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कृषि कानून: पीएम मोदी ने किया वापसी का ऐलान, अब क्या करेंगे किसान? आज रणनीति पर मंथन

पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में अब किसान आंदोलन के भविष्य और एमएसपी पर किसानों के रुख पर अंतिम फैसला लेने के लिए पंजाब के 32 किसान संगठन आज बैठक करेंगे. इसके अलावा 21 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के निर्णय लेने वाली निकाय की बैठक होनी है.

Rakesh Tikait Rakesh Tikait
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:26 AM IST
  • अभी भी किसानों की कई मांगें लंबित
  • पीएम मोदी ने रद्द किये तीन कृषि कानून

किसानों के लंबे आंदोलन और संघर्ष के बाद सरकार ने आखिरकार शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा कर दी. इसके बाद से किसान आंदोलन के भविष्य और एमएसपी पर किसानों के रुख पर अंतिम फैसला लेने के लिए पंजाब के 32 किसान संगठन आज बैठक करेंगे. वहीं सूत्रों के अनुसार 21 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के निर्णय लेने वाली निकाय की बैठक होनी है. इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया कि आंदोलन पर अंतिम फैसले और एमएसपी से संबंधित मांगों पर इस बैठक में चर्चा होगी.

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वापस हों किसानों के खिलाफ मुकदमे 

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि 'ऐतिहासिक किसान आंदोलन में एक साल तक दृढ़, एकजुट, लगातार और शांतिपूर्ण संघर्ष करने वाले किसानों की ऐतिहासिक पहली जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3 केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा सही दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है. किसानों के संघर्ष ने भारत में लोकतंत्र और संघीय राजनीति की बहाली का नेतृत्व किया है.

किसानों का कहना है कई महत्वपूर्ण मांगें लंबित हैं और एसकेएम को भरोसा है कि पीएम भी इस बारे में जानते हैं. इस आंदोलन में 675 से अधिक किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा. शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने और भाजपा के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर हांसी में बड़ी संख्या में  किसान एकजुट हुए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा आईपीएस अधिकारी सुश्री पद्मजा चौहान को लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड की विशेष जांच टीम में शामिल करना गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि न्यायालय के हस्तक्षेप का उद्देश्य निष्पक्षता स्थापित करना था.

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अभी भी किसानों की कई मांगें लंबित

किसान संगठनों का कहना है कि किसान-विरोधी, लोक-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक तीन काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है और भारत के किसानों की एकजुटता की पहली बड़ी जीत है. कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर कर किसानों के संघर्ष ने देश में लोकतंत्र और भारत में संघीय राज्य व्यवस्था को बहाल किया है.

हालांकि, अभी भी कई मांगें लंबित हैं और प्रधानमंत्री मोदी को इन लंबित मामलों के बारे में जानकारी है. एसकेएम को उम्मीद है कि भारत सरकार, 3 किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने की घोषणा कर झुकी है, वह घोषणा को बेकार नहीं जाने देगी, और विरोध कर रहे किसानों की लाभकारी एमएसपी की गारंटी के लिए वैधानिक कानून सहित सभी जायज मांगों को पूरा करने की पूरी कोशिश करेगी.  

 

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