
KSRTC नाम को लेकर केरल और कर्नाटक राज्य में चल रहे विवाद का अब अंत हो गया है. KSRTC एक लघु नाम है, जिसका उपयोग कर्नाटक और केरल दोनों ही राज्य अपने-अपने यहां करते हैं, केरल के सन्दर्भ में KSRTC का पूरा नाम केरल स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन है. इसी तरह इसका उपयोग कर्नाटक राज्य के ट्रासंपोर्ट के लिए आता था.
दोनों राज्यों के बीच में चल रही इस खींचतान पर अब ब्रेक लगाते हुए ट्रेडमार्क ऑफ रजिस्ट्री ने एक आदेश जारी कर दिया है, जिसमें KSRTC नाम का उपयोग करने की अनुमति केवल और केवल केरल राज्य को दी गई है. यानी अब कर्नाटक राज्य अपने यहां के परिवहन के लिए इस नाम का उपयोग नहीं कर सकेगा.
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आपको बता दें कि इस शॉर्ट नाम का उपयोग दोनों ही राज्य कर रहे थे, लेकिन साल 2014 में कर्नाटक राज्य ने केरल राज्य को एक नोटिस भेजा था और इस नाम के इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा था. इसके बाद दोनों राज्यों में लीगल केस चलता रहा.
केरल की तरफ से ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार की ऑफिस में ये मामला ले जाया गया. इस मामले को कुल सात साल हो गए थे. अब जाकर इस मामले का परिणाम आया है, जिसमें जीत केरल राज्य की हुई है. अंतत ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 के तहत केरल राज्य को KSRTC की प्रतीक चिन्ह और निकनेम आनावंडी आवंटित कर दिया है.
केरल के ट्रासंपोर्ट मिनिस्टर ने इसपर कहा है ''KSRTC का इतिहास केरलवासियों के जीवन से जुड़ा हुआ है. ये केवल एक पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विस ही नहीं है. बल्कि केरल के सांस्कृतिक जीवन पर एक बड़ा प्रभाव है जिसमें सिनेमा और साहित्य भी शामिल है. इसे इतनी आसानी से नहीं मिटाया जा सकता.''