
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमने गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलने का फैसला किया है. इस सिलसिले में हमने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात की. वक्फ बिल से जुड़ा संशोधन संविधान के खिलाफ है. कोलकाता में एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति सिर्फ 150 रुपये के किराए वाले मकान में रहता है, इसका जिक्र मैंने 2013 में संसद में अपनी स्पीच में किया था.
ओवैसी ने कहा, 'मोदी सरकार वक्फ को भंग करना चाहती है. वक्फ प्रॉपर्टी सरकारी या पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है, बल्कि निजी संपत्ति है. आप इसे सार्वजनिक संपत्ति क्यों मान रहे हैं? आप वक्फ बोर्ड को क्या अनुदान दे रहे हैं? देश में कौन सी राज्य सरकार वक्फ बोर्ड को अनुदान देती है?
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ओवैसी ने आगे कहा कि मैं नरेंद्र मोदी को चुनौती देता हूं, काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 की धारा-3 कहती है कि कोई भी व्यक्ति बोर्ड का सदस्य नहीं हो सकता है, अगर वह धर्म से हिंदू नहीं है. धारा 6 कहती है कि अगर कोई सदस्य हिंदू के रूप में कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकता है, तो उसके स्थान पर कोई हिंदू ही नियुक्त किया जाएगा.
'झूठा प्रचार कर रही है बीजेपी...'
ओवैसी कहते हैं कि वक्फ संशोधन संविधान के अनुच्छेद 15, 25 का उल्लंघन करता है. यह संशोधन वक्फ की संपत्तियों को नष्ट करने के लिए है, न कि उसकी सुरक्षा के लिए. AIMIM सांसद ने आगे कहा कि लेटरल एंट्री और दलित क्रीमी लेयर की तरह, सरकार को इस वक्फ संशोधन विधेयक को भी वापस लेना होगा. बीजेपी झूठा प्रचार कर रही है कि कोई भी वक्फ ट्रिब्यूनल के खिलाफ नहीं जा सकता, यह गलत है, इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
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