
नई संसद में घुसपैठ कर स्मोक कैन चलाने का मामला गरमा गया है. इस मामले में अब तक छह आरोपियों की संलिप्तता सामने आई है. पांच को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. छठवां आरोपी हिरासत में है. ये सभी अलग-अलग पांच राज्यों के रहने वाले हैं. पुलिस ने आतंकवाद के आरोप में UAPA की धाराओं में एफआईआर दर्ज की है. इस पूरे मामले में सीनियर डीजीपी की अगुवाई की एक जांच कमेटी गठित की गई है. इसमें अलग-अलग एजेंसियों से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है. जांच टीम 15-20 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपेगी. उसके बाद एक्शन लिया जाएगा. शुरुआती तौर पर आठ सुरक्षाकर्मियों को सस्पेंड किया गया है. मुख्य आरोपी ललित मोहन झा के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जानिए अब तक 45 घंटे में क्या क्या हुआ...
बता दें कि 13 दिसंबर को संसद भवन पर हुए हमले की 22वीं बरसी थी. दोपहर एक बजे संसद में बीजेपी के सांसद खगेन मुर्मू चर्चा कर रहे थे, तभी विजिटर गैलरी यानी दर्शक दीर्घा से दो शख्स अचानक नीचे कूदे और हंगामा करने लगे. दोनों ने नारेबाजी की, फिर जूते में छिपाकर रखा गया कलर स्प्रे निकाला और हवा में उड़ा दिया. इससे सांसदों में डर फैल गया. हालांकि, बाद में दोनों आरोपियों को पकड़ा और पुलिस के हवाले कर दिया. ठीक उसी समय संसद के बाहर भी दो लोगों को हंगामा करते वक्त पकड़ा गया. इसमें एक महिला और एक युवक शामिल था.
'पूरे केस का मास्टरमाइंड निकला ललित मोहन झा'
इस पूरे घटनाक्रम में अब तक सात आरोपियों की संलिप्तता सामने आई है. ये आरोपी पांच अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं. सागर शर्मा (26 साल) उत्तर प्रदेश के लखनऊ का रहने वाला है. मनोरंजन डी (34 साल) कर्नाटक के मैसूर का रहने वाला है. नीलम (37 साल) हरियाणा के जींद जिले के गांव घासो खुर्द की रहने वाली है. अमोल शिंदे (25 साल) लातूर (महाराष्ट्र) के रहने वाले हैं. इसके अलावा, हरियाणा के रहने वाले ललित झा को भी गुरुवार शाम गिरफ्तार किया गया है. राजस्थान के रहने वाले महेश की भूमिका भी सामने आई है. महेश पुलिस की हिरासत में है. पुलिस का कहना है कि ललित झा इस पूरे कांड का मास्टरमाइंड है.
'दिल्ली से सीधे राजस्थान पहुंच गया था ललित'
पुलिस का कहना है कि मुख्य आरोपी ललित घटना के बाद दिल्ली से बस में सवार हुआ और राजस्थान के कुचामन पहुंच गया था. वहां होटल में रुका और सारे सबूट मिटा दिए. दो दिन बाद वापस दिल्ली आया और सरेंडर कर दिया. आरोपी ललित झा से देर रात कई घंटे पूछताछ हुई. दो डीसीपी और एडिशनल सीपी समेत स्पेशल सेल के कई इंस्पेक्टर्स ने पूछताछ की. सूत्रों के मुताबिक आरोपी ललित झा ने स्पेशल सेल के अधिकारियों को पूरी कहानी बताई. सूत्रों के मुताबिक, कई महीने पहले से तैयारी की जा रही थी. संसद में एंट्री के लिए पास जरूरी था, लेकिन पास की जुगाड़ नहीं हो पा रही थी. आरोपियों ने अपने दोस्तों में सबसे पूछा था कि पास कौन अरेंज कर सकता है, जिससे संसद के अंदर आराम से एंट्री मिल सके. ललित ने यह भी बताया कि उसने अपने सभी साथियों के फोन को राजस्थान में तोड़ कर फेंक दिया है. वो दिल्ली से भागकर सीधा राजस्थान में अपने दोस्त महेश के यहां पहुंचा. महेश ने उसे कुचामन में एक होटल में कमरा दिलवाया.
