
भारत का सबसे बड़ा अस्पताल है एम्स. हर हेल्थ इमरजेंसी में खबरों में रहता है. इस बार सुर्खियों में अस्पताल इसलिए है क्योंकि यहां का सर्वर पिछले छह दिन से ठप पड़ा है हैकिंग की वजह से. प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के मुताबिक हैकर्स ने इसके बदले 200 करोड़ रुपए मांगे हैं क्रिप्टोकरेंसी की शक्ल में. एम्स प्रशासन कह रहा है कि सर्वर रीस्टोर करने के लिए कोशिशें जारी हैं लेकिन दूसरी तरफ़ काम मैनुअली चल रहा है. हॉस्पिटल प्रशासन के अनुसार कम से चार करोड़ पेशेंट्स का डेटा इस हैकिंग से ख़तरे में है. इंडिया कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के साथ जांच में लगी हुई है लेकिन अभी स्थिति जस की तस है. AIIMS के सर्वर पर हैकर्स का हमला डिजिटल इंडिया के लिए कितना बड़ा झटका है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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गुजरात में पहले चरण के चुनाव के लिए आज प्रचार का आखिरी दिन है. 19 जिलों की 89 सीटें हैं जिनपर 788 कैंडीडेट्स मैदान में हैं. इन सीटों पर 1 दिसंबर को वोटिंग होनी है. पहले चरण में कच्छ, सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, बोटाद, नर्मदा, भरूच, सूरत, तापी, डांग्स, नवसारी, और वलसाड जिले हैं जहां वोटिंग होनी है. इनमें ज्यादातर कच्छ और सौराष्ट्र की वही सीटें हैं जहां पिछली बार कांग्रेस ने बीजेपी को पीछे छोड़ा था. सौराष्ट्र और कच्छ की 54 सीटों पर कांग्रेस ने 30 सीटें जीती थीं और बीजेपी ने 23. हालांकि इस बार बीजेपी यहाँ पूरी कोशिश में हैं कि 2017 न दुहराए. आम आदमी पार्टी ने भी इस बार मामला पेचीदा कर रखा है. कहा जा रहा है कि शहरी वोटर्स के लिए आम आदमी पार्टी के वादे चुनावों की तस्वीर बदल सकते हैं. फिलहाल इन 89 सीटों पर जिन पर 12 घंटे से भी कम वक्त में चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा- कैसा समीकरण बनता दिख रहा है और यहाँ के मुद्दे क्या होंगे? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच की खींचतान कम होंती दिख ही नहीं रही. बीते शनिवार गहलोत ने पायलट को ग़द्दार कह दिया. पायलट की तो नहीं लेकिन पार्टी की तरफ़ से प्रतिक्रिया आई कि इस तरह के शब्द ग़लत हैं, उन पर कार्रवाई होगी. हालांकि कार्रवाई करने के मामले में कांग्रेस की गति बहुत धीमी है. अध्यक्ष चुनाव से ठीक पहले गहलोत खेमे की बग़ावत के शिकार हुए अजय माकन ने कार्रवाई के इंतेज़ार में इस्तीफ़ा ही दे दिया था..हालांकि पार्टी में मेसेजिंग के लिए कांग्रेस के लिए गहलोत या उनके खेमे पर ऐक्शन लेना फिलहाल मजबूरी दिखाई दे रहा है.. लेकिन एक दुविधा और है. गुजरात के चुनावों के समय पार्टी अपनी तरफ़ से आंतरिक ऐक्शन लेकर कोई भी ऐसा बखेड़ा नहीं करना चाहेगी, जिससे उसको वहाँ नुकसान हो. राजस्थान में भी चुनाव को साल भर बचे हैं, बीजेपी की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं लेकिन कांग्रेस पायलट-गहलोत के इंटरनल ड्रिफ्ट से ही उबर नहीं सकी. गहलोत पर ऐक्शन लेना कांग्रेस के लिए मुश्किल क्यों हो रहा है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.