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एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित रविवार को संभालेंगे सेंट्रल एयर कमांड के प्रमुख का पदभार, निभा चुके हैं अहम जिम्मेदारी

एयर मार्शल एक योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर होने के साथ-साथ एक एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट भी हैं. उनके पास फाइटर, ट्रेनर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट पर 3300 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है. उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन सफेद सागर में भी हिस्सा लिया था.

एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 8:18 PM IST

एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित (Air Marshal Ashutosh Dixit) को सेंट्रल एयर कमांड का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है और वह रविवार को अपना पदभार ग्रहण करेंगे. बेहद अनुभवी लड़ाकू पायलट एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने पिछले साल ही वायु सेना उप प्रमुख का पदभार संभाला था.

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के पूर्व छात्र एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित को 06 दिसंबर 1986 को फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था. वह स्टाफ कोर्स, बांग्लादेश और नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली के ग्रेजुएट हैं. एयर मार्शल एक योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर होने के साथ-साथ एक एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट भी हैं, उनके पास फाइटर, ट्रेनर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट पर 3300 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है. कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन 'सफेद सागर' और  ‘रक्षक’  जैसे अभियानों में हिस्सा लिया.

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अनुभवी अफसर रहे हैं एयर मार्शल दीक्षित

एयर मार्शल दीक्षित ने मिराज 2000 स्क्वाड्रन की कमान संभाली, जो पश्चिमी क्षेत्र में एक फ्रंटलाइन फाइटर बेस है, साथ ही एक प्रमुख फाइटर ट्रेनिंग बेस भी है. उन्होंने इससे पहले वायु सेना मुख्यालय में प्रिंसिपल डायरेक्टर एयर स्टाफ रिक्वायरमेंट, असिस्टेंट चीफ ऑफ द एयर स्टाफ (प्रोजेक्ट्स) और असिस्टेंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ (प्लान) के रूप में काम किया है. एयर मार्शल दीक्षित दक्षिणी वायु कमान के वायु रक्षा कमांडर भी रह चुके हैं और वायु सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले दक्षिण पश्चिमी वायु कमान के वरिष्ठ वायु सेना अधिकारी थे.

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वायुसेना उप प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, एलसीए मार्क-1ए, मार्क-2 और एएमसीए सहित कई स्वदेशी विमान परियोजनाओं में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई. एयर मार्शल दीक्षित ने भविष्य की टेक्नोलॉजी के अनुकूलन वाली कई परियोजनाओं को लेकर अहम कार्य किया. उन्होंने यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम किया कि भारतीय वायुसेना 'आत्मनिर्भरता' पर लगातार ध्यान केंद्रित करते हुए आधुनिकीकरण हासिल करे.

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