'राजस्थान में फोन नष्ट कर देने का दावा'
ललित का कहना था कि वो राजस्थान से ही लगातार सारी चीजों पर नजर रख रहा था. जब उसे लगा कि पुलिस की कई टीमें उसकी तलाश में लगी हैं तो वो वापस दिल्ली आया और गुरुवार रात उसने दिल्ली पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. ललित के पास ही अमोल, मनोरंजन, सागर और नीलम के फोन थे. वो अपने फोन से भी लगातार वीडियो बना रहा था. लेकिन राजस्थान में जाकर उसने सब फोन नष्ट कर दिए. हालांकि पुलिस इसकी हर बात पर विश्वास नहीं कर रही. हर बयान को वेरिफाई कर रही है. पुलिस ने महेश और उसके एक अन्य साथी को भी हिरासत में लिया है. पुलिस को अंदेशा है कि महेश भी इस पूरी साजिश में शामिल है.
'विशाल और उसकी पत्नी को पूछताछ के बाद छोड़ा'
पुलिस का कहना है कि पहले दिन अमोल, नीलम, सागर, मनोरंजन को गिरफ्तार किया था. उसके बाद गुरुवार शाम ललित की गिरफ्तार हुई. महेश से पूछताछ की जा रही है. यानी वो हिरासत में है. इसके अलावा, एक्पोर्ट कंपनी में ड्राइवर विशाल शर्मा और उसकी पत्नी का अब तक कोई रोल सामने नहीं आया है. फिलहाल, पूछताछ के बाद पुलिस ने कपल को जाने दिया है. इससे पहले पुलिस ने बताया था कि आरोपी विशाल शर्मा उर्फ विक्की के गुरुग्राम स्थित घर में सभी आरोपी ठहरे थे. जांच के दौरान दो और लोगों की भूमिका सामने आई है. सभी आरोपियों ने अपनी फुलप्रूफ योजना के तहत सब कुछ किया.
'चार आरोपियों पर UAPA के तहत एफआईआर'
पुलिस ने संसद के अंदर और बाहर बवाल करने वाले चारों आरोपियों के खिलाफ यूएपीए के तहत आतंकवाद का मामला दर्ज किया है. पुलिस का कहना है कि सागर शर्मा, मनोरंजन डी, अमोल शिंदे और नीलम देवी पर आईपीसी की धाराओं के अलावा कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत आरोपी बनाया गया है. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दंडनीय अपराध गैर-जमानती हैं.
'कोर्ट ने सात दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा'
गिरफ्तार किए गए इन चारों आरोपियों को एनआईए मामलों की विशेष न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष पेश किए जाने के बाद पूछताछ के लिए सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा गया है. पुलिस ने 15 दिन की हिरासत में पूछताछ की मांग की थी. दिल्ली पुलिस ने चारों पर आतंकवादी कृत्य में शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने डर पैदा करने की कोशिश की. पुलिस ने कोर्ट में यह भी कहा, यह संसद पर सुनियोजित हमला था.
'घटना का असली मकसद पता कर रही पुलिस'
पुलिस ने यह भी बताया कि उन्होंने आतंकवाद और आतंकवाद की साजिश से संबंधित यूएपीए की धारा 16 और 18 जोड़ी हैं. पुलिस ने सुरक्षा उल्लंघन का जिक्र किया और कहा, इन आरोपियों को सिर्फ विजिटर गैलरी तक ही रहना था. लेकिन वो विजिटर गैलरी से नीचे वेल में कूद गए, जो नियमों के खिलाफ है और सुरक्षा उल्लंघन में आता है. आरोपियों ने अपने जूतों में कलर स्प्रे छिपाकर रखा था. घटना का असली मकसद पता करने और अन्य आरोपियों की भूमिका के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पूछताछ की जानी जरूरी है. कोर्ट को बताया गया, आरोपियों ने अपने लिए स्पेशल जूते लखनऊ में बनवाए थे, इनकी जांच की जानी चाहिए. आरोपियों को जांच के लिए मुंबई, मैसूर और लखनऊ ले जाने की जरूरत है.
'आठ सुरक्षाकर्मियों को किया गया सस्पेंड'
इस केस में सुरक्षा उल्लंघन के कारण दिल्ली पुलिस के आठ जवानों को निलंबित किया गया है. बुधवार को दिल्ली पुलिस ने इसे संसद पर सुनियोजित हमला बताया था. एक पुलिस अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सुरक्षा एजेंसियों को अब तक आरोपियों का आतंकवादी समूहों के साथ कोई संबंध नहीं मिला है. जिन सुरक्षाकर्मियों को निलंबित किया गया, वो संसद की सुरक्षा के लिए प्रतिनियुक्ति पर थे और विजिटर-गेस्ट और मीडियाकर्मियों की तलाशी का काम करते थे. पुलिस ने उनकी पहचान रामपाल, अरविंद, वीर दास, गणेश, अनिल, प्रदीप, विमित और नरेंद्र के रूप में की.
'एक जैसे जवाब दे रहे हैं सभी आरोपी'
पुलिस की जांच में दो संगठनों के नाम भी सामने आए हैं और उनकी भूमिका की जांच की जा रही है. सभी आरोपी जांच टीम को एक जैसे जवाब दे रहे हैं. पुलिस का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि आरोपियों ने पहले से ही तैयारी कर ली थी कि पकड़े जाने पर उनसे पूछताछ की जाएगी तो क्या जवाब देना है.
'पीएम ने बयानबाजी से बचने की हिदायत दी'
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस पूरे मामले की जानकारी ली है. उन्होंने संसद परिसर में कुछ मंत्रियों के साथ बैठक की और सुरक्षा उल्लंघन के मुद्दे की संवेदनशीलता पर चर्चा की. पीएम ने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों को इस मामले मे विपक्षी नेताओं के साथ किसी भी राजनीतिक विवाद में शामिल नहीं होने की सलाह दी. माना जाता है कि जो हुआ, वो एक गंभीर मुद्दा है. पीएम मोदी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला उचित सुधारात्मक कदम उठाएंगे.
'विपक्ष के 14 सांसद सस्पेंड'
इससे पहले गुरुवार को सुरक्षा उल्लंघन पर विपक्ष ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया और सरकार से बयान की मांग की. ऐसे में लोकसभा और राज्यसभा दोनों में कार्यवाही बाधित हुई और कई बार स्थगन करना पड़ा. कार्यवाही में बाधा डालने के लिए राज्यसभा के एक समेत कुल 14 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया. राज्यसभा में टीएमसी के डेरेक ओ'ब्रायन को निलंबित किया गया है. वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के 9 और डीएमके की कनिमोझी समेत कुल 13 विपक्षी सांसदों को इसी तरह की कार्रवाई का सामना करना पड़ा. सरकार ने अपनी ओर से कहा कि घटना की उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गई है. सरकार ने विपक्ष से इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने के लिए कहा है.
'जांच में सभी तथ्य आ जाएंगे सामने'
गुरुवार दोपहर 2 बजे लोकसभा की कार्यवाही फिर से शुरू होने के तुरंत बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने एक बयान में कहा, हम सभी सहमत हैं कि दुर्भाग्यपूर्ण घटना सांसदों की सुरक्षा से संबंधित एक गंभीर घटना है. संसद के बाहर जोशी ने कहा, जांच में सभी विवरण सामने आ जाएंगे. विपक्ष ने सदन में कूदने वाले दो आरोपियों के लिए एंट्री पास देने के लिए बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. हालांकि, जोशी ने कहा, ऐसे पास अक्सर सांसदों द्वारा 'सद्भावना' स्तर पर दिए जाते हैं.
'सांसद ने विजिटर पास देने का बताया कारण'
सूत्रों ने कहा कि मैसूर से सांसद सिम्हा ने भी जोशी के सामने अपना बचाव किया और कहा, वो मनोरंजन के पिता को जानते हैं. उन्होंने बताया कि उनके पिता सांसद के स्थानीय कार्यालय में आते हैं. इधर, संसद भवन और उसके आसपास सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए गए हैं. सुरक्षाकर्मी और पुलिस परिसर में प्रवेश करने वालों की बारीकी से जांच कर रही है.
'भगत सिंह से प्रभावित होने का किया दावा'
पुलिस सूत्रों ने बताया कि क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह से प्रभावित होकर कोलकाता निवासी और पेशे से शिक्षक ललित और अन्य पांच आरोपियों ने पूरा प्लान बनाया था, ताकि पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया जा सके. सूत्रों ने कहा कि सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के संपर्क में आने के बाद सभी छह लोग फेसबुक पर भगत सिंह फैन पेज से जुड़ गए. सूत्रों ने दावा किया कि पूछताछ के दौरान अमोल ने जांचकर्ताओं को बताया कि वे किसानों के विरोध, मणिपुर में जातीय संघर्ष और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से नाराज था और इसीलिए उसने इस कृत्य को अंजाम दिया. सूत्रों ने कहा, आरोपियों की विचारधारा एक जैसी है. इसलिए वे सरकार को एक संदेश देना चाहते थे.
'गृह मंत्री को बयान देने की मांग कर रहा विपक्ष'
विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने मांग की कि गृह मंत्री अमित शाह सुरक्षा उल्लंघन पर बयान दें और उसके बाद दोनों सदनों में इस मामले पर चर्चा हो. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में आयोजित विपक्षी नेताओं की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
'सरकार के पास बयान देने का अधिकार नहीं'
हालांकि, सरकार का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष सदन के संरक्षक हैं और वो उनके निर्देशों का पालन करेगी. मंत्री जोशी ने कहा, सरकार के पास इस मुद्दे पर बयान जारी करने का अधिकार नहीं है. क्योंकि स्पीकर ही इस मामले पर फैसला लेंगे. स्पीकर ओम बिरला ने पहले निचले सदन में कहा था कि संसद परिसर की सुरक्षा लोकसभा सचिवालय की जिम्मेदारी है.
'आरोपियों पर इन धाराओं में एफआईआर'
पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में चारों के खिलाफ यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) और 18 (साजिश आदि के लिए सजा) और आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 452 (अतिक्रमण), 153 (जानबूझकर उकसाना या उकसाने का इरादा), 186 (सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को रोकना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल लगाना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
ऐसे पकड़ में आया मास्टरमाइंड ललित मोहन झा
घटना के मुख्य आरोपी ललित मोहन झा को गुरुवार शाम को गिरफ्तार कर लिया गया. एक अधिकारी ने बताया, ललित झा दिल्ली में कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन आया, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उसे स्पेशल सेल को सौंपा गया है. घटना की जांच की जा रही है. पुलिस का कहना है कि 13 दिसंबर को ही सागर, मनोरंजन, अमोल और नीलम को घटनास्थल से गिरफ्तार कर लिया गया था. जबकि उनके साथी विशाल को गुरुग्राम से पकड़ा गया था.
'लगातार अपडेट ले रहा था ललित'
ललित झा ने नहीं सोचा था कि वो इतनी बुरी तरह से वो घिर जाएगा. जब उसकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही थी तो वो घबरा गया और उसने अपने कुछ दोस्तो से पूछा था कि क्या करना चाहिए, जिसके बाद वो राजस्थान से दिल्ली वापस पहुंच गया. सूत्रों के मुताबिक ललित झा लगातार न्यूज के जरिए अपडेट ले रहा था और पुलिस कहां-कहां जा रही है, उसे इसकी पूरी जानकारी थी.
'पुलिस को बयान पर आशंका...'
पुलिस को इस बात का शक है कि ललित जांच में बाधा पहुंचाने के लिए झूठ भी बोल सकता है. जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने महेश के चचेरे भाई को डिटेन कर लिया था. उससे दिल्ली पुलिस को पता चला कि महेश और ललित सरेंडर करने के लिए दिल्ली आ रहे हैं. पुलिस की कोशिश है कि किसी भी हालत में जो फोन हैं, वो बरामद हो सकें. स्पेशल सेल की टीम शुक्रवार को इन दोनों महेश और ललित को कोर्ट में पेश करेगी. पुलिस इन दोनों का रिमांड भी मांगेगी. चार आरोपी पहले से ही सात दिन की रिमांड पर हैं.