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ब्लैक फंगस के लिए इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन तो नहीं जिम्मेदार? AIIMS के डॉक्टर ने उठाए सवाल

शुरुआती तौर पर कहा जा रहा था कि ब्लैक फंगस की मुख्य वजह स्टेरॉयड का दिया जाना है. लेकिन अब दिल्ली के प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स की डॉक्टर प्रोफेसर उमा कुमार ने इस पर सवाल उठाया है और उनका दावा है कि इस बीमारी की कई और वजहें हैं.

सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
स्नेहा मोरदानी
  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2021,
  • अपडेटेड 10:16 PM IST
  • एम्स की डॉक्टर प्रोफेसर उमा कुमार ने उठाए सवाल
  • 'क्या इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन के प्रयोग से बढ़ रही बीमारी'
  • ह्यूमिडिफायर में गंदे पानी का इस्तेमालः डॉ. उमा

कोरोना संकट के बीच देशभर में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. कुछ राज्यों ने ब्लैक फंगस को अपने यहां महामारी भी घोषित कर दिया है. ब्लैक फंगस नाम की बीमारी ने लोगों को नए टेंशन में डाल दिया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह बीमारी किन वजहों से बढ़ रही है.

शुरुआती तौर पर कहा जा रहा था कि ब्लैक फंगस की मुख्य वजह स्टेरॉयड का दिया जाना है. लेकिन अब दिल्ली के प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स की डॉक्टर प्रोफेसर उमा कुमार ने इस पर सवाल उठाया है और उनका दावा है कि इस बीमारी की कई और वजहें हैं. 

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ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ने के कारणों के बारे में डॉक्टर प्रोफेसर उमा कुमार ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोरोना मरीजों को मेडिकल ऑक्सीजन की जगह इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन दिए जाने की वजह से मामले बढ़ रहे हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि ह्यूमिडिफायर में स्टेरायल वाटर की जगह गंदे पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा बिना धुले गंदे मास्क का उपयोग किया जा रहा है. साथ ही स्टेरॉयड का गलत इस्तेमाल भी इसकी बड़ी वजह है.

विशेषज्ञ अब कह रहे हैं कि ब्लैक फंगस के लिए स्टेरॉयड को दोष दिया जा रहा है लेकिन वे समस्या का महज हिस्साभर हैं. भारत में कई जगहों पर रोगियों को ऑक्सीजन पहुंचाने का अनहाइजेनिक और गंदा तरीका इसके मुख्य कारण हैं. जिन सिलेंडरों में लिक्विड ऑक्सीजन का भंडारण, परिवहन और उपयोग किया जाता है, उन्हें सख्ती से साफ और कीटाणुरहित किया जाना चाहिए.

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विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक समाधान उत्पादन, भंडारण (सिलेंडर में) और वितरण (स्टेरायल वाटर, ऑक्सीजन की स्वच्छ प्रणाली) के लिए गुणवत्ता नियंत्रण और अनुपालन को लागू किया जाना चाहिए और साथ ही इस समस्या से निपटने के लिए स्टेरॉयड के अंधाधुंध उपयोग को रोकना होगा. साथ ही एंटी फंगल दवा के अधिक उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि यह बेहद विषैला होता है.

13 साल के बच्चे को ब्लैक फंगस
अहमदाबाद में 13 साल के बच्चे में ब्लैक फंगस का मामला सामने आया है. बच्चे में ब्लैक फंगस की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद शुक्रवार को अहमदाबाद के एप्पल चिल्ड्रेन अस्पताल में ऑपरेशन किया गया.

इसे भी क्लिक करें --- कोरोना का कहर हुआ कम! ब्लैक फंगस ने बढ़ाई चिंता, महाराष्ट्र में 90 मौतें, दिल्ली-एमपी अलर्ट

बच्चा इससे पहले कोरोना संक्रमित हो चुका था. बच्चे की मां भी कोरोना पॉजिटिव रही और इस वजह से उसकी मौत भी हो गई. बच्चे में किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी. 13 साल के बच्चे में ब्लैक फंगस का यह पहला मामला है. 

अप्रैल में बच्चा संक्रमित हुआ था और वह बाद में ठीक हो गया था. डेढ़ महीने के बाद बच्चे में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए. डॉक्टरों ने जब इसका टेस्ट किया तो इसमें म्यूकरमाइकोसिस पॉजिटिव पाया गया. फिर बच्चे का ऑपरेशन किया गया और अब वह सुरक्षित है.

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देशभर में 7 हजार से ज्यादा केस
देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले आ चुके हैं. अब तक इसके 7,251 केस सामने आए हैं जिसमें 219 लोगों की मौत भी हो गई है. 

केंद्र सरकार ने कल गुरुवार को राज्यों से कहा था कि राज्यों को महामारी अधिनियम, 1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करना चाहिए. ब्लैक फंगस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है महाराष्ट्र और यहां पर 1,500 मामले आ चुके हैं जबकि 90 मौतें भी हो चुकी हैं. 

 

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