Advertisement

SC से रिटायर जस्टिस खानविलकर बने लोकपाल, PMLA के संशोधन को ठहराया था सही

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर को लोकपाल नियुक्त किया गया है. वह कई अहम केस के फैसले का हिस्सा रहे हैं, जिसमें नरेंद्र मोदी को 2002 के गुजरात दंगे में क्लीन चिट देना, पीएमएलए के संशोधन को बरकरार रखना और सेंट्रल विस्टा का रास्ता साफ करने जैसे कुछ अहम फैसले शामिल हैं.

अजय माणिकराव खानविलकर अजय माणिकराव खानविलकर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 9:42 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर ने भारत के लोकपाल का कार्यभार संभाल लिया है. पिछले दिनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी की उच्च स्तरीय समिति ने उनकी नियुक्ति पर मुहर लगाई थी.
 
जस्टिस खानविलकर दो साल पहले 29 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे. उनकी अगुवाई में ही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने PMLA अधिनियम में संशोधन को बरकरार रखते हुए महत्वपूर्ण निर्णय दिया था.

Advertisement

राष्ट्रपति ने जस्टिस खानविलकर के साथ लोकपाल के अन्य न्यायिक सदस्य के रूप में जस्टिस लिंगप्पा नारायण स्वामी, जस्टिस संजय यादव और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की भी नियुक्ति की है. जस्टिस अवस्थी विधि आयोग के अध्यक्ष भी हैं. इनके अलावा गैर न्यायिक सदस्यों में सुशील चंद्रा, पंकज कुमार और अजय तिर्की शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: 'आप करें, नहीं तो हम करेंगे...' कोस्ट गार्ड में महिलाओं के स्थायी कमीशन के मामले पर SC ने केंद्र को फटकारा

पीएमएलए के नियमों का ठहराया था सही

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र को परिभाषित किया था. एजेंसी के किसी भी आरोपी को समन करने, गिरफ्तारी, तलाशी लेने सहित मुकदमे से संबंधी सामान की जब्ती के अधिकार को सही ठहराया था. इसके साथ ही ईडी अधिकारियों के सामने इकबालिया बयान का उपयोग करने के लिए भी व्यापक अधिकार दिए थे.

Advertisement

गुजरात दंगे में नरेंद्र मोदी को दी क्लीन चिट

जस्टिस खानविलकर ने उस पीठ का भी नेतृत्व किया जिसने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री और निर्णय सुनाते समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी थी. उसी मामले में प्रधानमंत्री मोदी को दंगा फसाद और हिंसा में फंसाने के लिए "मनगढ़ंत सबूत" पेश करने के लिए याचिकाकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर सवाल भी उठाए थे.

ये भी पढ़ें: पतंजलि आयुर्वेद के 'गुमराह करने वाले' विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कोर्ट की अवमानना का भेजा नोटिस

सेंट्रल विस्टा का रास्ता किया था साफ

तीस्ता सीतलवाड़ को इसके बाद गिरफ्तार किया गया था. हालांकि बाद में उन को जमानत पर रिहा किया गया. जस्टिस खानविलकर ने उस पीठ का नेतृत्व भी किया था, जिसने कई आपत्तियां उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए सेंट्रल विस्टा और नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement