
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शुक्रवार को कहा कि महात्मा गांधी एक महान रणनीतिकार थे, जिन्होंने अपने से कहीं अधिक मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हराने के लिए 'सॉफ्ट पावर' का इस्तेमाल किया. उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की किताब 'गांधी, ए लाइफ इन थ्री कैंपेन्स' के लॉन्च के मौके पर कहा, 'अगर आपमें अपने विरोधी को उस तरह से प्रभावित करने की क्षमता है जिस तरह से आप चाहते हैं कि वह प्रभावित हो, तो यह असली पावर है. अगर मैं चाहता हूं कि आप कुछ करें और आप वही करें जो मैं चाहता हूं, यही वह शक्ति है जो मैं आप पर इस्तेमाल कर रहा हूं'.
डोभाल ने कहा, 'द्वितीय विश्व युद्ध और उसके बाद के युद्धों ने यह साबित करना शुरू कर दिया कि राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए क्रूर सैन्य शक्ति सबसे अप्रभावी साधन थी. चाहे अमेरिकियों ने वियतनाम में कोशिश की हो या सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में, वे दोनों उस समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश थे, लेकिन उन्होंने पाया कि उनसे बहुत कमजोर राष्ट्र उन्हें हराने में सक्षम थे. ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं जहां सॉफ्ट पावर, सुपर पावर पर हावी होने में सक्षम रहा हो. गांधी इसके बहुत अच्छे उदाहरण हैं'.
'आपकी सभ्यता, आपकी संस्कृति की शक्ति ही सॉफ्ट पावर है'
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, 'उन्हें (महात्मा गांधी) एहसास हुआ कि उनकी नैतिक शक्ति... जिसे हम आज सॉफ्ट पावर कहते हैं, कहीं अधिक शक्तिशाली को हराने में सक्षम होगी. यह सॉफ्ट पावर आपकी सभ्यता, आपकी संस्कृति की शक्ति है. संभवतः गांधी एक महान रणनीतिज्ञ थे. वह समझते थे कि एक बेहद शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ युद्ध में संभवतः हथियार भी अलग तरह के इस्तेमाल करने होंगे'. उन्होंने कहा कि अब इस पर अधिक शोध और काम किया जा रहा है कि कैसे सॉफ्ट पावर का उपयोग करके राष्ट्र सुपर पावर बनते हैं.
अजीत डोभाल ने कहा, 'यह वास्तव में 90 के दशक में सोवियत संघ के विघटन और संयुक्त राज्य अमेरिका के एक सुपर पावर के रूप में उभरने के साथ शुरू हुआ, लेकिन नए पावर सेंटर्स का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा था. उस समय जोसेफ नी (अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व सहायक रक्षा सचिव) इस अवधारणा के साथ सामने आए कि उनका देश अपनी सॉफ्ट पावर के साथ वर्ल्ड ऑर्डर में हावी रहेगा'.
भारत की आध्यात्मिक विरासत के उत्तराधिकारी थे गांधी: खान
एमजे अकबर की किताब के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि महात्मा गांधी भारत की आध्यात्मिक विरासत के उत्तराधिकारी थे. उन्होंने कहा, 'वह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता को राजनीतिक एकता में बदलने वाले और अहिंसक तरीकों से शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को दृढ़ चुनौती देने के लिए इस नई शक्ति का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति थे'. केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने किताब की सराहना की और कहा, 'मुझे लगता है कि गांधी पर पहले ही 11,000 किताबें लिखी जा चुकी हैं. लेकिन इस किताब में अब भी उनके कुछ ऐसे पहलू हैं जिन्हें समझने की जरूरत है'.