
केंद्र की मोदी सरकार के कृषि से जुड़े तीन विधेयकों को लेकर किसानों की ओर से जबर्दस्त विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है. इस प्रदर्शन में राजनीतिक दल भी शामिल होते जा रहे हैं. इस बीच 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर कांग्रेस ने 'किसान-मजदूर बचाओ दिवस' मनाने का फैसला लिया है.
कांग्रेस ने प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से गांधी जयंती के दिन किसान मजदूर बचाओ दिवस मनाने के फैसला लिया है. साथ ही कांग्रेस ने देशभर से करीब 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला लिया और इसके बाद कांग्रेस इसे 14 नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भी सौंपेगी. कांग्रेस की ओर से इसके लिए जिला स्तर पर मुहिम भी चलाई जाएगी.
सरकार बहुमत के नशे में चूरः टिकैत
इस बीच भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार बहुमत के नशे में चूर है. संसद के इतिहास में पहली दुर्भाग्यपूर्ण घटना है कि अन्नदाता से जुड़े कृषि विधेयकों को पारित करते समय न तो कोई चर्चा की और न ही इस पर किसी सांसद को सवाल करने का अधिकार दिया गया. यह लोकतन्त्र के अध्याय में काला दिन है.
राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि भारतीय किसान यूनियन इस हक की लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ेगी. सरकार अगर हठधर्मिता पर अडिग है तो किसान भी पीछे हटने वाला नहीं है. 25 तारीख को पूरे देश का किसान इन बिलों के विरोध में सड़क पर उतरेगा, जब तक कोई समझौता नहीं होगा तब तक पूरे देश का किसान सड़कों पर रहेगा. हालांकि मोदी सरकार संसद के दोनों सदनों से कृषि से संबंधित बिल पास करवा चुकी है.
6 रबी फसलों में एमएसपी बढ़ा
दूसरी ओर, मोदी कैबिनेट ने सोमवार को रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बढ़ोतरी को मंजूरी दी है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में कहा कि इस कदम से हम स्पष्ट संदेश भेजना चाहते हैं कि सरकार द्वारा एमएसपी को हटाया नहीं गया है. 6 रबी फसलों पर एमएसपी बढ़ाया गया है. इनमें गेंहू में 50 रुपये, चना में 225 रुपये, मसूर में 300 रुपये, सरसों में 225 रुपये, जौ में 75 रुपये और कुसुम में 112 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया गया है.
हालांकि कृषि बिल को लेकर संसद से सड़क तक संग्राम जारी है. इस महासंग्राम के बीच विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का वक्त मांगा है. विपक्ष की ओर से अपील की जाएगी कि राष्ट्रपति कोविंद कृषि बिलों पर अपने हस्ताक्षर न करें और वापस इन्हें राज्यसभा में भेज दें.