को घोषित किया गया है. अरुणाचल में 26 जिले हैं. AFSPA पिछले कई वर्षों से अरुणाचल प्रदेश के इन जिलों में ही लागू है. 

असम : वहीं, असम को लेकर नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 1 अप्रैल से असम के 23 जिलों को पूर्ण रूप से और 1 जिले को आंशिक रूप से AFSPA के प्रभाव से हटाया जा रहा है. अब असम में 9 जिलों में AFSPA लागू रह गया है. ये जिले तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराईदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंगलोंग, दीमा हसाओ और कछार जिले का लखीपुर सब डिवीजन हैं. पूरे असम में 1990 से AFSPA लागू था. 
 
मणिपुर: उधर, मणिपुर को लेकर भी नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसमें कहा गया कि 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशन क्षेत्र को 1 अप्रैल से अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर किया जा रहा है. मणिपुर में 16 जिले हैं. इंफाल नगर पालिका क्षेत्र को छोड़कर पूरे मणिपुर में अशांत क्षेत्र का ऐलान 2004 में किया गया था. 
 
कब लागू हुआ था AFSPA ?

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पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की मदद करने के लिए 11 सितंबर 1958 को इस कानून को पास किया गया था. 1989 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया. अब ये अशांत क्षेत्र कौन होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है. AFSPA केवल अशांत क्षेत्रों में ही लागू होता है.

नए फैसले के बाद क्या पड़ेगा फर्क?

AFSPA के तहत सुरक्षाबल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं. कानून का उल्लंघन करने वाले को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग और उस पर गोली चलाने की भी अनुमति देता है. इसके अलावा इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को किसी के भी घर या परिसर की तलाशी लेने का अधिकार मिला है. और इसके लिए सुरक्षाबल जरूरत पड़ने पर बल का प्रयोग भी कर सकते हैं.

सुरक्षाबलों को ऐसा अंदेशा होता है कि उग्रवादी या उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे हैं तो उसे तबाह किया जा सकता है. इसके अलावा वाहनों को रोककर उनकी तलाशी भी ली जा सकती है. साथ ही जब तक केंद्र सरकार मंजूरी न दे, तब तक सुरक्षाबलों के खिलाफ कोई मुकदमा या कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती. 

ऐसे में जब  AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र को कम कर दिया है, तो यहां सुरक्षाबलों के अधिकार सीमित हो जाएंगे. पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर में AFSPA के खिलाफ विरोध होते रहे हैं और उन्हें हटाने की मांग होती रही है.  

 

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