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आजादी का अमृत महोत्सव: 38 साल बाद पुराने बंकर में मिलीं सियाचिन के हीरो की अस्थियां

सियाचिन में देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले एक जवान के परिवार के लिए इस साल का स्वतंत्रता दिवस अमूल्य हो गया. इसकी वजह 38 साल बाद जवान की अस्थियों का उसके घर पहुंचना है. सियाचन के हीरो लान्स नायक चन्दर शेखर की ये अस्थियां एक पुराने बंकर में मिली हैं.

पुराने बंकर में मिलीं सियाचिन के हीरो की अस्थियां पुराने बंकर में मिलीं सियाचिन के हीरो की अस्थियां
अभिषेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 9:42 PM IST
  • 16000 फुट की ऊंचाई पर था पुराना बंकर
  • 1984 के ऑपरेशन मेघदूत का रहे हिस्सा

स्वतंत्रता दिवस के 75 साल पूरे होने पर देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. ये वो मौका है जब हम अपने रणबांकुरों की शहादत को याद करते हैं. उनको स्मरण करते हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए. लेकिन लान्स नायक चन्दर शेखर के परिवार के लिए ये मौका उससे भी कहीं बढ़कर है. वजह सियाचिन के इस हीरो की अस्थियों का 38 साल बाद उसके घर पहुंचना है, जो एक पुराने बंकर में रखी मिलीं.

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1984 के ऑपरेशन मेघदूत का रहे हिस्सा

साल 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान लान्स नायक चन्दर शेखर सियाचिन में शहीद हो गए थे. उनकी पत्नी अब 65 साल की हो चुकी हैं और उनकी दो बेटियां भी हैं. लेकिन इस तरह 38 साल बाद उनकी अस्थियों का मिलना ना सिर्फ उनके परिवार के लिए भावुक करने वाला पल है, बल्कि उनकी यूनिट के कई सैनिकों और रिश्तेदारों के लिए भी अतुल्य मौका है. अब सभी लोग उन्हें अंतिम विदाई देने की तैयारी कर रहे हैं.

हलद्वानी में परिवार-परिजन करेंगे सभा

उम्मीद की जा रही है कि उत्तराखंड के हलद्वानी में उनके घर पर एक बड़ी सभा होगी. यहीं पर उनकी पत्नी रहती हैं. सभा के बाद उनकी अस्थियों को विसर्जन के लिए ले जाया जाएगा. जब लान्स नायक चन्दर शेखर का देहांत हुआ था, तब उनकी बेटियां काफी छोटी थीं. ऐसे में उनके लिए ये और भी भावुक पल है. 1984 में उनकी बड़ी बेटी 8 साल की और छोटी बेटी करीब 4 साल की थी.

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लान्स नायक चन्दर शेखर उस दल का हिस्सा थे जिसे सियाचिन में प्वॉइंट 5965 कैप्चर करने का टास्क दिया गया था. सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण स्थापित करने लिए ऑपरेशन मेघदूत चलाया गया था और इस ऑपरेशन की ये पहली कार्रवाई थी. रात में हुई इस कार्रवाई में भारतीय सेना के 18 जवान हिमस्खलन में दब गए थे. इनमें से 14 लोगों के शव बरामद हुए थे, बाकी के लापता थे. 

16000 फुट की ऊंचाई पर था पुराना बंकर

16,000 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर एक आखिरी प्रयास में एक और सैनिक के अस्थि शेष को 13 अगस्त को पाया गया. सैनिक की पहचान में उसे सेना की तरफ से दिए जाने वाले डिस्क ने बड़ी मदद की. इस पर सेना कर दिया हुआ नंबर लिखा था.  गर्मियों के दिनों में जब सियाचिन ग्लेशियर पर बर्फ पिघलनी शुरू हुई तो खोए हुए सैनिकों की तलाश शुरू की गई. लान्स नायक चन्दर शेखर के अस्थि शेष ग्लेशियर पर बने एक पुराने बंकर में मिले. 

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