
सांसद अफजाल अंसारी को पूर्वांचल का राजनीतिक पंडित माना जाता है, गाजीपुर और उसके आसपास की दर्जनों विधानसभाओ और लोकसभाओ में अपनी गहरी पैठ रखने वाले अफजाल अंसारी की जानकारी का लोहा छोटे बड़े राजनीतिक दलों के नेता और मुखिया भी मानते है, शायद इसी लिए गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से 5 बार अफजाल विधायक रहे हैं तो दो बार सांसद भी चुने गए हैं.
2005 में हुई थी कृष्णानंद राय की हत्या
2004 में 14 वीं लोकसभा चुनाव में वे पहली बार संसद सदस्य चुने गए थे और फिर 29 नवंबर 2005 में कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या की साजिश आरोप के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था और उसके बाद उनका समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह से रिश्ता खट्टा भी हो गया था. फिर 2009 में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया था और अफजाल अंसारी बहुजन समाज पार्टी में चले गए थे और यहां किस्मत आजमाई थी. लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राधेमोहन सिंह ने उन्हें हराकर जीत हासिल की थी.
2014 में बलिया लोकसभा सीट से लड़ा चुनाव
इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव अफजाल अंसारी ने बलिया लोकसभा सीट से कौमी एकता दल के बैनर पर लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. इसके बाद वह अपने पूरे कुनबे के साथ 2017 चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए थे और 2019 के लोकसभा चुनाव में वह गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन से गाजीपुर लोकसभा से प्रत्याशी बनकर दोबारा सांसद निर्वाचित हुए थे.
गैंग्स्टर एक्ट में दोषी करार
अब यह महज संयोग ही रहा या कुछ और कि दुबारा सांसद रहते हुए, विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या के मूल केस में बरी होने के बावजूद, उसी केस के गैंग्स्टर मामले में उन्हें शनिवार 29 अप्रैल 2023 को गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उन्हें चार साल की सजा के साथ एक लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाते हुए उन्हें हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है. अब गाजीपुर में ये चर्चा आम है कि अफजाल अंसारी की सांसदी और जेल का चोली दामन का रिश्ता है.