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चार साल की सजा के बाद अब जाएगी अफजाल अंसारी की सांसदी, इन नेताओं की लिस्ट में हुए शामिल

गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला आ गया है. मुख्तार अंसारी को दोषी करार देने के बाद अब कोर्ट ने उनके भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी को भी दोषी करार दिया है और 4 साल की सजा सुनाई है.

अफजाल अंसारी की सांसदी जाना तय अफजाल अंसारी की सांसदी जाना तय
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 6:36 AM IST

गाजीपुर से बसपा के लोकसभा सांसद अफजाल अंसारी की सांसदी जाना तय हो गया है. गाजीपुर की MP MLA कोर्ट ने गैंगेस्टर एक्ट में अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा सुनाई है. इससे पहले शनिवार को ही कोर्ट ने अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुनाई थी और 5 लाख का जुर्माना भी लगाया था.

गैंगस्टर का ये मामला करंडा थाना और मुहम्मदाबाद थानों से बनाए गए अपराधिक मुकदमों के गैंगचार्ट पर आधारित था. भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दर्ज केस के आधार पर ही अफजाल अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगा था.

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जाएगी सांसदी

सजा के बाद अब अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्‍यता जानी तय है. वह गाजीपुर से बसपा सांसद हैं. दो साल से ज्‍यादा की सजा मिलने पर जनप्रतिनिधि कानून के तहत सदन की सदस्‍यता चली जाती है. हाल ही में राहुल गांधी को जब कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई गई थी तो उसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता चले गई थी.

क्या है जनप्रतिनिधि कानून?

1951 में जनप्रतिनिधि कानून आया था. इस कानून की धारा 8 में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाएगा, तब से लेकर अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकेगा.  धारा 8(1) में उन अपराधों का जिक्र है जिसके तहत दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है. इसके तहत, दो समुदायों के बीच घृणा बढ़ाना, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म जैसे अपराधों में दोषी ठहराए जाने पर चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, इसमें मानहानि का जिक्र नहीं है.

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क्या तुरंत चली जाती है सदस्यता?

- दोषी साबित होने के बाद नोटिफिकेशन जारी होता है और सांसद या विधायक की सदस्यता चली जाती है. हालांकि, इसे तब से से लागू माना जाता है जब दोषी साबित हुए तीन महीने बीत हो गए हैं.

- दोषी साबित होने के बाद उस फैसले को अपील करने का समय मिलता है. अगर तीन महीने के भीतर अपील नहीं की जाती या फिर ऊपरी अदालत कन्विक्शन को निलंबित करती तो फिर उसकी सदस्यता चली जाती है.

- हालांकि, 2013 में लिली थॉमस बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(4) को 'असंवैधानिक' करार दिया था. 

किस मामले में हुई सजा

साल 2005 में तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानन्द राय समेत 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी. मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के बसनिया चट्टी पर इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. मामले में 2007 में गैंगेस्टर एक्ट के तहत अफजाल अंसारी, उनके भाई माफिया डॉन मुख्तार मुख्तार अंसारी और बहनोई एजाजुल हक पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.

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अफजाल अंसारी ने पहले कहा था कि इस मामले में वह बरी हो चुके हैं और वह इसी मामले में हाइकोर्ट भी गए थे. मगर, उन्हें HC से राहत नहीं मिली थी. एडीजीसी के मुताबिक, माफिया मुख्तार अंसारी के मामले में 10 गवाहों की, जबकि अफजाल अंसारी के मामले में 7 गवाहों की गवाही इस मामले में ट्रायल के दौरान हुई थी.  

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इन नेताओं की जा चुकी है सांसदी और विधायकी

राहुल गांधी-  हाल ही में सूरत कोर्ट ने 'मोदी सरनेम' मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता को रद्द कर दिया था.

विक्रम सैनी- 2022 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से BJP विधायक विक्रम सैनी की विधानसभा सदस्यता इसी कानून के चलते चली गई थी. दंगे के एक मामले में मुजफ्फरनगर की एक कोर्ट ने सैनी को 2 साल की सजा सुनाई थी और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा था.

खब्बू तिवारी- 2021 में अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की 29 साल पुराने मामले में विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. खब्बू तिवारी को कोर्ट ने एक मामले में 5 साल की सजा सुनाई थी.

आजम खान- समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की सदस्यता भी इसी कानून के तहत चली गई थी. आजम खान रामपुर से लगातार 10 बार विधायक और सांसद भी रहे चुके हैं.

