
कोलकाता रेप एंड मर्डर केस को लेकर देशभर में रोष व्याप्त है. डॉक्टरों से लेकर आम जनता तक सड़कों पर है. हर कोई पीड़ित परिवार के लिए इंसाफ की गुहार लगा रहा है. वहीं कोलकाता की ममता बनर्जी सरकार लगातार निशाने पर है. सीबीआई मुख्य आरोपी संजय रॉय का पॉलीग्राफी टेस्ट कराने जा रही है. कारण, इस जंघन्य अपराध में मुख्य आरोपी के साथ किसी और के होने का भी अंदेशा जताया जा रहा है. शक है कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कुछ छिपाया है. सुप्रीम कोर्ट तक ने प्रिंसिपल की भूमिका पर सवाल उठाया है.
ऐसे में बंगाल की सरकार और सिस्टम दोनों पर सवालों का घेरा है. हर किसी की मांग है कि जिस पश्चिम बंगाल में शक्ति की देवी दुर्गा को विशेष रूप से पूजा जाता है, जहां देवी दुर्गा की आराधना में नौ दिन तक आस्था के रंग में राज्य रंग जाता है, वहां उस दानव रूपी सोच का अंत हो, जिसके खौफ से खुद कलियुग में भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर के ड्रेस पर भय का लाल रंग घिरा हुआ है. मां दुर्गा की आरती करके सब भयों को दूर करने की कामना करने वाले पश्चिम बंगाल को अब इंतजार है कि इंसाफ की मोमबत्तियां बार बार ना जलानी पड़ें.
कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज के तीसरे फ्लोर के सेमिनार रूम में 8-9 अगस्त की रात वीभत्स घटना के बाद से पसरे हुए खौफ को खत्म करने वाली शक्ति की जरूरत है. बेटियों को देवी और शक्ति स्वरूप मानकर आशीर्वाद लेते देश में उन्हें डर और बंदिशों के पिंजरों से आजादी दिलानी है. आने वाली नवरात्र तक क्या स्वतंत्रता की सुरक्षा देकर देवी पूजन के बंगाल में दानवी सोच का का अंत होगा?
नवरात्रि को लेकर बंगाल में शुरू हो चुकीं तैयारियां
दरअसल, अगस्त का महीना चल रहा है. अक्टूबर आने वाला है. तीन अक्टूबर से देश में नवरात्र शुरू होगी. नवदुर्गा, दुर्गा पूजा, नवरात्रि के वो पवित्र दिन जब पूरे देश में सबसे ज्यादा आस्था का रंग पश्चिम बंगाल में ही दिखता है. अभी से मां दुर्गा की प्रतिमाओं को तैयार करने की शुरुआत भी हो चुकी है. अभी प्रतिमा का रूप तैयार होना शुरू हुआ है, फिर रंग भरा जाएगा. फिर नवरात्रि पर पूजन होगा. फिर विसर्जन होगा. लेकिन इस बार महिलाएं, बेटियां सब चाहती हैं कि दुर्गा प्रतिमा के साथ बेटियों की सुरक्षा का स्वरूप भी तैयार हो और विसर्जन उस दानवी सोच का हो, जिसकी वजह से एक बेटी की जान गई और लाखों करोड़ों बेटियों के दिल में भय घर कर गया.
कोलकाता में के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के बाहर 10 अगस्त से शुरू हुआ प्रदर्शन जारी है. दिन भर इंसाफ दो की मांग करती आवाजें शाम तक थक जाती हैं. लेकिन अपनी सुरक्षा की शक्ति मांगती बेटियां कहती हैं मन का विश्वास कमजोर हो ना. खुद के लिए नेक रास्ता मांगने के साथ शक्ति मांगती बेटियों के जीवन का रंग अगर अभी सिर्फ भय जैसा काला है.
कोलकाता कांड के बाद अब हर बेटी को डर
वहीं कोलकाता में इन बेटियों से कुछ दूरी पर ही देवी प्रतिमा का स्वरूप तैयार होकर रंग आगे भरने की तैयारी चल रही है. नवरात्र आने वाली है. मां काली की मिट्टी वाला कोलकाता और मां दुर्गा का पूजन करने वाले बंगाल में इस बार महिलाएं चाहती हैं कि काश उनके भी देवी जितने हाथ ईश्वर ना दिए होते तो शायद इस कलियुग में वो अपनी रक्षा कर पातीं. क्योकि चोट सिर्फ 9 अगस्त की रात एक बेटी को नहीं लगी है. दर्द और मृत्यु का दंश केवल एक बेटी ने नहीं सहा है. असुरक्षा का डर भी मृत्यु के बराबर है. जहां नहीं पता कि कब कहां से कोई संजय रॉय या ना जाने संजय रॉय जैसे कितने और किसी बेटी को अपनी घिनौनी सोच से नोचने के लिए किसी सेमिनार हॉल में घुस जाएंगे.
(आजतक ब्यूरो)