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अब्दुल्ला आजम- आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधानसभा सदस्यता भी इसी कानून के चलते रद्द हो गई. मुरादाबाद की एक अदालत ने 15 साल पुराने मामले में अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई थी.

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कुलदीप सेंगर- उत्तर प्रदेश के उन्नाव रेप मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को तीस हजारी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी और 25 लाख का जुर्माना लगाया था.. इसके बाद कुलदीप सिंह सेंगर की विधायकी चली गई.

लालू यादव- राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के मुख्यमंत्री रहे लालू यादव सितंबर, 2013 में चारा घोटाले के दोषी पाए गए थे. इसके बाद उनकी सांसदी चली गई थी, जिसके बाद चुनाव लड़ने पर रोक लग गई थी. इसके बाद से लालू जेल में बंद हैं.

जयललिता- तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम की मुखिया रहीं जे जयललिता को सितंबर 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया गया था. 10 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगी थी, जिसके बाद उन्हें  सीएम पद छोड़ना पड़ा था.

कमल किशोर भगत- झारखंड में आजसू विधायक कमल किशोर भगत को दोषी करार दिए जाने के बाद अपनी कर्सी गंवानी पड़ी है. कमल किशोर भगत तो जून 2015 में हत्या के दोषी पाए गए थे, जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी. बता दें कि कमल किशोर भगत 2014 में झारखंड की लोहरदगा सीट से आजसू के टिकट पर विधायक चुने गए थे.

रशीद मसूद- काजी रशीद मसूद राज्यसभा के सांसद रहते हुए दोषी पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें राज्यसभा सदस्यता चली गई थी. रशीद मसूद उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद थे. 2013 में एमबीबीएस सीट घोटाले में दोषी पाए गए थे. चार साल की सजा हुई और सांसदी चली गई थी.

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सुरेश हलवंकर- महाराष्ट्र में बीजेपी के विधायक सुरेश हलवंकर को भी अपनी सदस्यता गवांनी पड़ी है. सुरेश हलवंकर को बिजली चोरी के मामले में कोर्ट ने मई, 2014 में तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके चलते उनकी विधायकी चली गई. हालांकि उन्होंने हाई कोर्ट से निचली अदालत के फैसले के खिलाफ स्टे लेकर आए थे और 2014 में चुनाव लड़कर विधायक चुने गए थे.

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जगदीश शर्मा- बिहार के जगदीश शर्मा को भी चारा घोटाले में सजा हुई थी, जिसके बाद सांसदी चली गई थी. बिहार के जहानाबाद से सांसद थे. शर्मा 2013 में चारा घोटाले में दोषी पाए गए थे, जिसके बाद सांसद सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था. जगदीश शर्मा को लालू यादव के साथ चार साल की सजा हुई. सजा पूरी होने के छह साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा में सक्रिय हैं.

पप्पू कालानी- महाराष्ट्र की उल्लाहसनगर सीट से निर्दलीय विधायक पप्पू कालानी को अपनी सदस्यता गवांनी पड़ी थी. कालानी पर कई आपराधिक मामले हैं. कोर्ट ने 2013 में पप्पू कालानी को हत्या के मामले में उम्रकैद सुनाई थी, जिसके बाद उनकी  विधायकी गई और उनके ताउम्र चुनाव लड़ने पर रोक लग गई है.

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मित्रसेन यादव- उत्तर प्रदेश की फैजाबाद सीट से समाजवादी पार्टी से मित्रसेन यादव सांसद थे, जिन्हें भी अपनी सदस्यता गवांनी पड़ी है.  2009 में धोखाधड़ी के एक मामले में मित्रसेन यादव को कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी सांसदी चली गई. 2015 में मित्रसेन यादव का निधन हो गया है.

अशोक चंदेल- उत्तर प्रदेश के हमीरपुर से बीजेपी विधायक रहे अशोक सिंह चंदेल को 22 साल पुराने हत्याकांड में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. अशोक सिंह चंदेल पर बीजेपी नेता राजीव शुक्ला की हत्या के दोषी पाए गए थे. चंदेल को हाईकोर्ट ने सामूहिक हत्याकांड का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

आशा रानी- मध्य प्रदेश में बीजेपी विधायक आशा रानी और उनके पति पूर्व विधायक भैया राजा को नौकरानी तिज्जी बाई की हत्या मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी. इसके चलते आशा रानी को अपनी विधायकी पद से छोड़ना पड़ा था.

 

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